राम से बना काम, क्या इस बार बीजेपी करेगी 400 पार?

राम नाम के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 लोकसभा का चुनावी बिगुल फूंक दिया है ताकि रिकॉर्ड सीटों के साथ सत्ता की हैट्रिक लगाकर इतिहास रचा जा सके. प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने साफ कहा कि राम सिर्फ हमारे नहीं हैं, राम तो सबके हैं. सदियों के इंतजार के बाद ये पल आया है. अब हम रुकेंगे नहीं. जाहिर है कि प्राण प्रतिष्ठा के बहाने पीएम मोदी ने सियासी एजेंडा सेट कर दिया.

रामलला के विराजमान होने के साथ ही देश पूरी तरह से राममय हो चुका है. अयोध्या में बने नए और भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है. रामनगरी दुल्हन की तरह फूलों से सजी हुई है तो घर-घर दीप जलाए जा रहे हैं. हवन से लेकर यज्ञ, भंडारे हुए और लोगों ने 22 जनवरी को दिवाली की तरह मनाया गया. अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर दुनिया भर की निगाहें थीं. ऐसे में पीएम मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा के बहाने सियासी एजेंडा सेट कर दिया है. यही वजह से कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम के नाम सरोकारों से 2024 लोकसभा का चुनावी बिगुल फूंक दिया है ताकि रिकॉर्ड सीटों के साथ सत्ता की हैट्रिक लगाकर इतिहास रचा जा सके?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अयोध्या में प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अपने संबोधन में कहा कि ‘हमारे राम आ गए हैं. रामलला अब टेंट में नहीं बल्कि दिव्य मंदिर में रहेंगे. साथ ही अपने लोगों को वर्तमान की उपलब्धि और भविष्य की चुनौतियां बताकर आगे की तैयारियां समझाईं. इसके साथ ही पीएम मोदी बताया कि राम सिर्फ़ हमारे नहीं हैं, राम तो सबके हैं. राम सिर्फ वर्तमान नहीं, राम अनंतकाल हैं. ये भारत का समय है और भारत अब आगे बढ़ने वाला है. सदियों के इंतज़ार के बाद ये पल आया है. अब हम रुकेंगे नहीं.

प्राण प्रतिष्ठा के बहाने सियासी एजेंडा सेट

प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन देश के सामाजिक-सियासी इतिहास में एक अहम मोड़ माना जा रहा है. पीएम मोदी ने एक तरह से यह संदेश देने की कोशिश की कि राम के नाम से सियासी गणित बिगड़ जाने वालों के नीतियों के चलते ही मंदिर नहीं बन पाया था और रामलला के टेंट में रहना पड़ रहा था. पीएम मोदी ने अपने 35 मिनट के भाषण में एक बार भी हिंदुत्व का नाम नहीं लिया, लेकिन 114 बार भगवान राम का नाम लेने से कोई चूक नहीं की. उन्होंने रामलला के अब टेंट में न रहने और मंदिर में आने की बात का उल्लेख करके रामलला के जन्मस्थान पर भव्य मंदिर निर्माण के संकल्प को पूरा करने की लोगों को याद दिलाई. इसके साथ सोशल इंजीनियरिंग से और मजबूती देने के लिए शबरी, हनुमान, जटायु, निषाद जैसे प्रतीकों का इस्तेमाल किया.

2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए अयोध्या में भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा अयोजन से पीएम मोदी ने जो सियासी एजेंडा सेट किया है, उसकी तोड़ आसानी से ढूंढ़ पाना विपक्ष के लिए बहुत आसान नहीं दिख रहा है. विपक्ष पहले ही कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर बैकफुट पर है और अब जिस तरह से पीएम मोदी ने यह समझाने का प्रयास किया कि अयोध्या में सिर्फ रामलला का मंदिर भर नहीं बना है बल्कि सांस्कृतिक सरोकार के तौर पर भी है. पीएम मोदी ने कहा कि चेतना का विस्तार देव से देश और राम से राष्ट्र तक होना चाहिए.

राम मंदिर की भव्यता को 2024 के चुनाव से पहले तक घर-घर तक पहुंचाने का भी बीजेपी ने प्लान बना रखा है, जिसके लिए हर गांव से लोगों को 24 जनवरी से राम मंदिर के दर्शन कराने का अभियान भी शुरू कर रही. इससे पहले प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण पत्र और अक्षत वितरण करने वालों तथा अयोध्या की धरती से भेजे गए अक्षतों का देश भर में घर-घर जिस तरह से लोगों ने श्रद्धा भाव से स्वागत किया है, उसके साथ ही राम के आने के उपलब्क्ष को त्योहार जैसा मनाने और दीप जलाए गए हैं, उसे भविष्य के लिए बड़ा सियासी संकेत माना जा रहा है.

