कोरोना हुआ गायब, घाटों पर उमड़ी भीड़, सूप में फल-ठेकुआ सजाकर श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया

छठ महापर्व की आस्था बिहार के घाटों पर बिखर गई है। घाटों पर हर तरफ श्रद्धालु दिखे और महापर्व मनाया गया। पटना में गंगा के घाटों पर श्रद्धालु सूप पर फल, ठेकुए, कसार सजाकर पहुंचे। इन्हें छठी मइया को अर्पित किया गया। श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

पटना के घाटों पर भीड़ उमड़ी। लोग मास्क पहने नजर तो आए पर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिखीं। घाटों पर ही चाट और गोलगप्पे की दुकानें सजीं। सेल्फी का दौर भी लगातार चला। शहर के पार्कों में बने तालाबों में भी लोगों ने छठ का पर्व मनाया। ज्यादातर जगहों पर घरों और अपार्टमेंट्स की छत पर भी पर्व मनाया गया। मनाही के बावजूद लोगों ने आतिशबाजी की।

पटना में प्रशासन ने लोगों से अपील की थी कि वो घर पर ही छठ मनाए। पर हर किसी के घर में इतनी जगह नहीं होती कि वो छठ मना सकें। ऐसे में लोग घाटों पर भी गए। प्रशासन ने पटना के 24 घाटों को खतरनाक घोषित कर रखा है। ऐसे में श्रद्धालुओं को घाट पर गाड़ी ले जाने की इजाजत नहीं दी गई। कई घाटों पर श्रद्धालुओं को 2-2 किलोमीटर दूर पैदल चलना पड़ा। गाड़ियों की पार्किंग, जाम की परेशानियां भी देखने को मिलीं।

सभी घाटों पर शांतिपूर्ण ढंग से छठ का पहला अर्घ्य दिया गया। बूढ़ानाथ घाट, माणिक सरकार घाट, दीप नगर घाट, आदमपुर घाट, खंजरपुर घाट, बड़ी खंजरपुर घाट, बरारी पुल घाट, बरारी घाट, मुसहरी घाट, बरारी सीढ़ी घाट, सबौर बाबू पुल घाट सहित अन्य पोखरों और तालाबों पर श्रद्धालुओं ने पहला अर्घ्य दिया।

मुजफ्फरपुर और गोपालगंज में गंडक नदी के किनारे व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य दिया। बक्सर, मुंगेर में गंगा घाटों पर लोगों ने अर्घ्य दिया। सीतामढ़ी में लखनदेई नदी सहित तालाबों पर श्रद्धालु छठ मनाने पहुंचे।

नदियों के घाटों पर न पुरोहित हैं, न मंत्रोच्चार। व्रती और भगवान सूर्य के बीच कोई नहीं है। भक्त और भगवान का सीधा संवाद है छठ। आज डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद अगली सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। चार दिन के इस पर्व में महिलाओं ने 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा है। छठ सभी जातियों और धर्मों को जोड़ने वाला महापर्व है और घाटों पर इसका नजारा साफ दिखाई पड़ा।

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