मकर संक्रांति का पर्व यूं तो देश के हर हिस्से में मनाया जाता है, लेकिन बुन्देलखण्ड के बांदा में इस पर्व का विशेष महत्व है। दरअसल इस दिन केन नदी के किनारे भूरागढ़ दुर्ग में आशिकों का मेला लगता है। जहां प्रेम को पाने की चाहत में अपने प्राणों की बलि देने वाले नट महाबली के प्रेम मंदिर में मकर संक्राति के दिन हजारों जोड़े विधिवत पूजा अर्चना कर प्रसाद चढ़ा कर मन्नत मांगते हैं। पुराने लोगों का मानना है की इस मंदिर को “प्यार का मंदिर” भी कहा जाता है।
हर साल मकर संक्रांति के दिन इस किले के नीचे बने नटबाबा के मन्दिर में मेला भी लगता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालू आते हैं। हर साल की तरह इस साल भी केन नदी में मेला लगा जिसमें श्रद्धालुओं ने स्नान किया व नदी से सटे हुए भूरागढ़ के किले में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मंदिर में प्रसाद चढ़ाया व दरगाह पर फातहा दिलाकर मन्नत मांगी।
इस मंदिर में विराजमान नट बाबा भले इतिहास में दर्ज न हो, लेकिन बुन्देलियों के दिलो में नटबाबा के बलिदान की अमिट छाप है। ये जगह आशिकों के लिए किसी इबादतगाह से कम नहीं। मकर संक्रांति के मौके पर शादीशुदा जोड़े यहां आशीर्वाद लेने आते हैं तो सैकड़ो प्रेमी-प्रेमिकाएं अपने मनपसंद साथी के लिए यहां मन्नत मांगते हैं। इस किले में केवल बांदा के ही नहीं बल्कि दूर-दूर से युवक-युवतियां यहां आती हैं। इसलिए इस मंदिर व किले को “प्यार का मंदिर” कहा जाता है।