नोटों पर गणेश लक्ष्मी से बदलेगी ‘आप’ की तकदीर, हिंदुत्व जरूरी या मजबूरी ?

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक समय-समय पर अपनी रणनीतियों से अपने राजनीतिक दुश्मनों को चित करते रहे हैं. बुधवार को कुछ ऐसा ही उन्होंने एक बार फिर किया. भारतीय करेंसी में गांधी के साथ ही लक्ष्मी-गणेश की फोटो लगाने की मांग करके उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को भी आगे की रणनीति के बारे में सोचने को मजबूर कर दिया है. केजरीवाल की इस डिमांड के बाद बीजेपी के नेताओं की प्रतिक्रिया को अगर ध्यान से सुनेंगे तो ऐसा लगेगा कि जैसे उन्हें शॉक लग गया हो. तो क्या अरविंद केजरीवाल सॉफ्ट हिंदुत्व से कट्टर हिंदुत्व की ओर जा रहे हैं.

आमतौर पर राजनीतिक समीक्षकों का यह मानना है कि आप नेताओं राजेंद्र गौतम और गोपाल इटालिया के हिंदू विरोधी बयानों को लेकर अपनी पार्टी की हिंदू विरोधी छवि न बन जाए इसके लिए अरविंद केजरीवाल का यह डैमेज कंट्रोल है. पर यह इतनी साधारण बात नहीं है जितना समझा जा रहा है. दरअसल आम आदमी पार्टी अपनी रणनीति को मौके के हिसाब से बदलती रही है. हो सकता है कि पूरे देश पर राज करने के लिए आम आदमी पार्टी का यह स्टैंड भविष्य की स्ट्रेटजी भी साबित हो, ताकि बीजेपी से उसी के हथियार से लड़ा जाए.

1-डैमेज कंट्रोल की रणनीति कहना कितना सही?
अरविंद केजरीवाल की तरफ से ये कदम ऐसे वक्त उठाया गया है, जब पूर्वी मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम के हिन्दू देवी देवता के खिलाफ बयान और दीपावली पर पटाखे बैन के फैसले के बाद से विपक्ष लगातार अरविंद केजरीवाल पर हिन्दू विरोधी होने का आरोप लगा रहा था. पार्टी ने राजेंद्र पाल गौतम को मंत्री पद से हटाकर अपना संदेश दे दिया है कि हिंदुत्व के किसी भी मुद्दे पर वो समझौता नहीं करने वाले हैं.

केजरीवाल ने कहा, हम चाहते हैं कि हर परिवार अमीर बनें, इसके लिए बहुत कदम उठाने होंगे. अच्छे स्कूल, अस्पताल, मूलभूत सुविधाएं होंगी. ये तभी संभव है जब देवी देवताओं का आशीर्वाद रहे. केजरीवाल ने कहा कि इंडोनेशिया मुस्लिम देश है. वहां की 85% आबादी मुस्लिम की है, 2% हिंदू हैं, फिर भी उन्होंने करेंसी पर गणेश जी तस्वीर लगाई है. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज मेरी केंद्र सरकार और मोदी जी से गुजारिश है कि भारतीय करेंसी पर एक तरफ गांधी जी और दूसरी तरफ लक्ष्मी और गणेश जी की तस्वीर लगाई जाए. हम ये नहीं कह रहे हैं कि सारे नोट बदले जाएं, लेकिन जो नए नोट छापे जाएं उस पर लक्ष्मी जी और गणेश की तस्वीर छापे. केजरीवाल ने कहा कि परसों दिवाली के मौके पर लक्ष्मी-गणेश पूजा करते वक्त ये विचार आया. उन्होंने कहा कि मैं ये नहीं कहता हूं कि इससे अर्थव्यवस्था अच्छी हो जाएगी. लेकिन, भगवान का आशीर्वाद जरूर मिलेगा.

2-ऋषि सुनक के बाद हिंदुत्व की हवा को कैश करने की कोशिश?
केजरीवाल जानते हैं कि गुजराती समुदाय पूरी दुनिया में फैला हुआ है. ऋषि सुनक के ब्रिटिश पीएम बनने के बाद पूरी दुनिया में अप्रवासियों और भारतीय हिंदुओं में एक प्रकार से हिंदुत्व को लेकर प्राइड फीलिंग्स देखने को मिल रही है. सुनक के हाथ में कलावे, उनकी मंदिर में पूजा करती तस्वीरें, गाय को खिलाते हुए उनकी तस्वीर लोग शेयर करते हुए हिंदुत्व को लेकर बहुत उत्साहित हैं.

