दुर्गाष्टमी बुधवार को है। इस दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। कई जगह दुर्गाष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। कन्या पूजन पर गुलाबी रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। मां को हलवा-पूरी और चने का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा रामनवमी पर भी कई जगह कन्या पूजन किया जाता है। मां की कृपा से आलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। लेकिन भारत में कोरोना वायरस महामारी और Lockdown के चलते कन्या पूजन सही नहीं है। ज्योतिषियों का कहना है कि सुबह 9 से 10 बजे तक का समय कन्या पूजन के लिए अच्छा है, लेकिन इस समय कन्या पूजन न करना ही सही है। ऐसे में आप घर में ही पूजा कर मां को हलवा पूरी का भोग लगा लें।
कन्याओं की जगह मां के नौ रुपों की प्रार्थना कर उन्ही को कन्या पूजन कर लें। देवी महागौरी अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। महागौरी का पूजन-अर्चन, उपासना-आराधना कल्याणकारी है। इनकी कृपा से भक्तों को अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं। कहते हैं कि जो स्त्री मां की पूजा भक्ति भाव सहित करती है उसके सुहाग की रक्षा स्वयं देवी महागौरी करती हैं।
महागौरी को लगाएं नारियल का भोग : माता महागौरी को नारियल का भोग अत्यधिक प्रिय है। यही वजह है कि माता रानी को नारियल का भोग लगाया जाता है। नारियल का भोग लगाने से घर में सुख एवं समृद्धि का आगमन होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार महागौरी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। इसी कारण से इनका शरीर काला पड़ गया लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया। उनका रूप गौर वर्ण का हो गया, इसीलिए यह महागौरी कहलाईं।
एक और मान्यता के अनुसार एक भूखा सिंह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रहीं थीं। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गई, लेकिन वह देवी के तपस्या से उठने की प्रतीक्षा करते हुए वहीं बैठ गया। इस प्रतीक्षा में वह काफी कमजोर हो गया। देवी जब तप से उठीं तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आ गई। उन्होंने उसे भी अपना वाहन बना लिया क्योंकि वह उनकी तपस्या पूरी होने की प्रतीक्षा में स्वयं भी तप कर बैठा।