हिंदू आतंकवाद के मुद्दे पर कांग्रेस और BJP आमने-सामने आ गई हैं। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी के हिंदू आतंकवाद पर दिए गए बयान के बाद BJP में इसको लेकर खलबली मच गई है। BJP के जीवीएल Narasimha Rao ने अधीर रंजन के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि हम कांग्रेस के हिंदू आतंकवाद के विचार और लश्कर, ISI की 26/11 रणनीति के बीच एक संबंध देख सकते हैं। क्या भारत का कोई व्यक्ति ISI को आतंकवादियों को हिंदू पहचान देने के लिए हैंडलर के रूप में मदद कर रहा है ? क्या दिग्विजय सिंह हैंडलर के रूप में काम कर रहे थे ? कांग्रेस को इसका जवाब देना चाहिए।
इससे पहले कांग्रेस और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के उस बयान पर टिप्पणी की है, जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर 26/11 हमले के बाद झूठे हिंदू आतंकवाद मुद्दे को खड़ा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जब ‘हिंदू आतंक’ शब्द गढ़ा गया था तब एक अलग पृष्ठभूमि थी। मक्का मस्जिद में विस्फोट हुआ था और प्रज्ञा ठाकुर, अन्य को तब गिरफ्तार किया गया था। आतंकवादी हमेशा छलावा करते हैं। वे अपनी वास्तविक पहचान के साथ हमलों को अंजाम नहीं देते हैं। 26/11 के समय UPA सरकार थी जिसने हमले के बारे में सब कुछ बताया। बाद में UPA के शासनकाल में अजमल कसाब को फांसी दी गई थी।
दरअसल यह पूरा विवाद मुबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर और 26/11 आतंकी हमले की जांच करने वाले राकेश मारिया की किताब ‘लेट मी से इट नाउ’ के विमोचन के बाद शुरू हुआ। मारिया की पुस्तक ‘लेट मी से इट नाउ’ का सोमवार को विमोचन हुआ। राकेश मारिया ने अपनी किताब में सनसनीखेज राज उजागर किए हैं। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान और उसकी सह पर काम करने वाले आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने मुंबई हमले को हिंदू आतंक’ का रंग देने की गहरी साजिश रची थी। लेकिन आतंकवादी अजमल कसाब के जिंदा पकड़े जाने से उनकी साजिश नाकाम हो गई थी।
इस किताब पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद के नाम पर देश को गुमराह करने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि इसका खामियाजा कांग्रेस को साल 2014 औऱ 2019 में भुगतना पड़ा। जनता ने उन्हें पूरी तरह से हराया। मारिया की किताब पर पीयूष गोयल ने कहा कि ये बातें उन्हें तब बोलनी चाहिए थीं जब वो पुलिस कमिश्नर थे। गोयल ने सवाल किया कि मारिया ने ये सब बातें अभी क्यों बोला?
उन्होंने आगे कहा है कि लश्कर ने कसाब के हाथ में कलावा बांधकर भेजा था। उसके पास बेंगलुरु निवासी समीर चौधरी के नाम से पहचान पत्र भी था। अगर पाकिस्तान और लश्कर की योजना के अनुसार कसाब भी मार दिया गया होता तो हमले को हिंदू आतंक’ का रूप दे दिया गया होता। तब मीडिया में इसे हिंदू आतंक’ का कारनामा बताया जाता। अखबारों में ‘हिंदू आतंकवाद’ के नाम पर बड़ी-बड़ी हेडलाइन होती, न्यूज चैनलों पर हिंदू आतंक के नाम से ब्रेकिंग खबरें चलती। कसाब के बेंगलुरु स्थित घर पर उसके परिवार और पड़ोसियों से बात करने के लिए मीडिया की लाइन लग गई होती, लेकिन कसाब पाकिस्तान के फरीदकोट का अजमल आमिर कसाब निकला।
मारिया ने यह भी कहा है कि लश्कर ने दूसरे आतंकियों के भी भारत में पते वाले पहचान पत्र बनाए थे। कसाब का फोटो जारी होने के सवाल पर उन्होंने कहा है कि यह केंद्रीय एजेंसियों का काम था। मुंबई पुलिस ने तो कसाब की पहचान छिपाने की पूरी कोशिश की थी, क्योंकि उसकी जान को खतरा था।