मतलब का यार निकला अमेरिका और बाइडन, मुश्किल समय में दिखा दिया ठेंगा ?

कोरोना से इस वक्त भारत में क्या हालात हैं यह सबको पता है। दुनिया में एक दिन में इस वक्त सबसे अधिक कोरोना के मामले भारत में ही सामने आ रहे हैं। बढ़ते मामलों के बीच भारत को वैक्सीन से ही सबसे अधिक उम्मीद है लेकिन कच्चे माल की कमी से इसमें भी दिक्कतें सामने आ रही हैं।

इस मुश्किल हालात में जब भारत ने अमेरिका की ओर रुख किया तो उसने भी मदद से साफ इनकार कर दिया है। अमेरिका जो भारत को अपना करीबी दोस्त बताता है मुश्किल वक्त में उसकी ओर से यह जवाब आया है। वहीं दूसरी ओर चीन और पाकिस्तान जैसे देश में मदद करने की पेशकश की जा रही है।

अमेरिका से कच्चे माल पर लगी पाबंदी नहीं हटने वाली है। बाइडन प्रशासन की ओर से साफ कर दिया गया कि उसका पहला दायित्व अमेरिकी लोगों की आवश्यकताओं पर ध्यान देना है। अमेरिका की यह सफाई हजम होने वाली नहीं है। अमेरिका में टीके की अतिरिक्त खुराकें हैं जिनका इस्तेमाल भी नहीं हो सकता है।

भारतवंशी सांसद रो खन्ना ने आशीष के झा के एक ट्वीट को साझा करते हुए कहा भारत में कोविड-19 से भयावह स्थिति है। लोगों को टीके देने में भी मुश्किलें हो रही है। अमेरिका की मशहूर ब्राउन यूनिवर्सिटी के प्रोफ्रेसर डॉक्टर आशीष के झा ने ट्वीट कर वैक्सीन के करोड़ो डोज भारत को उधार देने का सुझाव दिया था। झा ने ट्वीट कर लिखा था कि भारत वैक्सीन देने के लिए संघर्ष कर रहा है और हमारे पास 3.5 से 4 करोड़ डोज है जिनका हम कभी इस्तेमाल ही नहीं करने वाले हैं।

पिछले साल भारत ने भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन पाबंदी हटाकर अमेरिका को इसका निर्यात किया था। पिछले साल जब अमेरिका में रेकॉर्ड केस सामने आ रहे थे उस वक्त भारत की ओर से दवाइयां भेजी गईं। भारत की ओर से अमेरिका ही नहीं कई दूसरे देशों की भी मदद की गई। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन के बीच पिछले हफ्ते कोविड और स्वास्थ्य सहयोग को लेकर चर्चा हुई थी। जिसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि अमेरिका की ओर से निर्यात की अनुमति मिल जाएगी।

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से भारत में कोविशिल्ड टीके के उत्पादन के लिये जरूरी कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध को हटाने का आग्रह कर चुके हैं।

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