कांग्रेस से दोगुना प्रचार, PM से लेकर CM तक ने दी धार, मध्य प्रदेश में क्या बचेगी शिवराज सरकार?

मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान होना है. प्रदेश में बीजेपी सरकार को बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र से लेकर बीजेपी शासित राज्यों के तमाम मुख्यमंत्रिय धुआंधार प्रचार किया. ये चुनाव पार्टी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि 2018 के चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. बाद में सिंधिया गुट के समर्थन से उसने कांग्रेस की सरकार गिराकर राज्य में अपनी सरकार बनाई थी. ऐसे में अब सत्ता पर कायम रहना बीजेपी एक बड़ा चैलेंज है.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का प्रचार बुधवार शाम थम गया और अब प्रत्याशी घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं. चुनावी जंग को फतह करने के लिए कांग्रेस और बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी. पिछले चुनाव के नतीजों से सबक लेते हुए बीजेपी ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. पीएम मोदी से लेकर अमित शाह और योगी आदित्यनाथ सहित बीजेपी के 39 नेताओं ने करीब 634 चुनावी रैलियों को संबोधित किया तो राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांध सहित 40 नेताओं ने 350 जनसभाएं कीं. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी नेताओं ने चुनाव करने के बाद शिवराज का राज बच पाता है कि नहीं?

एमपी चुनाव की घोषणा के बाद यानि आचार सहिंता लगने के बाद से 37 दिनों तक कांग्रेस और बीजेपी सहित क्षेत्रीय दलों के के छोटे बड़े तमाम नेताओं ने धुआंधार प्रचार किया. बीजेपी एमपी की शिवराज सरकार को बचाए रखने के लिए ताकत लगाई तो कांग्रेस ने सत्ता में वापसी के लिए हरसंभव कोशिश की और एक दूसरे पर जमकर निशाने साधे गए. कांग्रेस के लिए प्रियंका- राहुल- कमलनाथ-दिग्विजय सिंह ने जमकर पसीना बहाया तो बीजेपी के मोदी-शाह-योगी और शिवराज ने खूब मशक्कत की.

पीएम मोदी की 15 तो शाह की 21 रैलियां

बीजेपी ने इस बार मुख्यमंत्री पद पर किसी चेहरे को घोषित करने के बजाय पीएम मोदी के नाम और काम के दम पर चुनावी रणभूमि में उतरी थी. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमपी में 15 चुनावी जनसभाएं करके सत्ता विरोधी लहर को मात देने की कवायद की है. पीएम ने रतलाम, सीधी, सिवनी, खंडवा, दमोह, मुरैना, गुना, सतना, छतरपुर, नीमच, बड़मानी, इंदौर, बैतुल, शाजपुर और झाबुआ में जनसभाएं की हैं. साथ ही इंदौर में पीएम मोदी ने रोड शो करके बीजेपी के पक्ष में सियासी माहौल बनाने की कवायद करते नजर आए.

वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश के चुनावी अभियान को संभाल रखा था, जिसके चलते रैली ही नहीं उन्होंने अलग-अलग इलाकों में बैठकें भी करके सियासी समीकरण को दुरुस्त करने की रणनीति अपनाई थी. अमित शाह ने भी प्रदेश में 21 सभाएं की है, जिसमें भोपाल, जुन्नारदेव, जबलपुर, खजुराहो, रीवा, उज्जैन, इंदौर, ग्वालियर, करैरा, मानपुरा, भितरवार, पिछौरा, श्योपुर, धार और सिरोंज में रैली करके ग्वालियर-चंबल, महाकौशल और मालवा-निमाड़ सहित विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र को साधने का दांव चला.

