आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव की जोड़ी ने बनाया 10 हजार करोड़ रुपये का साम्राज्य, क़र्ज़ से अर्श तक की कहानी

पतंजलि योगपीठ को देश ही नहीं दुनिया के भी फलक पर चमकाने में बाबा रामदेव के साथ ही आचार्य बालकृष्ण का बड़ा हाथ है। दोनों बाल सखा की जोड़ी ने अरबों का साम्राज्य यूं ही खड़ा नहीं किया। इसके लिए उन्होंने लंबे समय तक कड़ी मेहनत की है। जानकारी के अनुसार वर्तमान में पतंजलि समूह का सालाना टर्नओवर 10 हजार करोड़ रुपये है।
पंतजलि को शुरू करने के लिए बालकृष्ण को एक एनआरआई दंपति ने कर्ज दिया था। इसके बाद उन्होंने बाबा रामदेव के साथ मिलकर साल 1990 में हरिद्वार में दिव्य फार्मेसी की शुरुआत की थी। यही फार्मेसी बाद में पतंजलि बन गई। इसके बाद उन्होंने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की स्थापना वर्ष 2006 में की। जिसे अत्याधुनिक सेवाओं एवं संसाधनों के लिए आयएसओ, डब्ल्यूएचओ, जीएमपी, जीएलपी आदि प्रमाण पत्र प्राप्त हैं।
बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने पहले योग की हिन्दी, अंग्रेजी सहित देश की प्रमुख भाषाओं में योग, आयुर्वेद, संस्कृति, संस्कार व भजनों पर आधारित ऑडियो-वीडियो सामग्री के माध्यम से देश में अपनी पहचान बनाई। इसके बाद उन्होंने इसके साथ आयुर्वेद को भी जोड़ा। योग, आयुर्वेद, संस्कृति, संस्कार व अध्यात्म की संवाहक योग संदेश मासिक पत्रिका का प्रकाशन हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, पंजाबी, बंगाली, ओडिया, असमी, कन्नड, भाषाओं में किया जाता है। देश-विदेश में प्रतिमाह योग संदेश पत्रिका के दस लाख से भी अधिक पाठक हैं।
इतना ही नहीं इसके बाद उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी कदम रखा और पतंजलि विश्व विद्यालय के दो कैंपस और आचार्यकुलम की स्थापना की। इसमें योग और आयुर्वेद से जुड़े छात्र-छात्राओं को आधुनिक एवं प्राच्य की शिक्षा दी जाती है। कई गंभीर बीमारियों का इलाज भी पतंजलि में किया जाता है। उनके इसी प्रयास के कारण अब जल्द ही देश का पहला वैदिक बोर्ड भी शुरू होने जा रहा है।
बाबा रामदेव के साथ अचार्य बालकृष्ण ने हरिद्वार में विश्व के सबसे बड़े फूड एवं हर्बल पार्क का निर्माण कराया। जिसमें फूड प्रोडक्ट भी बनाए जाते हैं। उन्होंने कई शहरों में पतंजलि के पोष्टिक नाम से रेस्टोरेंट भी खोले। इसके बाद भी वे यहीं नहीं रुके। हाल ही में पतंजलि के परिधान भी बाजार में उतारे गए हैं।

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