क्या इस बार बीजेपी करेगी 400 पार?

बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 400 से ज्यादा सीटें जीतने का टारगेट तय कर रखा है. राम मंदिर का मामला धार्मिक है, लेकिन बीजेपी इसका इस्तेमाल बेहतर तरीके से करती रही है और कुशलता से विपक्ष को घेरने के लिए भी किया है. विपक्षी दलों में ख़ासकर कांग्रेस और तथाकथित सेकुलर दलों के खिलाफ माहौल बनाने में भी बीजेपी कामयाब होती दिख रही है. राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाने से इनकार कर कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन के साथियों ने जोखिम भरा कदम उठा चुकी है और अब जिस तरह का माहौल है, उससे सपा, कांग्रेस, आरजेडी जैसे दलों के लिए चुनौती बढ़ना लाजमी है.

राम मंदिर को सबसे बड़ी उपलब्धि बताने में जुटी BJP

बीजेपी राम मंदिर को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताने में जुट गई है. प्राण प्रतिष्ठा के माध्यम से बीजेपी ने विपक्ष को अगले आम चुनाव में पूरी तरह अलग-थलग कर देने की रणनीति है. राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को बीजेपी किसी एक मंदिर या सिर्फ भगवान राम से जोड़कर नहीं पेश कर रही है. इसे अपनी विरासत की वापसी के प्रतीक के रूप में पेश कर रही है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बीजेपी और पीएम मोदी ने देश का माहौल पूरी तरह से राममय कर दिया है, जिसके चलते विपक्ष के लिए बहुत ज्यादा राजनीतिक स्पेस उत्तर भारत के राज्यों में तो नहीं बच रहा है.

वह कहते हैं कि संघ जिस तरह से राम मंदिर को लेकर घर-घर माहौल बना रहा है, उससे बीजेपी के लिए जमीन तैयार हो गई है. राम मंदिर के सिवा कोई दूसरी बात हो ही नहीं रही है और लोग कुछ सुनना ही नहीं चाहते हैं, उनके लिए न तो रोजगार मुद्दा है और न ही महंगाई. ऐसे में अब कोई कुछ भी कर लें, लेकिन 2024 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस या विपक्षी दलों के लिए है ही नहीं. लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी अपना मुख्य एजेंडा राम मंदिर के इर्द-गिर्द रख रही है. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा लोगों को अपने इतिहास पर गर्व करने का मौका दे रही है. बीजेपी के इस नैरेटिव का काउंटर फिलहाल नहीं है.

उत्तर प्रदेश में सपा के सीनियर नेता ने भी माना कि बीजेपी राम मंदिर के नैरेटिव को स्थापित करने में पूरी सफल होती दिख रही है, क्योंकि ज्यादातर विपक्षी टों रामलला के प्रतिष्ठा वाले कार्यक्रम से दूरी बनाए रखा जबकि नरेंद्र मोदी ने खुद को समारोह के केंद्र में रखा. इस तरह सियासत करने का मौका दे दिया है. एक सोची समझी रणनीति के तहत बीजेपी और संघ के लोगों ने कारसेवकों पर चलाई गई घटना के बहाने सपा को हिंदू विरोधी कठघरे में खड़े करने की साजिश की है. बीजेपी ने राम मंदिर के बहाने एक बड़े वोटबैंक को अपने पक्ष में करने में काफी हद तक सफल होती दिख रही है जबकि उसे काउंटर करने के लिए पीडीए एक मजबूत सियासी हथियार साबित हो सकता है, लेकिन सिर्फ कागज तक ही सीमित है. जमीन पर उसे उतारने में सफल नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में किसी तरह का कोई भी गठबंधन कर लें, लेकिन जीत में तब्दील नहीं हो पा रहा है.

राम के बहाने पीएम मोदी ने दिया बड़ा संदेश

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में राम को आने की बात कहकर एक बड़ा सियासी संदेश देने की कवायद की गई है. पिछले चुनाव में नारा था, जो राम को लेकर आए हैं, उनको लेकर हम आएंगे. पीएम मोदी ने साफ तौर पर कहा कि प्रभु राम आ गए हैं और अब उन्हें टेंट में नहीं बल्कि भव्य राम मंदिर में रहना होगा. इस तरह संदेश दिया जा रहा हैकि बीजेपी और आरएसएस के चलते ही राम मंदिर का सपना साकार हुआ है. वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा के लिए जिस तरह से देशभर में झंडे बांटे गए और भजन-कीर्तन हुआ. इससे ये मैसेज देने की कोशिश की गई कि बीजेपी के चलते ही राम मंदिर का सपना साकार हुआ है.

