तारापुर-कुशेश्वरस्थान में नीतीश के ‘लव-कुश’ का लिटमस टेस्ट, तेजस्वी-चिराग की प्रतिष्ठा भी दांव पर!

Bihar assembly by elections: बिहार में NDA और महागठबंधन विधान सभा की दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर आमने-सामने है. कुशेश्वरस्थान और तारापुर (Kusheshwarsthan and Tarapur by-elections) में JDU विधायकों के निधन के बाद उपचुनाव हो रहे हैं जिसके बाद दोनों ही गठबंधन (एनडीए और महागठबंधन) जीत का दावा भी कर रहे हैं. लेकिन, दोनों गठबंधनों के लिए मुकाबला इतना आसान नहीं है क्योंकि दोनों सीट का चुनाव परिणाम आने वाले समय में बिहार की राजनीति (Bihar Politics) को प्रभावित करने वाली है.

तारापुर- मुंगेर लोकसभा में आने वाली तारापुर विधान सभा सीट मेवालाल चौधरी के निधन के बाद खाली हुई है. सियासी जानकारों के अनुसार इसका चुनाव परिणाम नीतीश कुमार के लव-कुश समीकरण का लिटमस टेस्ट होगा. इसकी वजह भी है. दरअसल उपेन्द्र कुशवाहा के JDU में शामिल होने के बाद JDU की तरफ से दावा किया जा रहा है कि बिहार में JDU का लव-कुश समीकरण मजबूत हो गया है.

बता दें कि तारापुर विधान सभा कुशवाहा और यादव बहुल माना जाता है. लड़ाई भी इन्हीं दोनो जातियों में होती आयी है. लेकिन, चुनाव परिणाम को प्रभावित करने में कुछ अन्य जातियां भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं. वहीं, मुस्लिम, राजपूत, ब्राह्मण, रविदास और पासवान भी काफी अच्छी संख्या में हैं. JDU की नजर कुशवाहा वोटरों के साथ-साथ सवर्ण और दलित वोटरों पर भी है.

वहीं, राजद की दावेदारी भी तारापुर में बेहद मजबूत है. MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण राजद का कोर वोटर माना जाता है. वहीं, सवर्णों में राजपूत वोटर के साथ साथ पासवान वोटर पर भी राज़द की नजर है. हाल के दिनों में चिराग पासवान और तेजस्वी यादव की दोस्ती काफी बढ़ी है और चिराग नीतीश कुमार के खिलाफ हैं. ऐसे में तारापुर विधान सभा उपचुनाव का नतीजा बिहार की राजनीति के लिए बेहद अहम माना जा रहा है.

कुशेश्वरस्थान- JDU के दिवंगत विधायक शशि भूषण हजारी के निधन के बाद खाली हुई सीट पर उपचुनाव हो रहा है. जिसमें मुकाबला JDU और कांग्रेस या राजद उम्मीदवार के बीच होगा. ये सीट लम्बे समय से हजारी परिवार का रहा है और इस बार भी JDU को उम्मीद है की सहानुभूति कार्ड चलेगा और शशि भूषण हजारी के पुत्र की जीत होगी. लेकिन, यहां मामला फंसा सकते हैं चिराग पासवान, जो JDU को हर कीमत पर झटका देना चाहते हैं.

माना जा रहा है कि अगर चिराग ने कुशेश्वर स्थान से अपने उम्मीदवार उतार दिए और पासवान वोटरों में बिखराव हुआ तो JDU को बड़ा झटका लग सकता है. इसी समीकरण पर महागठबंधन की नजर भी है. वंहीं कुशेश्वरस्थान का चुनाव परिणाम चिराग के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है क्योंकि राम विलास पासवान के निधन के बाद पासवान वोटरों पर उनकी पकड़ कितनी गहरी है, इसका भी पता लग जाएगा.

जाहिर है दोनों विधान सभा सीट का चुनाव परिणाम न सिर्फ JDU बल्कि राजद और कांग्रेस के साथ-साथ चिराग पासवान की साख पर भी असर डाल सकता है. फिलहाल भाजपा इसके चुनाव परिणाम पर नजर बनाए हुए है. लेकिन, राजद तारापुर और कुशेश्वर स्थान दोनो जगहों पर उम्मीदवार उतारने पर अड़ा हुआ है.

बहरहाल, अगर चुनाव परिणाम राजद के अनुकूल आता है तो तेजस्वी यादव की धमक और बढ़ जाएगी जो आने वाले समय में NDA के लिए, खासकर JDU के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. वहीं, कहीं JDU दोनों सीट बचा ले गई तो नीतीश कुमार की पार्टी एक बार फिर उत्साह से भर जाएगी जो विधान सभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं मिलने से निराश है.

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