इस बीच दुनिया भर के नेताओं जैसे ऑस्ट्रेलिया में शपथ ग्रहण करते हुए रामनामी पटाका ओढ़े हुए वहां के पीएम, कमला हैरिस की दिवाली मनाते हुए तस्वीरें ऐसे फैल रही हैं जैसे लगता है हिंदुत्व का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है. इस सेंटिमेंट को तत्काल कैश कराने के लिए केजरीवाल ने आज यह मुद्दा छोड़ दिया है. राजनीति हो या खेल सारा गेम टाइमिंग का ही होता है. इस टाइमिंग के ही माहिर खिलाड़ी हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री. शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन को जब उनके हनुमान सिसौदिया ने सपोर्ट किया उन्होंने बहुत सूझबूझ दिखाते हुए उससे किनारा कर लिया, दिल्ली के दंगों के बाद अमानतुल्ला खान को भी राजनीतिक बियांबान में डाल दिया.

3- हिंदुत्व ही भारत में राजनीति का भविष्य है
अभी तक देश के 4 छोटे राज्यों में ही अपनी पहचान बना सकी आम आदमी पार्टी को पता है कि कैसे पूरे देश में छा जाना है. उन्हें अपनी पार्टी की हैसियत पता है इस कारण वो हर कदम फूंक फूंक कर रखते हैं. केजरीवाल ने यह देख लिय़ा है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी जैसी खुद को सबसे बड़ा धर्म निरपेक्ष होने का दावा करने वाली पार्टी हो या बंगाल में ममता बनर्जी हों सभी सॉफ्ट हिंदुत्व का सहारा ले रहे हैं. खुद कांग्रेस ने पिछले हफ्ते शिवराज पाटिल के बयान का तुरंत जयराम रमेश से खंडन करवा दिया.

यह साफ शब्दों में कहा गया कि कांग्रेस शिवराज पाटिल की इस बात से सहमत नहीं कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जिहाद सिखाया. यानी कांग्रेस अब किसी मणिशंकर अय्यर, दिग्विजय सिंह, शिवराज पाटिल जैसे सेक्युलरवादियों को पनपने नहीं दे रही है. कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व के सहारे मध्यप्रदेश- छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकार बनाई थी और गुजरात में भी बीजेपी को कड़ी टक्कर देने में समर्थ हुई थी. केजरीवाल को पता है कि इन सभी पार्टियों के बीच से निकलकर अगर बीजेपी से मुकाबला करना है तो सॉफ्ट हिंदुत्व से काम नहीं चलने वाला है. इसलिए अब गणेश-लक्ष्मी की करंसी पर फोटो की मांग ही नहीं यह भी बोलना पड़ रहा है कि भगवान हमारी इकॉनमी सुधारने में मदद करेंगे.

4- मुफ्त बिजली-पानी की राजनीति कब तक
दरअसल केजरीवाल को पता है फ्रीबीज की राजनीति अब ज्यादा दिनों नहीं चलने वाली है. दुनिया भर के देशों में इकॉनमी को लेकर कड़े फैसले किए जा रहे हैं. वैसे भी काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ाई जाती है. जनता भी धीरे-धीरे होशियार हो रही है. दूसरी पार्टियां भी मुफ्त बिजली-पानी की राजनीति करने लगी हैं. अगर भारत की राजनीति में सर्वाइव करना है तो जाति या धर्म का सहारा लेना ही होगा. अरविंद केजरीवाल जानते हैं कि उनकी जाति देश के किसी भी राज्य में उन्हें बहुमत दिलवाने में सक्षम नहीं है. इसलिए तात्कालिक समय में हिंदुत्व की राजनीति अगर बीजेपी से भी बढचढ़कर की जाए तो सफलता की गारंटी हो सकती है.

बीजेपी ही नहीं देश के दूसरे नंबर की पार्टी कांग्रेस और तीसरे मोर्चे के कई राष्ट्रीय नेताओं के होते हुए भी मीडिया में राजनीतिक महफिल लूटने का सौभाग्य पीएम मोदी के बाद अरविंद केजरीवाल के ही हिस्से आता रहा है. दरअसल केजरीवाल को समझना उनकी पार्टी के लोगों के लिए ही मुमकिन नहीं है तो विरोधियों के लिए तो नामुमकिन ही है. आम लोगों के बीच हो रही राजनीतिक चर्चा में अकसर एक बात किसी न किसी के मुंह से आ ही जाती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भविष्य में अगर कोई चैलेंज करने की कूवत रखता है तो वे हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही हैं.

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