गृह मंत्री से बातचीत में हल नहीं निकला; आज केंद्र से होने वाली मीटिंग टली, किसान बॉर्डर पर बैठक करेंगे

कृषि कानूनों की वापसी के लिए मंगलवार को किसानों ने भारत बंद का ऐलान किया। ये आंदोलन का 12वां दिन था। बंद का असर भी दिखा और हलचल भी। पहली बार गृह मंत्री अमित शाह ने किसान नेताओं से मुलाकात की। हालांकि, इस मुलाकात में भी कुछ ठोस नहीं निकला। सरकार ने बुधवार को किसानों को प्रस्ताव देने की बात कही है। बैठक में शामिल किसान नेता हन्नान मुल्ला ने कहा कि सरकार कानून वापसी को तैयार नहीं है।

हन्नान मुल्ला ने बताया कि आज केंद्र और किसानों के बीच होने वाली बैठक भी नहीं होगी। किसान नेता सिंघु बॉर्डर पर 12 बजे बैठक करेंगे और इसी में आगे की रणनीति तय की जाएगी। बैठक से पहले किसानों का कहना था कि कोई बीच का रास्ता नहीं है। हमें गृह मंत्री से हां या ना में जवाब चाहिए। कानून वापसी से कम कुछ मंजूर ही नहीं है।

अब जानिए शाह की बैठक देरी की वजह और राकेश टिकैत का रोल:-

  1. अमित शाह की किसानों के साथ बैठक शाम 7 बजे होनी थी, लेकिन ये शुरू हुई साढ़े आठ बजे। वजह? भास्कर को सूत्रों से पता चला कि पंजाब की कई किसान यूनियन शाह से मुलाकात को राजी नहीं थीं। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेता राकेश टिकैत इस बीच एक्टिव हुए और नाराज भोगा सिंह व रलदू सिंह को मनाकर बैठक में लाया गया।
  2. टिकैत ने सोमवार को सिंघु पर किसान यूनियन के नेताओं से मुलाकात की। शाह ने जिन 13 किसान नेताओं से मुलाकात की, उनमें भी टिकैत शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक राकेश टिकैत बैक चैनल से सरकार से वार्ता कर रहे थे। हालांकि, सबके सामने उन्होंने अब तक यही कहा है कि किसान संगठनों का फैसला ही मंजूर होगा और कानून वापसी के कम कुछ मंजूर नहीं।

किसान नेताओं की सिंघु बॉर्डर पर 1 बजे बैठक होनी है। तब तक सरकार भी अपना प्रस्ताव उन्हें सौंप सकती है। बैठक में ही प्रस्ताव पर चर्चा होगी और इसी में आगे की रणनीति तय हो जाएगी।
एक ही बात सभी किसान कह रहे हैं – कानूनों को वापस लेने से कम कुछ भी मंजूर नहीं। जो भी सरकार से समझौता करेगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। यूनियन के नेता भी इस बात को जानते हैं और जनता के गुस्से को समझते हैं। आगे की रणनीति में भी इसका ध्यान रखा ही जाएगा।

सरकार से चर्चा से पहले हरियाणा के किसान दो गुटों में बंट गए हैं। 1.20 लाख किसानों ने सरकार को चिट्ठी लिखकर कृषि कानूनों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि नए कानूनों को वापस नहीं लेना चाहिए। हरियाणा के फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशंस (FPOs) से जुड़े किसानों ने यह बात कही है। हालांकि, उन्होंने किसानों के सुझावों के मुताबिक कानूनों में संशोधन करने की सिफारिश की है।

13 दिन से प्रदर्शन कर रहे किसानों से दिल्ली चौतरफा घिर चुकी है। हरियाणा से लगते दिल्ली के 4 बॉर्डर- टिकरी, सिंघु, झारोदा और धनसा पूरी तरह बंद हैं। 2 बॉर्डर सिर्फ हल्के वाहनों के लिए खुले हैं।​​​

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