उत्तर प्रदेश में अगले साल चुनाव होना है। चुनाव से पहले भाजपा, बसपा, सपा और कांग्रेस सहित राज्य के सभी दल एक्टिव हो गए हैं। राज्य की पूर्व सीएम मायावती और उनकी पार्टी भी चुनाव को लेकर रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। साल 2007 में सोशल इंजीनियरिंग के जिस फॉर्मूले के जरिए बसपा ने यूपी की सत्ता पाई थी, पार्टी एकबार फिर से उसी को आजमाने की तैयारी कर रही है। इसी कड़ी में बसपा रामनगरी अयोध्या में आने वाली 23 जुलाई को ब्राह्मण सम्मेलन करने जा रही है।
मायवती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस ने कहा कि ब्राह्मण समाज के लोग भाजपा के बहकावे में आ गए, इनको वोट देकर सरकार बनवाई लेकिन क्या हुआ सबको पता है। मायावती ने कहा कि ब्राह्मण समाज के लोग अब पछता रहे है। ऐसे में ब्राह्मण समाज को जागरुक करने के लिए बसपा ब्राह्मण सम्मेलन करने जा रही है ताकि वो भाजपा के किसी भी बहकावे में नहीं आएंगे और साल 2007 की तरफ बसपा से जुड़ेंगे। मायावती ने कहा कि उन्हें दलितों पर बहुत नाज है कि वो टस से मस नहीं हुए और भाजपा के बहकावे में नहीं आए। मायावती ने कहा कि ब्राह्मणों को दलितों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
मायावती ने मीडिया से कहा कि उन्होंने पार्टी के सांसदों को संसद के मानसून सत्र में देश और लोगों के लाभ से संबंधित मामलों को उठाने का निर्देश दिया है। ऐसे कई मामले हैं जिन पर देश की जनता केंद्र सरकार से जवाबदेही चाहती है। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट औऱ गंभीर होकर सरकार को कटघरे में खड़े करना बहुत जरूरी है। उन्होंने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की उदासीनता बहुत दुखद है। सभी दलों को सरकार पर संसद में दबाव बनाना चाहिए।