अग्निपथ की बात, युवाओं से विश्वासघात : आनंद माधब

सेना में भर्ती के लिये अग्निपथ योजना की घोषणा होते ही स्वतः स्फूर्त युवा सड़कों पर विरोध के लिये निकल आये। आज पूरे देश में आग लगी हुई है, कौन है इसका ज़िम्मेदार? प्रधानमंत्री जी क्यों नहीं युवाओं की बात सुनते हैं? उनके इसी अहंकार के कारण 700 किसानों को जान गवानी पड़ी। राष्ट्र की सुरक्षा एवं युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री जी अपनी गलती मानें और इस युवा तथा राष्ट्र विरोधी योजना को तत्काल प्रभाव से वापस लें। कई पूर्व जनरल और परमवीर चक्र विजेता बाना सिंह और योगेंद्र सिंह जैसे ने इसे एक खतरनाक योजना बताया है। अवकाश प्राप्त मेजर जेनरल शिओन सिंह ने इसे एक मूर्खतापूर्ण कदम बताया है। पैसा बचाना तो अच्छा है पर सेना की क़ीमत पर नहीं। देश की सुरक्षा के कीमत पर तो कतई नहीं।

आपने “वन रैंक-वन पेंशन” की बात की थी, लेकिन आपने “नो रैंक-नो पेंशन” स्कीम लाया।
• बिना सोचे समझे आप तुगलकी फरमान जारी करते है चाहे वह नोटबन्दी हो या, जीएसटी या फिर किसानों के लिए तीन काले कानून और अब ये अग्निपथ। आपकी नीति रही है, पहले करो फिर भरो।
• आज देश में सेना और सरकारी संस्थानों को मिलकर लगभग 62 लाख पद रिक्त है, इनमे 26 लाख तो केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों की रिक्तियां है। जिन्हें आप 8 साल में नहीं भर पाए और ये बकवास योजना लाकर युवाओं को मूर्ख बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
• हर साल सेना में 50 से 80 हजार सैनिकों की भर्ती सीधी और पक्की भर्ती होती थी, अग्निपथ योजना के कारण ये इसे खत्म कर दिया गया है। इसके बदले 45-50 हजार ठेके पर नौकरी आप देंगें। अगर ये योजना 15 साल चली तो हमारे सैनिकों की संख्यां आधे से भी कम हो जाएगी। ये 14 लाख के बदले मात्र 6 लाख रह जाएंगे। अब बताइए की नौकरी बढ़ी या घटी ?
• मात्र छ: महीने के प्रशिक्षण में आप सैनिक तैयार कर रहे। अल्प प्रशिक्षित सैनिक, क्या इतनें काबिल होंगे जितनी आज हमारी सेना है? ये राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से घातक है।
• इस योजना को बहुत ही कमजोर ढंग से तैयार किया गया, जिसका ख़ामियाज़ा देश को भुगताना पड़ रहा है।युवाओं के किसी भी शंकाओं का कोई समाधान नहीं है इस योजना में।
• चार साल के बाद ये अग्निवीर क्या करेंगे, इसकी कहीं कोई गारंटी नहीं है, मात्र आश्वासन है। चार साल के बाद निजी संस्थानों या फिर अन्य सुरक्षा एजेंसी में नौकरी मात्र एक झाँसा है। सच तो यह है की 15-20 साल की नौकरी करने वाले पूर्व सैनिकों को भी नौकरी नहीं दे पाई है। कुल 5,69,404 पूर्व सैनिकों ने नौकरी के लिए अपना रेजिस्ट्रैशन कराया था, इनमें मात्र 14,155 लोगों को ही नौकरी मिल पाई। यानि मात्र 2.5%।
• इस योजना से समाज के सैन्यीकरण का एक बड़ा ख़तरा बना रहेगा। जिससे आंतरिक सुरक्षा को हमेशा ख़तरा रहेगा। हथियार चलानें में प्रशिक्षित बेरोज़गार समाज के लिये एक चुनौती बन सकते हैं और समाज में हिंसा को बढ़ावा मिलेगा। दूसरी ओर सेना में ट्रेनिंग “शूट टू किल”, की होती है। ये ना तो पुलिस या अन्य सुरक्षा एजेंसियों को दी जाती है, अगर आप इन्हें अन्य एजेंसी में भर्ती करते हैं तो क्या यही ट्रेनिंग काम आएगा?
• हमारी सेना एक परिपक्व सेना है. इस योजना के बाद भारतीय सेना में नौसिखिया जवानों की संख्या बल बढ़ जायेगी। आज देश को युद्ध से अधिक आज घुसपैठियों से ख़तरा है जिससे एक पूर्ण प्रशिक्षित एवं परिपक्व सेना ही निबट सकती है।
• सशस्त्रबल की सदियों पुरानी रेजिमेंटल संरचना इससे बाधित होगी।
• ठेके पर सैनिक लिये जाएँगें, जो एक ग़लत निर्णय है।लोग सैनिक बनते हैं, नाम, नमक एवं निशान की भावना के लिये। क्या अग्निपथ यह दे पायेगा? इनमें से कुछ भी तो नहीं है, इस योजना में। इन अग्निवीरों को ना तो पेंशन मिलेगा और ना ही चिकित्सा सुविधा, यहाँ तक की आप इन्हें पूर्व सैनिक का दर्जा भी नहीं देंगे। और जो 75% सैनिक छूटेंगे वे सेना से रीजेक्टेड कहे जाएंगे।
• इस परियोजना का पहले पायलट क्यों नहीं हुआ?
• प्रथम दिन से ही अग्निवीरों को अपने भविष्य की चिंता रहेगी, जिसका नकारात्मक प्रभाव उनकी गुणवत्ता, प्रेरणा, दक्षता एवं प्रभावशीलता पर पड़ेगा ।
• सेना में भर्ती का मुख्य आकर्षण होता है, ख़ुशी, संतुष्टि, प्रेरणा एवं भविष्य की सुरक्षा, जिसका स्पष्ट रूप ये यहाँ अभाव दीखता है।

पहले से ही करोड़ों लोग बेरोज़गार है, सिपाही चपरासी की भर्ती में बी ए, एम ए क़तारबद्ध रहते और आप हर वर्ष चालिस हज़ार नये बेरोज़गारों की फ़ौज खड़ी करेंगे। अधिकांश लोग जिस उम्र में नौकरी शुरू करते उस उम्र में ये अवकाश प्राप्त करेंगे। सरकार से कॉंग्रेस पार्टी ये माँग करती है कि, इस योजना को बिना शर्त वापस ले, इससे पहले कि देर हो जाये।

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