जानिए प्रणब मुख़र्जी की ज़िन्दगी का लेखा जोखा

प्रणव मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में किरनाहर शहर के निकट मिराती गाँव के एक ब्राह्मण परिवार में कामदा किंकर मुखर्जी और राजलक्ष्मी मुखर्जी के यहाँ हुआ था। उनके पिता 1920 से कांग्रेस पार्टी में सक्रिय होने के साथ पश्चिम बंगाल विधान परिषद में 1952 से 64 तक सदस्य और वीरभूम (पश्चिम बंगाल) जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके थे। उनके पिता एक सम्मानित स्वतन्त्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन की खिलाफत के परिणामस्वरूप 10 वर्षो से अधिक जेल की सजा भी काटी थी।प्रणव मुखर्जी ने सूरी (वीरभूम) के सूरी विद्यासागर कॉलेज में शिक्षा पाई, जो उस समय कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था।

10 अक्टूबर 2008 को मुखर्जी और अमेरिकी विदेश सचिव कोंडोलीजा राइस ने धारा 123 समझौते पर हस्ताक्षर किए। वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और अफ्रीकी विकास बैंक के प्रशासक बोर्ड के सदस्य भी थे। सन 1984 में उन्होंने IMF और विश्व बैंक से जुड़े ग्रुप-24 की बैठक की अध्यक्षता की। मई और नवम्बर 1995 के बीच उन्होंने सार्क मन्त्रिपरिषद सम्मेलन की अध्यक्षता की।

राजनीतिक जीवन :

सन 1980 में वे राज्य सभा में कांग्रेस पार्टी के नेता बनाये गए। इस दौरान मुख़र्जी को सबसे शक्तिशाली कैबिनेट मंत्री माना जाने लगा और प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में वे ही कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता करते थे। इंदिरा गाँधी के हत्या के बाद प्रणब मुख़र्जी को PM पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था पर राजीव गाँधी के PM बनते ही प्रणब को हासिये पर कर दिया गया। ऐसा माना जाता है की वे राजीव गांधी की समर्थक मण्डली के षड्यन्त्र का शिकार हुए जिसके बाद उन्हें मन्त्रिमणडल में भी शामिल नहीं किया गया।

इसके पश्चात उन्होंने कांग्रेस छोड़ अपने राजनीतिक दल ‘राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस’ का गठन किया पर सन 1989 में उन्होंने अपने दल का विलय कांग्रेस पार्टी में कर दिया। पी.वी. नरसिंह राव सरकार में उनका राजनीतिक कैरियर पुनर्जीवित हो उठा, जब उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया और सन 1995 में विदेश मन्त्री के तौर पर नियुक्त किया गया। उन्होंने नरसिंह राव मंत्रिमंडल में 1995 से 1996 तक पहली बार विदेश मन्त्री के रूप में कार्य किया।

सन 1997 में प्रणब को उत्कृष्ट सांसद चुना गया। प्रणब मुख़र्जी को गाँधी परिवार का वफादार माना जाता है और सोनिया गाँधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनवाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। सन 1998-99 में जब सोनिया गाँधी कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं तब उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया। प्रणब मुखर्जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता हैं। वह 1969 में राज्य सभा के सदस्य बने। वह सदन में 1975, 1981, 1993 और 1999 में पुनःनिर्वाचित हुए। 1973 में उन्हें संघ के उपमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। वह कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त हुए। उन्होंने सरकार के कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उन्होंने 25 जुलाई, 2012 को देश के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।

सन 2007 में प्रणब मुखर्जी को भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया। वे एक संजीदा व्यक्तित्व वाले नेता हैं। पार्टी के सामाजिक क्षेत्र में उनको पूर्ण सम्मान दिया जाता है। उन्हें भारतीय राजनीति, आर्थिक मामलों व नीतिगत मुद्दों की गहरी समझ है। उन्होंने भारत के प्रथम बंगाली राष्ट्रपति होने का गौरव प्राप्त किया। उन्हें एक संपूर्ण राजनीतिज्ञ माना जाता है। श्री मुखर्जी आइमफ वर्ल्ड बैंक के, एशियन डेवलपमेंट बैंक के और अफ्रीकन डेवलपमेंट बैंक के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर बने।

बाद मे उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम का वित्तय भार सम्भाला। उन्होंने भारतीय अर्थ व्यवस्था और राष्ट्रीय उत्थान के बारे में पुस्तक प्रकाशित की और उन्हें अपने जीवन में कई पुरस्कार भी मिले। पद्मभूषण 2008 में, बेस्ट पार्लियामेंट्रीयन अवार्ड 1997 में, बेस्ट पर्सन ऑफ़ इंडिया अवार्ड मिला। उन्होंने 2013 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ ढाका से वकालत के लिए डॉक्टर का सम्मान प्राप्त किया. वे अल्कड्स यूनिवर्सिटी से भी सम्मानित हुए. वे विश्व के प्रसिद्ध 5 वित्त मंत्रीयो में से एक कहलाये। 1984 में न्यू यॉर्क के यूरो मनी जनरल प्रकाशक के सर्वे द्वारा।

