चीन से 1965 के टकराव को न भारत भूला है न चीन। दोनों पक्षों में उस युद्ध को लेकर दशकों से शांति को बहाल रखने के लगातार उपाय किए जाते रहे हैं। बात अगर हाल की करें तो एक बार फिर से तनाव बढ़ा है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर चीन से जंग छिड़ने की आशंका बनी तो क्या होगा। इसके लिए सबसे पहले बात चलती है जंगी जहाजों यानि फाइटर प्लेन के ताकत की। सवाल ये कि ऐसे में बिहार के एयरफोर्स स्टेशनों की क्या भूमिका होगी?
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक बिहार में बिहटा, पूर्णिया का चूनापुर और दरभंगा केयर एंड मेंटेनेंस एयरबेस चीन से जंग की हालत में फाइटर एयरक्राफ्ट के लिए बैकअप स्टेशन्स की भूमिका निभाएंगे। विशेषज्ञों ने ये भी बताया कि बिहार के ये हवाई अड्डे द्वितीय विश्वयुद्ध में बनाए गए थे। इन हवाई अड्डों का इस्तेमाल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी हुआ था।
अब अगर बात कि जाये वर्तमान कि, तो प्रफुल्ल बख्शी का कहना है कि बिहार के इन एयरबेस का इस्तेमाल बैअकप के अलावा फ्रंट वार में भी किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये बेस चीन की नजदीकी सीमा यानि उत्तरपूर्वी भारत से नजदीक हैं। ऐसे में यहां से पैरा मिलिट्री या मिलिट्री के जवानों को सीधे ले जाकर जंग के मैदान में उतारा जा सकता है। इन जवानों और जंग के मैदान में रसद ले जाने के लिए C-17 ग्लोबमास्टर जैसे जहाजों का इस्तेमाल किया जा सकता है जो एक बार में 70 टन तक का वजन एयरलिफ्ट कर सकते हैं।
खुद ही समझिए कि मिलिट्री की एक पूरी टुकड़ी को बिहार से जंग के मैदान में जाने में देर नहीं लगेगी। आपको बता दें कि ऐसी हालत में दानापुर मिलिट्री कैन्ट के जवानों को सीधे बिहटा ले जाकर वहां से युद्ध क्षेत्र में उतारा जा सकता है। 1965, 1971 और कारगिल युद्ध में भी दानापुर छावनी के जवान अपने शौर्य का परिचय दे चुके हैं।
इसमें दो हवाई पट्टियां भी शामिल हैं। इनमें एक गोपालगंज के हथुआ में है और दूसरी छपरा के पुलिस लाइन के पास है जहां आपातकाल में जहाज उतारे भी जा सकते हैं। बिहार के इन एयरफोर्स स्टेशनों की लोकेशन इन डेब्थ है यानि गहराई में हैं। जिसका फायदा भी देश को मिलेगा। टेक्टिकल मिसाइल जैसे पृथ्वी और अग्नि को भी बिहार में लोकेट किया जा सकता है अगर ये प्लानिंग में आए तो।
अब सवाल उठता है कि चीन से जंग की हालत में कौन से एयरफोर्स बेस स्टेशन ज्यादा काम आएंगे। इस पर विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तरपूर्वी भारत का तेजपुर, छाबुआ और बागडोगरा एयरबेस भारत का प्राइम बेस होगा। इस बेस से न सिर्फ चीन को फाइटर प्लेन से जवाब दिया जा सकता है बल्कि चीन से होने वाली हर जंगी उड़ान पर भी अत्याधुनिक राडारों से पैनी नजर तक रखी जा सकती है। यानि उत्तरपूर्वी भारत के ये तीन एयरबेस भी चीन को आराम से सबक सिखा सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार में बिहटा, पूर्णिया और दरभंगा के बेस स्टेशन को और भी मजबूत बनाया जा सकता है। इन एयरबेस में अगर रनवे को और लंबा बनाया जाए, नए राडार सिस्टम लगाए जाएं तो फिर भारत की सामरिक ताकत और ज्यादा बढ़ जाएगी। रिटायर्ड विंग कमांडर के मुताबिक इस पर भी काम जरूर हुआ होगा।