चंपई सोरेन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दादा को झारखंड चुनाव बाद बड़ा पद देने का वादा किया गया है. यह पद क्या होगा, इस पर फिलहाल चंपई के करीबी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं.
दिल्ली से रांची लौटने के बाद झारखंड की सियासत में यह सवाल तेजी से सुर्खियां बटोर रहा है कि आखिर बीजेपी में चंपई किस डील के साथ आए हैं? बुधवार को जब चंपई से बीजेपी में आने का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं नरेंद्र मोदी के काम को देखकर यहां आने का फैसला किया है.
हालांकि, चंपई सोरेन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दादा को झारखंड चुनाव के बाद बड़ा पद देने का वादा किया गया है. यह पद क्या होगा, इस पर फिलहाल चंपई के करीबी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं.
क्या चंपई को बीजेपी बनाएगी मुख्यमंत्री?
झारखंड में यह सवाल इसलिए उठा, क्योंकि जिस वक्त चंपई सोरेन असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के साथ गृहमंत्री अमित शाह से मिल रहे थे, उसी वक्त बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की.
कहा जा रहा है कि चंपई को बीजेपी में शामिल किए जाने से बाबू लाल मरांडी नाराज हैं. मरांडी की नाराजगी की 2 वजहें हैं -:
- बाबू लाल मरांडी जब 2020 में बीजेपी में आए, तो उन्हें पार्टी ने सबसे आगे किया था. बीजेपी के नेता बाबू लाल को आगे रखकर ही हेमंत से मुकाबला करने की बात कह रहे थे, लेकिन अब माहौल बदल चुका है. बीजेपी ने आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी है कि पार्टी झारखंड में बिना चेहरा चुनाव लड़ेगी.
- मरांडी के करीबियों का कहना है कि चंपई सोरेन को बीजेपी में लाने की पटकथा दिल्ली में लिखी गई. इस काम में बाबू लाल मरांडी को कॉन्फिडेंस में नहीं लिया गया, जबकि वे पार्टी के अध्यक्ष हैं. जब चंपई के अमित शाह के साथ तस्वीर आई तो उसमें भी बाबू लाल नहीं थे.
झारखंड बीजेपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चंपई के आने से पार्टी में एक मुख्यमंत्री का दावेदार तो जरूर बढ़ गया है. लोकसभा चुनाव के बाद सीएम पद की दावेदारी में सिर्फ बाबू लाल मरांडी का नाम था.
झारखंड में बीजेपी की तरफ से बाबू लाल मुख्यमंत्री होंगे या चंपई सोरेन, ये तीन बातों पर निर्भर करेगा. 1. झारखंड में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार आएगी या नहीं, 2. चंपई ज्यादा विधायक जीताकर लाएंगे या बाबूलाल और 3. दोनों अपनी-अपनी सीट जीत पाएंगे या नहीं?
राज्यपाल का पद और बेटे को टिकट देने की चर्चा
झारखंड के सियासी गलियारों में एक चर्चा ये भी है कि अगर चंपई सोरेन किसी कारण से आने वाले वक्त में राज्य के मुख्यमंत्री नहीं बन पाते हैं तो उन्हें किसी राज्य का राज्यपाल भी बनाया जा सकता है. हालांकि, न तो इसको लेकर बीजेपी की तरफ से अभी कुछ कहा गया है और न ही चंपई की तरफ से.
इसके अलावा बीजेपी से उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को सिंहभूम की घटशिला सीट से टिकट देने की बात कही जा रही है. बाबूलाल सोरेन लंबे वक्त से घटशिला में काम कर रहे हैं. इस सीट पर वर्तमान में जेएमएम के रामदास सोरेन का कब्जा है.
इन तमाम सियासी चर्चाओं और चंपई से बीजेपी के डील पर झारखंड भारतीय जनता पार्टी के एक नेता नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं- डील क्या है, यह सिर्फ अमित शाह और चंपई सोरेन जान रहे हैं. बाकी बातें माहौल बनाने के लिए कहा जा रहा है. चंपई नहीं चाहते हैं कि चुनाव से पहले उनके समर्थकों का मनोबल कमजोर पड़े, इसलिए बड़ी-बड़ी बातें चल रही है. <
वहीं इस पूरे मामले में सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा बीजेपी पर तंज कसते नजर आ रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोल्हान की एक रैली में कहा है कि इनके पास अपना नेता नहीं है. बीजेपी वाले विरोध करने के लिए बाहर से खरीद-खरीद कर नेता ला रहे हैं, लेकिन झारखंड की जनता होशियार है और इनके झांसे में नहीं पड़ेगी.
झामुमो में चंपई को क्या-क्या मिला?
चंपई सोरेन सबसे पहले 1991 के उपचुनाव में पहली बार सरायकेला सीट से विधायक चुने गए. 2009 में चंपई को पहली बार झारखंड सरकार में मंत्री बनाया गया. चंपई इसके बाद अर्जुन मुंडा और हेमंत सोरेन की सरकार में मंत्री बने. 2019 में वे जमशेदपुर सीट से लोकसभा के चुनाव में उतरे, लेकिन हार गए.
2024 के शुरुआत में जब हेमंत सोरेन जेल गए तो झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी.