29 फरवरी को लखनऊ के गंगा प्रसाद मेमोरियल हाल में आयोजित लोकतंत्र बचाओ सम्मेलन में बड़ी संख्या में अधिवक्ता हिस्सा लेंगे। इस का निर्णय माल एवेन्यू में हुई अभियान की लीगल सेल की बैठक में लिया गया। बैठक की अध्यक्षता HC के अधिवक्ता नितिन मिश्रा और संचालन अधिवक्ता कमलेश कुमार सिंह ने किया।
बैठक में लिए प्रस्ताव में जारी तानाशाही पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए अधिवक्ताओं ने कहा कि देश व प्रदेश में कहीं भी कानून का राज नहीं है। SC के तमाम न्यायाधीशों द्वारा स्वस्थ लोकतंत्र के लिए असहमति को सम्मान देने की सलाह के बावजूद वैचारिक असहमति से बलपूर्वक निपटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि SC के आदेश के बाद भी अवैधानिक रूप से प्रदेश में लगातार धारा 144 लगाकर संविधान प्रदत्त नागरिक अधिकारों को छीन लिया गया है। फर्जी एनकाउंटर, थानों में हत्याएं और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर थर्ड डिग्री टार्चर आम बात हो गई है। फर्जी मुकदमें कायम कर गिरफ्तारियां की जा रही है। देशद्रोह, रासुका, गैंगस्टर व गुण्डा एक्ट जैसे काले कानूनों का दुरूपयोग हो रहा है।
अधिवक्ताओं ने बताया कि हद यह है कि बिना अधिकार के शांति भंग जैसी पाबंद करने वाली सामान्य धाराओं में जेल भेजा जा रहा है और लाखों रूपए की जमानतें प्रशासन मांग रहा है। दरअसल यह लड़ाई फासीवादी निजाम और लोकतंत्र के बीच है। मौजूद हुकुमत लोकतंत्र को खत्म कर तानाशाही कायम करना चाहती है।
प्रस्ताव में कहा गया कि आजादी के आंदोलन से लेकर अब तक अधिवक्ता समाज ने जन के पक्ष में बडी भूमिका निभाई है। इसलिए मौजूदा वक्त में भी लोकतंत्र व नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए अधिवक्ता समाज खडा होगा।
बैठक में HC के अधिवक्ता अजहर फैज खान, प्रेमनाथ सिंह, आदित्य सिंह, विपन, मोहम्मद मारूफ, मोहम्मद शकील, आनंद कुमार, विजय कुमार त्रिपाठी, शहबाज अख्तर आदि लोगों ने अपने विचार रखे।