अरे दीदी, रजनी बोल रही हूं… दुकान पर हूं…कुछ पैसे पेटीएम करना जरा…

जैसे-जैसे वक्त बदल रहा है वैसे-वैसे अपराध का स्वरूप भी बदल रहा है. जहां पहले छीना-झपटी और चोरियां होती थीं वहीं अब ठग एक जगह बैठकर लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं. साइबर क्राइम का दायरा इतना ज्यादा बढ़ गया है कि आपके आस-पास का हर दूसरा शख्स इस धोखाधड़ी का शिकार हो रहा है. डिजिटल धोखाधड़ी की लंबी फेहरिस्त में एक ट्रिक वॉयस क्लोनिंग की भी है. इसमें या तो आप किसी जान-पहचान वाले की आवाज में फोन करके आपसे पैसों की मदद मांगी जाती है या फिर आपके बच्चे या बीवी को किसी आपात स्थिति में फंसे होने का झूठा जाल बुना जाता है.

हेलो पापा मेरा एक्सिडेंट हो गया, मुझे पैसे भेज दो… ये वो कुछ आम पंक्तियां हैं जिन्हें सुनकर आप तुरंत अपनों की मदद करने को दौड़ पड़ते हैं लेकिन क्या वाकई में ये शब्द आपके अपनों के हैं क्योंकि आजकल वॉयस क्लोनिंग के जरिए लोगों को उनके अपनों की आवाज बनाकर ठगा जा रहा है. ये ठगी का नया तरीका है जिसमें आवाज की क्लोनिंग की जाती है और आपका जान-पहचान का बनकर आपसे पैसों की मदद मांगी जाती है.

क्या होती है वॉयस क्लोनिंग

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई तकनीक की मदद से आजकल जैसे लोग अपनी तस्वीरों को बदल रहे हैं वैसे ही इससे किसी की आवाज भी क्लोन की जा सकती है. इसके लिए किसी की भी आवाज की मात्र 3 सेकंड की ऑडियो क्लिप चाहिए होती है. उसे सॉफ्टवेयर में डाला जाता है फिर आप उसकी आवाज की क्लोनिंग कर सकते हैं. इसका उपयोग ज्यादातर एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में किया जाता है. जहां वॉयस ओवर, वीडियो गेम्स और मूवीज में किसी की आवाज इस्तेमाल होती है लेकिन किसी की आवाज की क्लोनिंग करना गैरकानूनी है इसलिए इस प्रक्रिया में सामने वाले की रजामंदी ली जाती है.

वॉयस क्लोनिंग का हो रहा गलत इस्तेमाल

हालांकि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किसी काम को आसान बनाने के लिए किया जाता है लेकिन अब साइबर फ्रॉड करने वाले लोग इस तकनीक का इस्तेमाल लोगों को ठगने के लिए कर रहे हैं. साइबर क्राइम पर साइबर एनकाउंटर्स नाम से किताब लिखने वाले और उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार कहते हैं कि आज एआई की मदद से जालसाज किसी की भी आवाज की नकल कर सकते हैं और वो इसी नकली आवाज की मदद से किसी के पेरेंट्स, भाई-बहन और पति-पत्नी के साथ फ्रॉड करते हैं. ये आपके रिलेटिव बनकर बोलते हैं कि वो किसी मुसीबत में फंस गए हैं और उन्हें तुरंत इतने पैसों की जरूरत है. आप बिना किसी जांच-पड़ताल के उनकी आवाज पर यकीन करके रकम उन्हें ट्रांसफर कर देते हैं. इस तरह के फ्रॉड का दायरा दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है.

