गर्माया NRC का मामला, BJP नेता कपिल मिश्रा ने केजरीवाल के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत

दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens) बड़ा चुनावी मुद्दा बनता दिखाई दे रहा है। एनआरसी को लेकर बुधवार को चर्चा के दौरान CM केजरीवाल के बयान ‘दिल्ली में एनआरसी लागू होगा तो सबसे पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को दिल्ली छोड़नी होगी’ पर सियासत तेज हो गई है।

ताजा घटनाक्रम में बृहस्पतिवार को भाजपा नेता कपिल मिश्रा (BJP Leader Kapil Mishra) ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister of Delhi Arvind Kejriwal) और विधायक सौरभ भारद्वाज (AAP MLA Saurabh Bhardwaj) के खिलाफ पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में शिकायत दर्ज कराई है। यह शिकायत भाजपा नेता कपिल मिश्रा के साथ नीलकांत बख्शी ने भी दर्ज करवाई है।
मिली जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा विधायक सौरभ भारद्वाज के ख़िलाफ़ अफवाह फैलाने, शांति भंग करने का प्रयास करने, जानबूझकर सोशल मीडिया के माध्यम से झूठ प्रचारित करने के साथ दिल्ली में रह रहे यूपी बिहार के निवासियों की भावनाओ को चोट पहुंचाने की भी शिकायत दर्ज करवाई गई है।

यह है पूरा मामला

बुधवार को दिल्ली सचिवालय में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यदि दिल्ली में एनआरसी लागू होगा तो सबसे पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को दिल्ली छोड़नी होगी।

आम आदमी पार्टी (AAP) के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में एनआरसी लागू कर भाजपा यहां से बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों को भगाना चाहती है। एनआरसी में 1971 से पहले के आवासीय प्रमाण पत्र वालों को ही दिल्ली का माना गया है। उन्होंने कहा कि मैं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी से पूछना चाहता हूं कि क्या उनके पास 1971 से पहले का दिल्ली का आवासीय प्रमाण पत्र है? भाजपा किसी न किसी तरह से उत्तर प्रदेश और बिहार के गरीब और मासूम लोगों को अपना निशाना बनाने का षड्यंत्र करती रहती है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अगर पिछले पांच सालों में मनोज तिवारी एक दिन भी अपने कार्यालय में बैठकर क्षेत्र की जनता से मिले होते तो उन्हें समझ में आता कि लोगों को इस मामले में कितनी परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि एक विधायक होने के नाते मैं और मेरे साथी बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि जब कोई महिला विधवा पेंशन या बुजुर्ग अपनी पेंशन के लिए कार्यालय में हमसे मिलने आते हैं तो तय कानून के मुताबिक पांच साल पुराना आवासीय प्रमाण भी उपलब्ध कराना मुश्किल होता है। तिवारी जी चाहते हैं कि इस प्रस्ताव के तहत दिल्ली में रहने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार तथा अन्य राज्यों के लोगों से 1971 का प्रमाण मांगा जाए।

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