यूपी में उलेमाओं के दर पर कांग्रेस, अखिलेश की चूलें हिलाने का प्लान

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने अपनी सियासी जमीन वापस हासिल करने के लिए एक ब्लू प्रिंट तैयार किया है. राज्य में पार्टी ने मुस्लिम मतदाताओं को साधने के लिए नई तैयारी की है. अगले महीने मुस्लिम धर्मगुरुओं का एक सम्मेलन बुलाया जा रहा है, जहां इन बातों पर चर्चा की उम्मीद है कि मुस्लिम मतदाता कैसे अपने मतदान का सही इस्तेमाल करें? फिलहाल धर्मगुरुओं को चिट्ठी लिखकर लामबंद किया जा रहा है.

उत्तर प्रदेश में तमाम कोशिशों के बाद भी जनाधार बढ़ा पाने में असफल होने के बाद कांग्रेस की नजर अब सपा की सियासी जमीन पर है. नब्बे के दशक में सपा ने कांग्रेस के मुस्लिम वोटबैंक को अपने साथ जोड़कर राजनीतिक बुलंदी हासिल की थी, लेकिन साढ़े तीन दशक के बाद कांग्रेस ने दोबारा से मुस्लिमों का विश्वास जीतने का प्लान बनाया है. कांग्रेस मुस्लिम धर्मगुरुओं यानि मौलाना-उलेमा और मस्जिद के इमामों के सहारे मुस्लिमों को साधने कवायद शुरू कर रही है. कांग्रेस सूबे में उलेमाओं का एक बड़ा सम्मेलन करने जा रही है. इसके अलावा उलेमा और मौलाना को पत्र लिखकर बीजेपी से होशियार करने और मुसलमानों के हक में कांग्रेस द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत कराएगी.

यूपी में 22 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जो सूबे की 28 से 30 लोकसभा सीटों पर अपना असर रखते हैं. इनमें से 8 से 10 सीटों पर मुस्लिम 35 से 50 फीसदी के बीच हैं, तो 20 से 22 सीटों पर 35 से 20 फीसदी के बीच हैं. इनमें ज्यादातर सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तराई इलाके और पूर्वांचल की हैं. आजादी के बाद से लेकर नब्बे के दशक तक सूबे का मुस्लिम मतदाता कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता था, लेकिन राममंदिर आंदोलन के दौरान मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलवा कर मुस्लिम समाज पर अपनी पकड़ को मजबूत कर लिया. इसके बाद से मुस्लिम समुदाय सपा का कोर वोटबैंक बन गया. 2022 के चुनाव में तो 87 फीसदी मुस्लिमों ने सपा के पक्ष में वोट किया, लेकिन अब कांग्रेस मुस्लिम वोटों का दोबारा से जोड़ने का मिशन शुरू कर रही है.

कांग्रेस का उलेमा सम्मेलन

कांग्रेस की यूपी अल्पसंख्यक कमेटी ने दिसंबर में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में उलेमाओं का एक बड़ा सम्मेलन करने जा रही है. इसके बाद दूसरा मुस्लिम सम्मलेन रुहुलेखंड के बरेली या मुरादाबाद में कराने का प्लान बनाया है. इसी तरह से पूर्वांचल और सेंट्रल यूपी में भी सम्मेलन की रूपरेखा बनाई गई है. अल्पसंख्यक कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने बताया कि सूबे के अलग-अलग इलाके में उलेमाओं का सम्मेलन करने की योजना बनाई गई है. दिसंबर के दूसरे सप्ताह 16 से 18 दिसंबर में पहला सम्मेलन मुजफ्फरनगर जिले में कराने की संभावना है.

उलेमाओं का पत्र लिखेंगी कांग्रेस

यूपी कांग्रेस अल्पसंख्यक कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से मुस्लिम उलेमाओं का पत्र भेजा जा रहा है. पहले राउंड में सूबे के 500 उलेमाओं को पत्र लिखा गया है और हर 15 दिन पर उलेमाओं को पत्र लिखने का सिलसिला जारी रहेगा. उलेमाओं को लिखे गए पत्र में बीजेपी के सत्ता में आने से मुस्लिमों के सामने किस तरह की चुनौतियां आई हैं, उसका जिक्र किया गया है. इसके साथ ही कह गया है कि मुस्लिमों को कैसे राजनीति में हाशिए पर डाला जा रहा है और मुस्लिम सियासत खत्म की जा रही है.

