बिहार में गायब 34 सरकारी दफ्तर, ढूंढ रहे अधिकारी, मचा हड़कंप

34 सरकारी कार्यालय विलुप्त हो गए, लेकिन सरकारी बाबू वषों से बेखबर बने हुए हैं। मामला ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यालय खोलने का है। इसमें सबसे खास बात यह कि इन लापता कार्यालयों के लिए कोषागार से हर महीने लाखों रुपए की निकासी भी हो रही है। अब मामला उजागर होने के बाद सरकार इन कार्यालयों को ढूंढने में लगी है। साथ ही दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की कवायद कर रही है।

बिहार सरकार ने एक संकल्प के माध्यम से 7 मार्च 2012 को निर्णय लेकर बिहार में कार्य बेहतरी के तहत नए कार्यालय खोलने का निर्णय लिया था। जिसके तहत जिले के तीन कार्यप्रमंडल,11 अवर प्रमंडल और 23 कार्य प्रशाखा खोलने का निर्णय लिया था और सचिव ने आदेश जारी किए। इन कार्यालयों को 1 अप्रैल 2012 से ही अस्तित्व में आ जाना था। साथ ही सभी अभियंता को अपने अधीन कार्य संपादन करना था। उन्हें वेतन भी संबंधित इलाके के कोषागार से मिलना था।
जहां चाह वहां राह की तर्ज़ पर अधिकारियों ने इस आदेश का तोड़ निकालते हुए 3 कार्यप्रमंडल, वीरपुर, सुपौल ,त्रिवेणीगंज में खोल दिया, लेकिन 11 कार्य अवर प्रमंडल और 23 कार्य प्रशाखा सात साल बाद भी लापता है।

मामले का खुलासा RTI कार्यकर्ता और भ्रष्टाचार जागरूकता अभियान से जुड़े अनिल कुमार सिंह ने सूचना अधिकार से किया है।

जिन प्रखंडों में खुलना था 23 प्रशाखा कार्यालय वह हैं:-

सुपौल प्रखंड- 3, किशनपुर- 2, निर्मली- 1, मरौना- 2, बसंतपुर- 2, राघोपुर- 2, प्रतापगंज- 1, भपटियाही-2, छातापुर- 3, त्रिवेणीगंज-3, पिपरा- 2

बिहार सरकार ग्रामीण कार्य विभाग ने संकल्प संख्या 4303 दिनांक 7 मार्च 2012 के द्वारा ग्रामीण कार्य विभाग का पुनर्गठन एवं उसके अधीन कार्यरत कार्य अंचल,प्रमंडल ,अवर प्रमंडल और प्रशाखा के बीच भौगोलिक रूप से कार्यक्षेत्र का बंटवारा करने का आदेश जारी किया था। आदेश में स्पष्ट था कि सभी नवसृजित कार्यालय 1 अप्रैल 2012 से अस्तित्व में आ जायेंगे और अपने कार्यक्षेत्र के अधीन सभी कार्यो का संपादन उनके द्वारा किया जायेगा। जारी संकल्प में जिले में तीन कार्यप्रमंडल,11 कार्य अवर प्रमंडल और 23 कार्य प्रशाखा खोलना था।

RTI कार्यकर्ता सह भ्रष्टाचार मुक्त जागरूकता अभियान सुपौल के अनिल कुमार सिंह ने जिला लोकशिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष परिवाद दायर कर 7 साल से धरातल से लापता कार्यालय को खोजने और इसमें संलिप्त दोषी पदाधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है। जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने परिवाद दर्ज कर सुनवाई शुरू कर दी है। जिससे संबंधित अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।

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