इमर्जिंग मार्किट से उनको 2010 में एशिया का वित्त मंत्री ऑफ़ दी इयर अवार्ड मिला। उनकी शादी शुवा मुखर्जी से हुई जो एक सिंगर थी। उनको 2 पुत्र और 1 पुत्री है. उन्हें अपना समय पुस्तक पढने में, गाने सुनने में व्यतीत करना पसंद है। जब सोनिया गांधी अनिच्छा के साथ राजनीति में शामिल होने के लिए राजी हुईं तब प्रणब मुखर्जी उनके प्रमुख परामर्शदाताओं में से एक थे. मुखर्जी की अमोघ निष्ठा और योग्यता ने उन्हें सोनिया गांधी के करीब ला दिया। इस वजह से जब 2004 में पार्टी सत्ता में आई तो उन्हें भारत के रक्षा मंत्री के प्रतिष्ठित पद पर पहुंचने में मदद मिली।

कई लोग मानते हैं कि पहले इंदिरा गांधी से बेहतरीन रिश्तों फिर राजीव से खट्टा-मीठा रिश्ता और बाद में सोनिया गांधी से सुनहरे रिश्ते निभाने के बाद ही आज प्रणब दा को यह मुकाम हासिल हुआ है लेकिन इस पक्ष से भी कोई मुंह नहीं मोड़ सकता है कि 40 साल राजनीति करने के बाद जहां लोग हार मान लेते हैं वहीं प्रणब दा उम्र बढ़ने के साथ अपने कार्य में भी पैनापन लाए और भारतीय राजनीति को एक राह प्रदान की. उम्मीद करते हैं जिस तरह प्रणब दा ने कांग्रेस के लिए खेवनहार की भूमिका निभाई उसी तरह वह भारत को भी नए प्रगति के मार्ग पर ले जाएंगे।

1984 में इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद उनकी राजनीति जिंदगी डगमगा गयी थी। उन्हें राजीव गाँधी के कार्यकाल में कांग्रेस से अलग-थलग कर दिया गया था। लेकिन पी.वी. नरसिंहराव की सरकार में राजीव गाँधी की मृत्यु के बाद पुनः प्रकाश में आए। उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने ने राव सरकार में प्रथम बार 1995 से 1996 के बीच में विदेश मंत्रालय का कार्यभार संभाला। 1998-99 में सोनिया गाँधी के कांग्रेस को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का जनरल सेक्रेट्री बनाया गया। उन्हें 2000 में पश्चिम बंगाल कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और उन्होंने 2010 तक इस पद को संभाला।

मुखर्जी 2004 में लोक सभा के नेता बने। उन्होंने पश्चिम बंगाल के जांगीपुर चुनाव क्षेत्र से 2009 में चुनाव जीता। उन्होंने डा. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी अनेक पदों को सुशोभित किया। उन्हें पद्म विभूषण, बेस्ट एडमिनिस्ट्रेटर एवार्ड इन इंडिया, 2001 तथा एशिया के वित्त मंत्री 2010 के सम्मान से भी सम्मानित किया गया। उनकी कुशाग्र बुद्धि, तीक्ष्ण याददाश्त तथा अनूठे ज्ञान के लिए उन्हें काफी सम्मान भरी नजरों से देखा जाता है। उनके कार्यकाल में भारत एक नया सवेरा देखेगा। भारतीय लोकतंत्र उनकी ओर आशा भरी नजरों से यह देख रहा है कि क्या वे सिर्फ इसकी शाही मर्यादा को ही बरकरार रखेंगे या इसे एक कदम आगे ले जायेंगे जहां डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने इसे छोड़ा था।

प्रणब दा के शुभ विचार जानते हैं :

  1. भारतीयों के रूप में, हमें निश्चित रूप से अतीत से सीखना चाहिए ; लेकिन हमें भविष्य पर ध्यान केंद्रित रहना चाहिए। मेरे विचार से, शिक्षा वह वास्तविक रस-विधा है जो भारत को अपने अगले स्वर्ण युग में ला सकता है।
  2. भारत के युवा लोगों एक मजबूत और शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण करेंगे जो राजनीतिक रूप से परिपक्व और आर्थिक रूप से मजबूत राष्ट्र होगा, जिसमे राष्ट्र के लोग उच्च गुणवत्ता का जीवन और न्याय दोनों का आनंद ले सके।
  3. भारत वह देश है जहाँ बहुत गरीबी है ; भारत एक आकर्षक, उत्थान सभ्यता है जो सिर्फ हमारे शानदार कला में ही नहीं निखरती बल्कि हमारे शहर और गांव के रचनात्मकता और हमारे दैनिक जीवन की मानवता में भी निखर उठती है।
  4. हमारी पीढ़ी में, हमारे रोल मॉडल गांधी और नेहरू थे. वे प्रतिष्ठित है. वे व्यक्तित्व की पूजा अर्चना करते थे। मैंने नेहरू जी के लगभग हर भाषण पढ़ा है।
  5. हमारी माँ के लिए हम सभी बच्चे समान है, और भारत सभी से यह पूछ रहा है की हम इस राष्ट्र निर्माण के जटिल नाटक में अपनी कौन सी भूमिका निभा रहे है , हमारा कर्तव्य है की हम हमारे संविधान में प्रतिष्ठापित मूल्यों के प्रति निष्ठा व प्रतिबद्धता रखे।
  6. सम्पूर्ण भारत सिर्फ भारत के लिए बना है, और समृद्धि के उच्च पद पर बैठने की इच्छा से प्रेरित है। यह अपने मिशन में आतंकी गतिविधियों द्वारा भी नही हटेगा।

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