जिस तेजी के साथ कोरोना वायरस की रफ्तार पूरी दुनिया के बढ़ती जा रही है उसने तमाम छोटे बड़े देशों को डरा दिया है। कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए भारत समेत अन्य कई देशों में लॉकडाउन किया गया है। भारत में भी कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन 3 मई तक के लिए आगे बढ़ा दिया है। लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में कैद हो गए हैं जिससे उनकी मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। सेहत के अलावा, लॉकडाउन से लोगों की आजीविका पर भी संकट पैदा हो गया है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन कहना है कि कोरोना वायरस मानव जाति का लंबे वक्त तक पीछा करता रहेगा। जब तक इसकी कोई वैक्सीन की खोज नहीं हो जाती, कोरोना वायरस का प्रकोप जारी रहेगा।
वहीं दूसरी ओर हार्वर्ड चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में ग्लोबल हेल्थ इकोनॉमिस्ट एरिक फिगेल डिंग की माने तो शायद अभी हमें एक या दो महीने तक लॉकडाउन में रहना पड़े। ये बात तय है कि कोरोना वायरस अगले तीन हफ्तों में गायब नहीं होने वाला है, हम वुहान से चाहे जितनी तुलना करने की कोशिश करें लेकिन ये संभव नहीं है। इसलिए कम से कम दो महीने या उससे ज्यादा का वक्त लग जाएगा। अगर कोरोना वायरस की वैक्सीन 12 महीने से पहले आ जाती है तो हम जल्द से जल्द सभी लोगों को वैक्सीन से सुरक्षित करना शुरू कर देंगे।
इसके साथ ही अमेरिकी कोरोना वायरस टास्कफोर्स के सदस्य और महामारी विशेषज्ञों का भी यहीं कहना है कि इसका अंंत अगले एक या दो महीनों में खत्म नहीं होगा। कोरोना वायरस का जड़ से खत्म होना मुश्किल है, हो सकता है कि ये सीजनल बीमारी का रूप धारण कर ले। कोरोना वायरस की महामारी बेहद चुनौतीपूर्ण है क्योंकि लोगों के शरीर में बिना लक्षण नजर आए संक्रमण हो सकता है और वे दूसरे लोगों में भी संक्रमण फैला सकते हैं। कुछ अन्य वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले कुछ महीनों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में गिरावट देखने को मिल सकती है। हालांकि, सर्दी के आते ही कोरोना वायरस के मामले फिर से बढ़ सकते हैं।