2024 का लोकसभा चुनाव के केंद्र में राम मंदिर और राष्ट्रवाद को रख कर लड़ा जा रहा है. बीजेपी सरकार की नहीं मोदी की गारंटी की बात की जा रही है. प्रधानमंत्री ने राम को राष्ट्र से जोड़ने की कवायद करते दिखे हैं. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले पीएम मोदी ने दक्षिण के उन तमाम मंदिरों का भी दौरा किया, जहां से किसी न किसी रूप में राम का नाम जुड़ा रहा है. एक मजबूत सोशल इंजीनियरिंग बनाने के मद्देनजर पीएम ने कहा, हनुमान की राम भक्ति, श्रद्धा व समर्पण के गुण हर भारतीय में हों, ‘राम आएंगे’ का शबरी का अटूट विश्वास हर भारतीय में जागृत हो, निषादराज की राम के प्रति अपनत्व-बंधुत्व की भावना सबमें पैदा हो और गिलहरी के प्रयास की तरह हम सीखें, छोटे-बड़े हर प्रयास की अपनी ताकत होती है.

विपक्षी गठबंधन का अभी तक कोई ठोस प्लान नहीं

राम मंदिर के नैरेटिव को लोकसभा चुनाव में काउंटर करने का विपक्षी गठबंधन का कोई ठोस प्लान अभी तक नजर नहीं आया. 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. ऐसे में राम मंदिर कहीं ना कहीं बीजेपी के हिंदुत्व के नैरेटिव को और मजबूत करेगा. बीजेपी ऐसे मुद्दे को भुनाने की कोशिश जरूर करेगी, जिसके लिए उसने लंबा संघर्ष किया हो. विपक्ष भले ही महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे उठा रहा है, लेकिन राम मंदिर और राष्ट्रवाद के आगे वह उतना प्रभाव शायद ना छोड़ पाएं.

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में ना जाकर विपक्ष ने बीजेपी को उसे हिंदू और राम विरोधी ठहरा देने का भी मौका दे दिया है. कांग्रेस पर तो बीजेपी पहले ही भगवान राम को काल्पनिक कहने को लेकर हमलावर रहती ही है और प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर पीएम मोदी ने कहा वो भी एक समय था जब कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी, लेकिन ऐसे लोग बारत की धार्मिक और सामाजिक भाव को नहीं समझ पाए. ऐसे लोग भारत की समरसता को नहीं जानते हैं. राम मंदिर निर्माण किसी आग को नहीं ऊर्जा को जन्म दे रहा है.

माना जा रहा है कि INDIA गठबंधन राम मंदिर के मुद्दे पर जनता की नब्ज पकड़ने में नाकामयाब रहा है. इस स्थिति के बाद अब कांग्रेस समेत बाकी विपक्षी दलों की स्थिति बीजेपी के आगे फीकी पड़ सकती है. बीजेपी से मुकाबला करने के लिए विपक्ष देश की जनता के आगे भी वह कोई ठोस एजेंडा पेश नहीं कर पाई है. देश में बनी हिंदू भावना को देखते हुए विपक्षी नेता सॉफ्ट हिंदुत्व का भी प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी समावेशी राजनीति की तरफ बढ़ रही. बीजेपी इस बात को बेहतर तरीके से जानती है कि चार सौ पार का आंकड़ा सिर्फ राम मंदिर के सहारे नहीं हासिल किया जा सकता है, इसीलिए यह बताने की कोशिश की है राम हमारे नहीं बल्कि सबके हैं.

सारे राम भक्त बीजेपी के समर्थक नहीं

2024 का चुनाव सिर्फ राम मंदिर के भरोसे बीजेपी चुनाव नहीं जीत सकती. सारे राम भक्त बीजेपी के समर्थक नहीं हैं. अगर सारे हिंदू राम के नाम पर बीजेपी को वोट देते तो इसे कम से कम अस्सी फीसदी नहीं तो साठ फीसदी वोट मिलते ही. बीजेपी को 2019 में 37 फीसदी के करीब वोट उसे मिले थे और 303 लोकसभा सीटें उसके हिस्से में आई थी. लेकिन, 2024 के लोकसभा चुनाव में 50 फीसदी प्लस वोट हासिल करने की रणनीति है और 400 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए बीजेपी राम मंदिर के साथ राष्ट्रवाद के मुद्दे के साथ 2024 की चुनावी पिच तैयार की है.

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