CAA के खिलाफ प्रदर्शन को सरकार दे रही साम्प्रदायिक रंग: CPIM

नागरिकता संशोधन कानून और NRC के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान सीपीआईएम व अन्य वामदली दलों पर कार्रवाई के विरोध में कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने शनिवार को प्रदेश कार्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस की। प्रदर्शन के बाद पुलिस की ओर से पार्टी कार्यालयों पर छापेमारी, कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी सहित एमयू के छात्रों पर बर्बर हमलों के खिलाफ विरोध दर्ज कराया और निंदा की।

कम्युनिस्ट नेता ज्ञान शंकर मजनू दार ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने वालों को कुचलने का काम कर रही है। सरकार NRC और CAA के खिलाफ हुए आंदोलन को कानून-व्यवस्था का मुद्दा बना रही है। सरकार वामदलों और अन्य धर्मनिरपेक्ष पार्टियों की ओर से किये गए विरोध प्रदर्शन को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही है ताकि लोगों का ध्यान भटकाया जा सके।

उन्होंने आगे कहा कि भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मांग करती है कि, प्रदेश भर में CAA व NRC के खिलाफ प्रर्दशन के दौरान हुईं 22 व्यक्तियों की मौत व हिंसा की न्यायिक जांच कराई जाए। प्रदर्शन के दौरान मारे गये व घायल लोगों को मुआवजा दिया जाय। वाराणसी व लखनऊ में जेल भेजे गये लोगों को तत्काल रिहा किया जाय। शांतिपूर्ण विरोध करने के संवैधानिक अधिकार को राज्य में बहाल किया जाए।

ज्ञान शंकर ने बताया कि निर्णय लिया गया है कि वामदल सम्मलित रूप से 30 दिसम्बर को ‘सविधान बचाओ दिवस’ के रूप में मनाने व डॉ. भीम राव अम्बेडकर की प्रतिमा के सामने सामूहिक रूप से संविधान की प्रस्तावना का पाठ करेंगे और ज्ञापन देंगे। साथ ही उत्तर प्रदेश सहित देश में वामपंथी दलों ने 1 से 7 जनवरी तक CAA व NRC के विरोध में अभियान चलाने व 8 जनवरी 2020 के मजदूरों व किसानों की आम हड़ताल का समर्थन किया है।

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