बिहार में कोरोना की रफ्तार तो कम हो गई मगर सियासी सरगर्मी बढ़ गई। माहौल तल्ख होता जा रहा है। बयानबाजी और तीखी होती जा रही है। पक्ष और विपक्ष ही नहीं, सत्ता पक्ष के दल आपस में गुत्थमगुत्थ हो रहे हैं। टुन्ना पाण्डेय और नीतीश कुमार को लेकर शुरू हुई जुबानी जमाखर्च, महेश्वर यादव और नरेंद्र मोदी तक पहुंच गई। बीच में बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने नीति आयोग की रिपोर्ट पर सवाल खड़ा कर दिया।Bihar Politics
सबसे पहले बीजेपी एमएलसी टुन्ना पाण्डेय ने नीतीश कुमार को परिस्थितियों का मुख्यमंत्री कहकर बवंडर खड़ा कर दिया। उनके बयान पर जेडीयू के उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल को टारगेट कर लिया। उंगली को काटने तक बात पहुंच गई थी। आखिरकार टुन्ना पाण्डेय से बीजेपी ने पीछा छुड़ाया और उनके पार्टी से निलंबित कर दिया। Bihar Politics
अभी पूरी तरह मामले का सेटलमेंट हुआ नहीं था कि मुजफ्फरपुर के जेडीयू नेता और पूर्व विधायक महेश्वर यादव ने केंद्र की मोदी सरकार की कार्यशैली पर ही सवाल उठा दिया। उन्होंने कहा कि ‘आज देश में अराजकता का माहौल है, हालात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी से देश नहीं संभल रहा है। ऐसे में जेडीयू को अकेले चुनाव लड़ना चाहिए। नीतीश कुमार को आने वाले समय में लोग देश के प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। इसको लेकर उन्होंने नीतीश कुमार को पत्र लिखकर निवेदन किया है।’ Bihar Politics
जेडीयू-बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर पूर्व विधायक ने कहा कि ‘यह गठबंधन सिर्फ बिहार में है, देश में नहीं है। हम बीजेपी की नीतियों से 100 फीसदी सहमत नहीं हैं। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में इजाफे से देश की जनता परेशान है और केंद्र की बीजेपी सरकार से बहुत नाराज है। कोरोना संकट के दौर में केंद्र सरकार अच्छा काम नहीं कर पाई, इसलिए देश नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री के रूप में जनता देखना चाहता है।’ Bihar Politics
इससे पहले नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals) इंडेक्स 2020-21 पर बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने सवाल उठाए। ज्ञानू ने कहा कि बिहार का विकास नीति आयोग को क्यों नहीं दिख रहा है, जिसने बिहार की रिपोर्ट तैयार की है, उसने बड़ी गलती की है। नीति आयोग की रिपोर्ट पर मैं सवाल खड़ा करता हूं। उन्होंने कहा कि बिहार के विकास की रिपोर्ट किस भावना से जारी हुई है यह जांच का विषय है। झारखंड, नॉर्थ ईस्ट के राज्य समेत नक्सल प्रभावित राज्यों से भी बिहार का विकास नीचे दिखाया गया है, यह हास्यास्पद है।
सियासी सूरमाओं की बयानबाजी ने एक बार फिर बिहार की फिजा में गर्मी ला दी है। तेजस्वी यादव लगातार सीएम नीतीश कुमार और पीएम मोदी पर अक्षम होने का आरोप लगाते आ रहे हैं। हम नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और वीआईपी नेता मुकेश सहनी भी एनडीए की अपनी सरकार को बयानों से असहज करते रहे हैं। बीजेपी ने टुन्ना पाण्डेय से तो पार पा लिया मगर महेश्वर हजारी से नीतीश कुमार और ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू से संजय जायसवाल कैसे पार पाते हैं? थोड़ा इंतजार करना होगा। Bihar Politics
जेडीयू में आने से पहले महेश्वर यादव आरजेडी में थे। 2015 के विधानसभा चुनाव में वो मुजफ्फरपुर के गायघाट से आरजेडी के विधायक बने। कहा जाता है तब महेश्वर प्रसाद यादव को लालू यादव से कहकर नीतीश कुमार ने ही टिकट दिलवाया था। महागठबंधन से नीतीश कुमार के अलग होते ही लालू परिवार के खिलाफ महेश्वर यादव बयान देने लगे। चुनाव से ठीक पहले जेडीयू में आ गए और नीतीश कुमार ने 2020 विधानसभा चुनाव में गायघाट से टिकट भी दिया, लेकिन वो चुनाव जीतने में नाकाम रहे। आरजेडी के निरंजन राय ने उन्हें शिकस्त दे दी। वहीं, ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू बाढ़ से बीजेपी के विधायक हैं, मगर नीतीश कुमार के पुराने दोस्त हैं। संघर्ष के दिनों के साथी रहे हैं। बीजेपी कोटे से मंत्री नहीं बनाए जाने पर उन्होंने सीधे-सीधे नेतृत्व पर सवाल उठाया था। तब ये मामला काफी सुर्खियों में रहा था। Bihar Politics