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चुनावी चक्कलस: कानपुर कैंट विधानसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा, जानिए इससे जुड़ी हर अपडेट

कानपुर को पूर्व का मैनचेस्टर भी कहा जाता है. वहीं औद्योगिक नगरी होने के चलते इसका इतिहास अंग्रेजी हुकूमत से भी जुड़ा है. कानपुर जिले में 10 विधानसभा सीटें हैं. 2017 विधानसभा चुनाव में मोदी मैजिक का असर कानपुर की 10 सीटों पर चला. जिसके चलते बीजेपी ने जिले की 10 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज की. कानपुर कैंट विधानसभा सीट (Kanpur Cantt Assembly Seat) पर 2017 में कांग्रेस के सोहेल अंसारी ने जीत दर्ज की. मुस्लिम बाहुल्य होने के कारण पहली बार कांग्रेस का कोई प्रत्याशी इस सीट से जीत सका. इस सीट पर 40 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाता कांग्रेस को मजबूती प्रदान करते हैं. वहीं अब इस सीट पर भाजपा दोबारा काबिज होना चाहती है. जिसके लिए भाजपा 2022 चुनाव में जीत की रणनीति बनाने में जुट गई है. जानिए क्या है इस सीट का समीकरण…

कानपुर जिले की कैंट विधानसभा क्षेत्र (Kanpur Cantt Assembly Seat) मुस्लिम बाहुल्य है. इस सीट पर जीत को तय करने का काम 40 फ़ीसद मुस्लिम मतदाता करते हैं. 2012 में इस विधानसभा सीट से बीजेपी के रघुनंदन सिंह भदौरिया ने जीत दर्ज की थी.

वहीं कानपुर छावनी विधानसभा सीट (Kanpur Cantt Assembly Seat) पर 2017 में कुल 15 प्रत्याशियों ने चुनाव मैदान में अपनी दावेदारी ठोकी थी. लेकिन इस सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही था. भाजपा के हर रघुनंदन सिंह भदौरिया को कांग्रेस प्रत्याशी सोहेल अख्तर अंसारी से कड़ी चुनौती मिली. वहीं इस चुनाव में कांग्रेसी ने अपने मजबूत जातीय समीकरण का फायदा उठा कर इस सीट पर जीत दर्ज की. यह सीट मुस्लिम बहुत सीट है लेकिन इसके बावजूद भी 2012 में भाजपा के रघुनंदन सिंह भदौरिया ने जीत दर्ज की थी. कांग्रेस प्रत्याशी सोहिला अख्तर अंसारी को इस विधानसभा सीट (Kanpur Cantt Assembly Seat) पर 46 फ़ीसदी मत प्राप्त हुए. इस सीट पर बीते 26 साल से भाजपा का कब्जा रहा है लेकिन 2017 में मोदी लहर के बावजूद भाजपा अपनी इस सीट को बचा न सकी.

इस सीट (Kanpur Cantt Assembly Seat) पर 1991 से भाजपा जीतती रही है. भारतीय जनता पार्टी के सतीश महाना इस सीट पर पांच बार विधायक चुने गए. लेकिन भाजपा की जीत का यह सिलसिला 2017 के विधानसभा चुनाव तक ही जारी रहा. 17वीं विधानसभा में यहां पर कमल नहीं खिला, जबकि पूरे प्रदेश में मोदी लहर देखने को मिली. मतदाताओं ने 26 साल के बाद कांग्रेस के पंजे पर विश्वास जताया और सोहेल अंसारी ने 9364 वोट से जीत दर्ज की.

पहली बार इस विधानसभा सीट (Kanpur Cantt Assembly Seat) पर किसी मुस्लिम प्रत्याशी ने जीत दर्ज की. चुनाव में सोहेल अंसारी को 81169 वोट मिले, जबकि भाजपा (BJP) के रघुनंदन सिंह भदौरिया को 71805 मत प्राप्त हुए. वहीं इस बार भारतीय जनता पार्टी ने हारी हुई प्रमुख सीटों के लिए रणनीति बना ली है. इसमें कानपुर की कैंट विधानसभा सीट (Kanpur Cantt Assembly Seat) भी शामिल है. 2017 में कानपुर की 10 विधानसभा सीटों में से 7 सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी.

कुल मतदाता – 3 लाख 35 हजार 587

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