पश्चिम बंगाल के अलावा असम, केरल, तमिलनाडु और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में भी विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। 27 मार्च को पहले चरण की वोटिंग है। वोटिंग से पहले वोटर का ओपनियन पोल सामने आया है। असम में NDA को सबसे ज्यादा सीटें मिलती नजर आ रही हैं, लेकिन वह बहुमत के आंकड़े से दूर नजर आ रही है। पुडुचेरी में NDA को 30 में से 21 सीटें मिल सकती हैं, जबकि UPA (कांग्रेस+DMK) को 9 सीटें मिल सकती हैं। इसी तरह, केरल में एक बार फिर वाममोर्चा की सरकार वापस लौटती दिख रही है। तमिलनाडु में UPA 177 सीटों के साथ सबसे बड़ा गठबंधन उभरकर आया है।
असम की कुल 126 सीटों की बात करें तो NDA को 69 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान जताया गया है। यह बहुमत के आंकड़े 74 से थोड़ी दूर है। 2016 के चुनाव में NDA को 74 सीटों पर जीत मिली थी। ऐसे में इस बार उसे 5 सीटों का नुकसान हो सकता है। वहीं, UPA को 56 सीटों पर जीत मिल सकती है। बीते चुनाव में उसके खाते में 39 सीटें थीं। इस तरह UPA को 17 सीटों पर बढ़त हासिल हो सकती है। निर्दलीय व अन्य को बड़ा नुकसान होता नजर आ रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में जहां उन्हें 13 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं इस चुनाव में उन्हें 12 सीटों का नुकसान होता नजर आ रहा है। इस चुनाव में उन्हें बस 1 सीट मिलती नजर आ रही है।
पुडुचेरी में NDA को 30 में से 21 सीटें मिल सकती हैं, जबकि यूपीए को 9 सीटें मिल सकती हैं। वोट शेयर की बात करें तो यहां NDA को 47.2% वोट मिलने का अनुमान है, जो 2016 के मुकाबले 16.7% अधिक होगा। वहीं यूपीए का वोट शेयर 2016 के जितना ही 39.5% रहने का अनुमान है। इस चुनाव में अन्य को वोट शेयर के मामले में नुकसान हो सकता है।
केरल में एक बार फिर वाममोर्चा की सरकार आना तय माना जा रहा है। वाम लोकतांत्रिक मोर्चे को 140 विधानसभा सीटों में से 77 सीटें मिलने का अनुमान है। अगर ऐसा होता है तो यह 2016 के मुकाबले 14 सीटें कम होंगी। पांच साल पहले के विधानसभा चुनाव में इसे 91 सीटें मिली थीं। संयुक्त लोकतांत्रिक फ्रंट को 62 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। बीजेपी को हालांकि एक ही सीट मिलने का अनुमान जताया गया था, जैसा कि 2016 में भी हुआ था, लेकिन इस चुनाव में BJP के वोट शेयर में बढ़ोतरी का अनुमान जताया गया है। 2016 के चुनाव में बीजेपी को जहां 15% वोट मिले थे। यहां CM के लिए अब भी पिनरायी विजयन लोगों के पसंदीदा उम्मीदवार हैं, जिन्हें 39.3% लोगों का समर्थन मिला है। ओमन चांडी (26.5%) लोगों की पसंद के साथ दूसरे और मुल्लापल्ली रामचंद्रन (8.8%) तीसरे नंबर पर हैं।
तमिलनाडु में यह चुनाव ऐसे समय में हो रहा है, जबकि राज्य की राजनीति में अहम प्रभाव रखने वाले दो सियासी दिग्गज एम करुणानिधि और जयललिता नहीं हैं। यहां AIADMK सत्ता में है, जिसके साथ मिलकर बीजेपी चुनाव लड़ रही है, जबकि कांग्रेस का गठबंधन DMK के साथ है। ओपिनियन पोल के मुताबिक इस चुनाव में AIADMK के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर देखने को मिल रही है। तमिलनाडु की 234 सीटों में UPA को 177 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान जताया गया है। UPA को 79 सीटों की बढ़त का अनुमान है। वहीं NDA को महज 49 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि 2016 में यह आंकड़ा 136 सीटों का था। NDA को 87 सीटों का नुकसान झेलना पड़ सकता है। तमिलनाडु के चुनाव में कमल हासन का असर भी देखा जा रहा है, लेकिन यह मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में है।