कैप्टन के लिए दिल्ली से आई बुरी खबर,संयुक्त किसान मोर्चा ने कही ये बात

कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ एक साल से भी अधिक समय तक आंदोलन चलाने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) के नेताओं ने राजधानी में बैठक के बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब के विधानसभा चुनावों में भाजपा (BJP) के सीधे विरोध का एलान किया है। इनका उत्तर प्रदेश में विशेष जोर होगा। वहां के लिए एक अपील पर्चा जारी करते हुए नेताओं ने दावा किया है कि 57 किसान संगठनों का साथ मिल रहा है।
पीएम एवं योगी के चुनावी क्षेत्र में सात जगह होंगे कार्यक्रम

विरोध के क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi)के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनावी क्षेत्र गोरखपुर के साथ ही उत्तर प्रदेश के 7 स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी है। मोर्चा के मंच से राजनीतिक दलों की तरह जनसंपर्क अभियान चलेगा। पर्चे बांटकर भाजपा (BJP) प्रत्याशियों के खिलाफ मतदान की अपील की जाएगी। इसी तरह उत्तराखंड में पुष्कर धामी की सरकार का विरोध होगा तो पंजाब में भाजपा (BJP) के साथ ही कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी विरोधी खेमे में गिना जाएगा।
आंदोलन पूरी तरह गैर राजनीतिक

पूर्व में मोर्चा के नेताओं की तरफ से दावा किया जाता रहा है कि उनका आंदोलन पूरी तरह से गैर राजनीतिक है, लेकिन बंगाल के विधानसभा चुनाव में मोर्चा जिस तरह भाजपा (BJP) के विरोध में उतरा और राज्य में उनके मंचों पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी नजर आए, उससे राजनीतिक तस्वीर स्पष्ट होने लगी थी। दिसंबर में केंद्र सरकार की ओर से तीनों कृषि कानून वापस लेने और आंदोलन स्थगित करने के बाद मोर्चा का एक धड़ा राजनीतिक दल बनाकर पंजाब विधानसभा चुनाव में उतर भी गया है।
सहमति के पूरा न होने को बनाया आधार

इन चुनावों में भाजपा (BJP) के विरोध का आधार केंद्र सरकार से पांच बिंदुओं पर बनी सहमति के पूरा न होने को बनाया गया है। हालांकि, अब भी कोशिश की जा रही है कि मोर्चे का गैर राजनीतिक आवरण बना रहे। भाजपा (BJP) के विरोध में उतरने वाले इसके सात नेताओं में से एक शिव कुमार कक्का ने कहा कि वे लोग भाजपा (BJP) का खुलकर विरोध करेंगे, लेकिन किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करेंगे।
चुनाव लड़ने वालों से संबंध तोड़ने का दावा

जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि पंजाब में चुनाव लड़ने वाले मोर्चा के लोगों से संबंध तोड़ लिया गया है। उनके पक्ष में भी प्रचार नहीं होगा। योगेंद्र यादव ने कहा कि बंगाल जैसी स्थिति इस बार नहीं होगी। किसी राजनीतिक दल के नेता को प्रचार के लिए मंच का इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा। वहीं, इससे प्रत्यक्ष रूप से विपक्षी सपा, कांग्रेस और बसपा (BSP) को फायदा पहुंचाने के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि ये जनता पर छोड़ेंगे कि वह किसे मतदान करे।

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