यूपी कांग्रेस अल्पसंख्यक कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से मुस्लिम उलेमाओं का पत्र भेजा जा रहा है. पहले राउंड में सूबे के 500 उलेमाओं को पत्र लिखा गया है और हर 15 दिन पर उलेमाओं को पत्र लिखने का सिलसिला जारी रहेगा. उलेमाओं को लिखे गए पत्र में बीजेपी के सत्ता में आने से मुस्लिमों के सामने किस तरह की चुनौतियां आई हैं, उसका जिक्र किया गया है. इसके साथ ही कह गया है कि मुस्लिमों को कैसे राजनीति में हाशिए पर डाला जा रहा है और मुस्लिम सियासत खत्म की जा रही है.

उलेमाओं को लिखे गए पत्र में जिक्र किया गया है कि मौजूदा समय में मुस्लिमों की छवि एक नेगेटिव वोटर्स की बन गई है, जिसकी एक ही जिम्मेदारी हर एक चुनाव में सिर्फ बीजेपी को हराने वाली है. इस छवि को बदलने और सकारात्मक वोटिंग करने की बात कही गई है और लिखा गया है कि सत्ता से राहत मांगने के बजाय मुल्क के निजाम चलाने में हिस्सेदार बनें.

पत्र में कांग्रेस के द्वारा देश के अलग-अलग राज्यों में मुस्लिम समुदाय से बनाए गए मुख्यमंत्रियों के नाम का जिक्र किया है. सैयदा अनवरा तैमूर से लेकर अब्दुल रहमान अंतुले, अब्दुल गफूर और बरकतुल्ला खान के नाम का उल्लेख किया है. यह तब हो सका है, जब मुस्लिम किसी को हराने के बजाय कांग्रेस को जिताने के लिए वोटिंग करते थे. इसी तरह की पॉजिटिव वोटिंग करनी होगी, क्योंकि सकारात्मक वोटिंग की वजह से मुस्लिम सांसदों की संख्या 49 तक पहुंच गई थी.

कांग्रेस के आला नेता भी लिखेंगे उलेमाओं को पत्र

शहनवाज आलम ने बताया कि उलेमाओं को हर 15 दिन पर ऐसे ही पत्र लिखे जाएंगे. हर बार अलग-अलग विषय पर लिखना है. यह पत्र सिर्फ अल्पसंख्यक कमेटी की तरफ से ही नहीं बल्कि आने वाले समय में प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी की तरफ से उलेमाओं को लिखा जाएगा. कांग्रेस ने यूपी में मुस्लिम समुदाय के मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठाने और उनके साथ खड़े रहने के लिए प्रतिबद्ध है. मुस्लिम समुदाय भी साढ़े तीन दशकों में अलग-अलग दलों को वोटर देकर सियासी प्रयोग कर लिए हैं, लेकिन स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती जा रही है.

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी जिस तरह मुस्लिमों के मुद्दे को उठा रही है और जमीनी स्तर पर उतरकर लड़ रही है, यह बात मुस्लिम समुदाय देख रहा है. भारत जोड़ो यात्रा नफरत के खिलाफ थी और राहुल गांधी ने जिस तरह से देश की धर्मनिरपेक्षता के लिए लड़ रहे हैं, उससे मुस्लिम समुदाय वाकिफ है और उलेमाओं का सम्मलेन में कांग्रेस कैसे मुस्लिमों के साथ है, इसे वाकिफ कराया जाएगा. कांग्रेस उलेमाओं को पत्र लिखकर उनके साथ मजबूत रिश्ता कायम करना चाहती है. अजय राय ने प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से मुस्लिम संगठनों के साथ मुलाकात कर चुके हैं. उन्होंने लखनऊ में मुस्लिम बुद्धजीवि के साथ बैठक की थी तो बनारस में उलेमाओं और इमाम के साथ मुलाकात किया है.

बता दें कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपने तीन दशक से चले आ रहे सत्ता के वनवास को खत्म करने के लिए मुस्लिम वोटों पर नजर गड़ाए हुए हैं. कांग्रेस मुस्लिम वोटों क साधने के लिए तमाम जतन कर रही हैं. सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन के दौरान प्रियंका गांधी ने मुसलमानों के साथ खुल कर खड़े होने की कोशिश की थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में मुस्लिमों का वोट सपा को एकमुश्त मिला था. मुस्लिमों ने यह वोट बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के मद्देनजर दिया था. यही वजह है कि कांग्रेस उलेमाओं को लिखे पत्र में बीजेपी को हराने वाली नेगेटिव छवि को तोड़कर कांग्रेस के पक्ष में पॉजिटिव वोटिंग करने का संदेश दे रही है. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस का उलेमा दांव कितना सफल रहता है?

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