लखनऊ- अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की स्पेशल CBI कोर्ट में अभी सभी आरोपियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी ) के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी का बयान दर्ज किए जा रहे हैं। BJP पार्टी के पुरोधा मुरली मनोहर जोशी जी का बयान 313 सीआरपीसी के न्यायालय में दर्ज किया गया है। अगले दिन शुक्रवार को पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का बयान दर्ज होने की उम्मीद है। वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी से लगभग 300 सवालों को पूछा गया। कुछ ऐसे प्रश्नों को भी पूछा गया जिनकी जानकारी उनको नहीं थी।
बाकी सवालों का उत्तर उन्होंने गलत के रूप में दिया है, या डिनये कर दिया है। नेता मुरली मनोहर जोशी अधिकतर हमको जानकारी नहीं थी यही उत्तर दिए है। उन्होंने कहा ये सर्व विदित है कि उस समय जब राम मंदिर का आंदोलन चल रहा था। माननीय आडवाणी जी के रथ यात्रा निकाली थी, तो वह पॉलिटिकल बनाने के लिए कांग्रेस की सरकार थी। पोलिटिकल रंग देने के लिए जरूर उन्होंने यह बात कही है, कि कांग्रेस के द्वारा राजनीतिक विद्वेष में मुकदमा दर्ज कराया गया है। जबकि भाजपा संगठनों द्वारा उसके जिम्मेदार नहीं थे। उसमें कुछ ऐसे असामाजिक तत्व भी प्रवेश हो गए थे। आगे जोशी ने कहा कि कार सेवकों के प्रवेश में इस घटना को अंजाम दिया गया था।
इसी साल 8 मई को सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ के स्पेशल CBI कोर्ट को 31 अगस्त तक इस केस में फैसला सुनाने का आदेश दिया था। उसके बाद से इस केस की दैनिक आधार पर नियमित सुनवाई हो रही है।
दरअसल बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड में कुल 49 लोगों को आरोपी बनाया गया। इनमें से बाला साहेब ठाकरे, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णुहरी डालमिया समेत 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है। बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड में लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, विनय कटियार, उमा भारती जैसे BJP के कई दिग्गज नेता आरोपी हैं। इस मामले में CBI कोर्ट में कुल 32 आरोपियों के बयान दर्ज होने हैं। अब तक 20 से ज्यादा आरोपियों के बयान दर्ज हो चुके हैं। इससे पहले 2 जुलाई को उमा भारती कोर्ट में अपना बयान दर्ज करा चुकी हैं।
ये है पूरा मामला
अयोध्या की बाबरी मस्जिद को लेकर विवाद था। हिंदुवादी नेताओं का दावा था कि मस्जिद श्रीराम जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़कर बनी है। मस्जिद को 1528 में बाबर के कमांडर मीर बाकी ने बनवाया था। इस पर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही अपना दावा ठोकते थे। 1885 से ही यह मामला अदालत में था। 1990 के दशक में BJP नेता लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में राम मंदिर आंदोलन जोर पकड़ने लगा। 6 दिसंबर 1992 को उन्मादी भीड़ ने मस्जिद को तोड़ दिया। इस मामले में आडवाणी, जोशी समेत कई BJP नेताओ पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज है। बाद में इस मामले की जांच CBI को सौंप दी गई।