उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण का जो बिल ड्राफ्ट किया है उसमें स्थानीय चुनाव में तो यह प्रावधान रखा गया है कि दो से ज्यादा बच्चो वाले माँ-बाप चुनाव नहीं लड़ पायेंगे लेकिन लोकसभा और विधानसभा चुनाव को इसमें शामिल नहीं किया गया है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव को शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को क़ानून बनाना होगा। यह कानून अगर केन्द्र बनाता है तो बड़ी संख्या में सांसद और विधायक भविष्य में चुनाव लड़ने से वंचित हो जायेंगे।
योगी सरकार ने जो बिल ड्राफ्ट किया है उसमें (उत्तर प्रदेश जनसँख्या नियंत्रण विधेयक 2021) दो से ज्यादा बच्चो के माँ-बाप स्थानीय चुनाव नहीं लड़ पायेंगे। वह सरकारी नौकरी के अयोग्य हो जायेंगे। उन्हें किसी भी तरह की सब्सिडी हासिल नहीं हो सकेगी। जो मौजूदा समय में सरकारी नौकरी कर भी रहे हैं उन्हें भविष्य में प्रमोशन नहीं मिलेगा।
इस बिल में लोकसभा और विधानसभा चुनाव को भी शामिल किया जाए तो हालात सांसदों और विधायकों को डराने वाले होंगे। उत्तर प्रदेश विधानसभा में बीजेपी के 304 विधायक हैं। इनमें से आधे विधायक दोबारा से चुनाव लड़ने का ख़्वाब भी नहीं देख पाएंगे क्योंकि 152 विधायकों के दो से ज्यादा बच्चे हैं। लोकसभा में यह व्यवस्था लागू होती है तो वहां भी बीजेपी के 105 सांसद दोबारा से लोकसभा की सीढ़ियां चढ़ने को तरस जायेंगे।
लोकसभा में इस समय 540 सांसद हैं. इनमें से 186 सांसदों के दो से ज्यादा बच्चे हैं। बीजेपी के 105 सांसद ऐसे हैं जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं।
बात उत्तर प्रदेश विधानसभा की करें तो बीजेपी के 152 विधायकों के दो से ज्यादा बच्चे हैं। इनमें 83 विधायकों के तीन-तीन बच्चे हैं। 44 के चार-चार बच्चे हैं। 15 विधायकों के पांच-पांच बच्चे हैं। छह विधायकों के सात बच्चे हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी के 49 सदस्य हैं। इनमें 11 विधायकों के तीन-तीन बच्चे हैं। 11 विधायकों के चार-चार बच्चे हैं। दो विधायकों के पांच-पांच बच्चे हैं और एक विधायक के सात बच्चे हैं। यानि समाजवादी पार्टी के 23 विधायक फिर से विधायक बनने का सपना नहीं देख पायेंगे।
बहुजन समाज पार्टी के 18 विधायक हैं। इनमें सात विधायकों के तीन-तीन बच्चे हैं। तीन विधायकों के चार-चार बच्चे हैं। एक विधायक के छह और एक विधायक के सात बच्चे हैं। मतलब 18 में से 12 बसपा विधायकों पर भी तलवार लटकी हुई है।
कांग्रेस पार्टी के यूपी में सिर्फ सात विधायक हैं। इनमें तीन विधायकों के तीन-तीन बच्चे हैं। एक विधायक के चार बच्चे हैं। मतलब कांग्रेस के चार विधायकों को विधानसभा का मोह छोड़ना पड़ेगा।