देश जब Coronavirus के संकट से जूझ रहा है। तब दूसरी ओर महाराष्ट्र में शिवसेना सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। CM उद्धव ठाकरे की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है। उद्धव CM तो बन गये हैं, लेकिन अभी तक वो न तो राज्य की विधानसभा के सदस्य बन पाये हैं और न ही विधान परिषद के सदस्य। अगर वह किसी भी सदन के सदस्य नहीं बन पाते हैं तो उन्हें CM की कुर्सी छोड़नी छोड़नी पड़ेगी।
इस बीच उद्धव ने खुद को विधान पार्षद मनोनीत करने को लेकर राज्यपाल के फैसले पर असमंजस के बीच, बुधवार को PM नरेन्द्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। सूत्रों की मानें तो ठाकरे ने PM मोदी से फोन पर बात कर उन्हें बताया कि राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिशें की जा रही हैं। उन्होंने कहा, COVID-19 से जूझ रहे महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में राजनीतिक अस्थिरता ठीक नहीं है। ठाकरे ने मोदी से इस मामले में दखल देने की अपील की।
इससे एक दिन पहले महाराष्ट्र में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के सत्तारूढ़ गठबंधन महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के नेताओं ने राज्यपाल बी एस कोश्यारी से मुलाकात कर उनसे अपने कोटे से ठाकरे को विधान पार्षद मनोनीत करने की एक बार फिर सिफारिश की थी।
पहली सिफारिश 9 अप्रैल को राज्य के मंत्रिमंडल ने की थी। ठाकरे ने 28 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र के CM पद की शपथ ली थी। 28 मई को उनके कार्यकाल के छह महीने पूरे हो जाएंगे, लेकिन अभी तक न तो वह राज्य की विधानसभा के और न ही विधान परिषद के सदस्य हैं। अगर वह किसी भी सदन के सदस्य नहीं बन पाते हैं तो उन्हें CM की कुर्सी छोड़नी छोड़नी पड़ेगी। उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व में गठबंधन नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें मंत्रिमंडल के फैसले की एक प्रति सौंपी।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य एक वरिष्ठ मंत्री ने बताया कि उन्होंने राज्यपाल से इस मामले पर फैसला जल्द लेने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल का फैसला कानून के हिसाब से वैध है और राज्यपाल मंत्रिमंडल के फैसले का स्वीकार करने के लिये बाध्य हैं।
मंत्री ने कहा कि इस पर राज्यपाल ने कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर अपने फैसले की जानकारी देंगे। Coronavirus महामारी के चलते चुनाव स्थगित कर दिये गए हैं, लिहाजा ठाकरे द्वि-वार्षिक चुनाव के जरिये विधान परिषद के सदस्य नहीं बन सकते।