शिवराज की 160 तो सिंधिया की 88 रैलियां

मध्य प्रदेश में बीजेपी की सत्ता को बचाए रखने का सबसे ज्यादा जिम्मा शिवराज सिंह चौहान के ऊपर रहा, क्योंकि वो लंबे समय से मुख्यमंत्री की गद्दी संभाल रहे हैं. सीएम शिवराज ने 160 जनसभाएं करके सत्ता को बचाए करके सभी जिलों को कवर किया है. इतना ही नही सूबे की करीब-करीब सभी सीटों को साधने की कोशिश की.. मुख्यमंत्री के बाद सबसे ज्यादा सभाएं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया, उन्होंने 17 दिन में 80 रैलियों को संबोधित किया. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 14 चुनावी जनसभाएं की हैं तो प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने 55 जनसभाएं की हैं. इसके अलावा राजनाथ सिंह से लेकर नितिन गडकरी, अनुराग ठाकुर और स्मृति ईरानी सहित बीजेपी के 39 नेताओं ने एमपी में चुनाव प्रचार किया.

बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों का कैंपेन

एमपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने दूसरे राज्यों के सीएम और डिप्टीसीएम को भी चुनाव प्रचार में जमकर इस्तेमाल किया. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा और गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने बीजेपी के पक्ष में माहौल बनने के लिए अलग- अलग इलाकों में जनसभाएं की. इसके अलावा महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक ने रैलियां संबोधित किया.

राहुल की 11 तो प्रियंका गांधी की 9 रैलियां

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता में वापसी के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने जमकर प्रचार किया. राहुल गांधी ने एमपी में कुल 11 रैलियां व रोड-शो किया, जिसमें अशोकनगर, चंदेरी, जबलपुर, सतना, राजपुर, जावद, टिमरनी, भोपाल, विदिशा और खरगपुर में जनसभा संबोधित किया. प्रियंका गांधी ने इंदौर, कुक्षी सांवेर, खातोगांव, रीवा, चित्रकूट, दतिया और सिहावल में चुनावी जनसभा करके कांग्रेस की सत्ता में आने की पठकथा लिखी है. इस दौरान प्रियंका ने शिवराज सिंह चौहान से लेकर सिंधिया तक को निशाने पर लिया तो राहुल गांधी ने शिवराज के साथ पीएम मोदी पर जमकर हमले किए और उन्हें ओबीसी विरोधी कठघरे में खड़ी करने की कोशिश की है.

कांग्रेस ने सत्ता में वापसी के लिए कीं 350 रैलियां

कांग्रेस ने शिवराज सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए 350 चुनावी जनसभाएं की हैं. राहुल और प्रियंका के ए सियासी माहौल बनाने की कोससिश की चुनावी कमान कमलनाथ ने खुद ही संभाल रखी थी. कमलनाथ ने करीब 114 रैलियां संबोधित किया तो दिग्विजय सिंह… 60 से ज्यादा रैलियां की है. सिंधिया के गढ़ में सचिन पायलट को कांग्रेस के जरिए चुनावी कैंपेन की रणनीति अपनायी. कांग्रेस ने रणदीप सुरजेवाला से लेकर राज बब्बर, इमरान प्रतापगढ़ी, अरुण यादव, कांतिलाल भुरिया, अजय सिंह और डॉ. गोविंद सिंह से भी रैलियां. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आधा दर्जन चुनावी जनसभा को संबोधित किया.

कांग्रेस का OBC तो BJP का हिंदुत्व पर दांव

मध्य प्रदेश में कांग्रेस ओबीसी के मुद्दे को उठाते हुए बीजेपी को घेरा तो शिवराज सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. राहुल गांधी से प्रियंका तक ने बीजेपी को ओबीसी विरोधी कठघरे में खड़े करने की कोशिश की है, लेकिन साथ ही शिवराज सिंह चौहान की सरकार क कमीशन वाली सरकार बताती नजर आई. इसके अलावा कमलनाथ सरकार के गिराने का आरोप भी बीजेपी पर मढ़ा और ज्योतिरादित्य सिंधिया को निशाने पर लेते हुए जमकर हमले किए. वहीं, बीजेपी ने सनातन और राम मंदिर जैसे मुद्दों को उठाते हुए कांग्रेस को हिंदू विरोधी बताने की कोशिश करती रही. पीएम मोदी से लेकर अमित शाह और शिवराज सिंह चौहान तक ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बेटे को सेट करने की इल्जाम लगाती रही.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1