हर चौथा व्यक्ति ठगी की इस तकनीक से प्रभावित

ग्लोबल कंप्यूटर सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर कंपनी McAfee का हालिया सर्वे बताता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वॉयस स्कैम काफी तेजी से बढ़ रहा है और आज इससे हर 4 में से 1 व्यक्ति प्रभावित है कई लोगों ने इस फ्रॉड की वजह से मोटी रकम गंवाई है. इसकी बड़ी वजह सोशल मीडिया पर अपनी और अपनी फैमिली से जुड़े वीडियो अपलोड करना है. आजकल ज्यादातर लोगों का अकाउंट पब्लिक है जिससे कोई भी उनका प्रोफाइल विजिट कर सकता है और सारी जानकारी हासिल कर सकता है.

95 फीसदी तक आवाज की क्लोनिंग

McAfee की रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुस्तान में 86 फीसदी लोग हफ्ते में एक बार सोशल मीडिया पर कुछ न कुछ जरूर पोस्ट करते हैं जिसमें कभी-कभी उनकी ऑडियो क्लिप भी होती है वहीं यूके में ऐसा करने वाले 56 फीसदी हैं और यूएस में 52 फीसदी लोग ऐसा करते हैं. साइबर ठगों को आपकी आवाज की क्लोनिंग के लिए मात्र 3 सेकंड की क्लिप की जरूरत होती है. एक्सपर्ट मानते हैं कि वॉयस क्लोनिंग से 95 फीसदी तक आवाज की नकल की जा सकती है जिसकी वजह से 69 प्रतिशत लोग अपने ही परिचित की आवाज की क्लोनिंग को पहचान नहीं पाते हैं.

कॉल आए तो घबराएं नहीं

आज डीपफेक और वॉयस क्लोनिंग के जरिए फ्रॉड करने का ट्रेंड काफी ज्यादा बढ़ गया है. ये जालसाज आपके द्वारा सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म पर डाली गई वीडियोज के जरिए आपकी या आपके किसी परिचित की आवाज बेहद आसानी से क्लोन कर लेते हैं. आज ऑनलाइन प्लेटफार्म पर कई ऐसी फ्री वेबसाइटस हैं जहां से आप किसी की भी आवाज की क्लोनिंग कर सकते हैं और इसकी मदद से आपको या आपके किसी रिश्तेदार को फोन करके इमोशनल ब्लैकमेल करके और परेशानी बताकर पैसों की मदद मांगते हैं. कई बार ये आपके बच्चे को अगवा करने की भी बात करते हैं और उसकी आवाज आपको सुना देते हैं जिससे घबराकर आप उन्हें पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. ये सब इतनी जल्दी होता है कि आप असली और नकली आवाज में पहचान करना भूल जाते हैं.

वॉयस क्लोनिंग के लिए जरूरी बातें

एआई एक्सपर्ट बताते हैं कि आवाज में तीन चीजें महत्त्वपूर्ण होती हैं आवाज की पिच, वेवलेंथ और फ्रिक्वेंसी. जिसे किसी भी एआई मोड्यूल के जरिए मैच किया जा सकता है और इन ऑनलाइन ऐप के जरिए आवाज को हूबहू कॉपी कर लिया जाता है. जिसके बाद वो किसी की भी आवाज की नकल कर सकते हैं.

कैसे बचें इस तरह के फ्रॉड से

इससे बचने का तरीका है कि आप अपने बच्चों के साथ-साथ उनके दोस्तों और टीचर का नंबर जरूर रखें. अगर वो आपसे कहें कि आपका बच्चा अगवा हो गया है और उसकी आवाज भी सुनाएं तो एक मिनट रुककर किसी दूसरे फोन से कंफर्म जरूर कर लें कि आपका बच्चा कहां और किस स्थिति में है. तुरंत किसी भी कॉल पर यूं ही विश्वास न करें और घबराएं नहीं, क्योंकि वो आपकी इसी घबराहट का फायदा उठाते हैं.

इस तरह के किसी भी फ्रॉड से बचने का सही तरीका है जागरूक रहना क्योंकि एआई की मदद से आज ये साइबर ठग नई-नई तकनीक का इस्तेमाल कर लोगों को चूना लगा रहे हैं. ऐसे में आपकी समझदारी और सतर्कता ही आपको इन साइबर जालसाजों से बचा सकती है

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