यूपी: पंचायत चुनाव ड्यूटी करने वाले 135 शिक्षकों की मौत, हाईकोर्ट की फटकार, कौन है जिम्मेदार?

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी में पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले सरकारी कर्मचारियों को लेकर राज्य चुनाव आयोग की कार्यशैली पर कड़ी टिप्‍पणी की है। मंगलवार को हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग और इसके 27 अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है कि बताएं कि पंचायत चुनाव के दौरान कोविड गाइडलाइंस का पालन करने में कैसे विफल रहे? कोर्ट ने कहा कि क्यों न उन्हें इसके लिए दंडित किया जाए?

हाई कोर्ट ने कोरोना के यूपी में बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकार को निर्देश दिया है कि वह दिन में दो बार हेल्थ बुलेटिन जारी करे। यह बुलेटिन प्रदेश के बड़े सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में जारी किया जाए जो लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा, कानपुर नगर, गोरखपुर और झांसी में स्थित हैं। इससे लोगों को रोगियों के स्वास्थ्य की जानकारी मिल सकेगी। अस्पतालों को लार्ज स्क्रीन का प्रयोग करने को कहा गया है ताकि लोग रोगियों के बारे में जान सकें। कोर्ट ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि डिस्ट्रिक्ट पोर्टल के मार्फत कितने बेड आईसीयू व कोविड वार्ड में सरकारी अथवा प्राइवेट अस्पतालों में हैं।

यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने कोरोना क्‍वारंटीन सेंटर को लेकर स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि केवल एन्टीजेन की निगेटिव रिपोर्ट के आधार पर किसी रोगी को अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जा सकती क्योंकि रोगी अन्य कारणों से भी संक्रमित हो सकता है। उसे एक सप्ताह के लिए नॉन कोविड वॉर्ड में शिफ्ट किया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि कि सभी सरकारी और कोविड का इलाज कर रहे प्राइवेट अस्पतालों में रेमडेसिविर का इन्जेक्शन व अन्य जरूरी दवाएं तथा ऑक्सिजन निर्बाध रूप से मिलते रहना चाहिए । कोर्ट ने कहा कि कि यह शर्म की बात है कि आजादी के सात दशक के बाद भी हम लोगों को ऑक्सिजन नहीं दे पा रहे हैं। डॉक्‍टर और अन्य मेडिकल स्टाफ की समुचित व्यवस्था करने का भी कोर्ट ने निर्देश दिया है।

हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि लाइफ सेविग सिस्टम के साथ ऐंबुलेंस की संख्या में तत्काल इजाफा किया जाए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि कोविड से हुई हरेक मौत की जानकारी जिला के जिला जज की ओर से नामित जुडिशियल अधिकारी को दिया जाए। शव का दाह संस्कार सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक किया जाए। हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई अब 3 मई को करेगी।

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