झारखण्ड में विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही राज्य की सियासत में कई रोचक पन्ने जुडऩे लगे हैं। इस क्रम में कोल्हान में सबसे ज्यादा चर्चा JMM की है क्योंकि बहरागोड़ा से पार्टी विधायक कुणाल षाडंगी ने BJP का दामन थाम लिया है। इस बात की पूरी संभावना है कि वे अब JMM पर उसी सियासी धनुष से हमला करेंगे जिसे लेकर 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने BJP को परास्त किया था।
2014 में कुणाल ने अपनी चुनावी सियासत की शुरुआत गुरुजी यानी झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के धनुष से की थी। कुणाल के साथ मांडू से JMM विधायक जयप्रकाश भाई पटेल ने भी भाजपा में शामिल हुए हैं। अब ये भी अपने राजनीतिक गुरु शिबू सोरेन व उनकी पार्टी पर उसी धनुष से सियाली वाण छोड़ेंगे। वैसे कुणाल या जय प्रकाश पहले नेता नहीं हैं जो गुरुजी के धनुष से सियासी लक्ष्य पर निशाना साधना सीखे। ऐसे नेताओं की सूची लंबी है। पहले भी JMM के कई विधायक व सांसद पार्टी से अलग होकर BJP का अंग बन चुके हैं। इनमें मुख्य रूप से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सांसद विद्युत वरण महतो, पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो, पूर्व सांसद आभा महतो, ईचागढ़ के विधायक साधु चरण महतो आदि प्रमुख हैैं।
JMM के टिकट पर 1995 में पहली बार खरसावां सीट से विधायक बनने वाले अर्जुन मुंडा BJP में शामिल होने के बाद 2000, 2005 और 2011 में विधायक चुने गए। वे वर्ष 2003 में पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। तीन बार मुख्यमंत्री बनने वाले मुंडा 2006 में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। वे 2009 में जमशेदपुर और 2019 खूंटी के लोकसभा सदस्य बने। अब पहली बार केंद्र में मंत्री बने हैं। उधर जमशेदपुर से दूसरी बार लोकसभा पहुंचे विद्युत वरण महतो ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत गुरुजी के आशीर्वाद से ही की थी। वे बहरागोड़ा से BJP टिकट पर विधायक भी बने थे। 2014 के लोकसभा चुनाव के समय BJP में शामिल हो गए। दुमका से BJP टिकट पर सांसद बने सुनील सोरेन भी कभी JMM के ही सिपाही हुआ करते थे।