अयोध्या में राम जन्मभूमि को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड अब कोई चुनौती नहीं पेश करेगा। लखनऊ में बोर्ड की बैठक में इस पर निर्णय लिया गया है। हालाँकि बैठक में 5 एकड़ जमीन को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं हो सका है। बैठक में शामिल 7 में से 6 सदस्यों की राय पर निर्णय हुआ कि बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा।
बैठक के बाद बाहर निकले सदस्य अब्दुल रज्जाक ने बताया कि अयोध्या में पांच एकड़ जमीन लेने या न लेने पर फैसला नहीं हो सका है। इसके लिए फिर से बैठक होगी, अभी तारीख तय नहीं। बैठक में याचिका के पक्ष में सिर्फ रज्जाक रहे और उन्होंने बोर्ड के फैसले को मजाकिया कहा है। उन्होने बताया कि सरकार जब जमीन का प्रस्ताव देगी, तब निर्णय किया जाएगा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया गया है या नहीं। तभी देखेंगे कि इस्लामिक शरीयत के अनुसार जमीन लेना मुनासिब है या नहीं। आज की बैठक में जमीन पर चर्चा ही नहीं की गई।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर अहमद फारुकी ने कहा कि पुनर्विचार याचिका न दाखिल करने का निर्णय इसलिए लिया, क्योंकि हम जनता के सामने कह चुके थे कि हमें कोर्ट का फैसला स्वीकार होगा, चाहे वह हमारे खिलाफ हो। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ हमारी नहीं, बल्कि अन्य मुस्लिम संगठनों की भी थी। अध्यक्ष ने कहा कि 5 एकड़ जमीन पर चर्चा इसलिए नहीं की गई, क्योंकि हमारे सदस्य अभी राय बनाने के लिए अभी और वक़्त चाहते हैं। साथ ही कहा कि जमीन लेने या न लेने का मुद्दा दूसरे लोगों ने उठाया है, हमने नहीं। सुन्नी वक्फ बोर्ड के दस्तावेजों में से बाबरी मस्जिद का नाम हटाने की बात को उन्होंने खारिज किया।