आर्थिक तूफान आने वाला है, प्‍यार से कहता हूं पैकेज को रिकंसीडर करें-राहुल गांधी

कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्‍यक्ष और सांसद Rahul Gandhi ने आज लोकल मीडिया से बात की। इसकी स्‍ट्रीमिंग उनके यूट्यूब चैनल पर की गई। उन्‍होंने Coronavirus लॉकडाउन के बीच, सरकार द्वारा जारी 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज पर सवाल खड़े किए। उन्‍होंने कहा कि इस वक्‍त लोगों के हाथ में पैसा होना चाहिए। Rahul ने PM नरेंद्र मोदी से अपील की कि वे अस्‍थायी तौर पर ही सही, NYAY योजना को लागू करें। उन्‍होंने कहा कि डायरेक्‍ट लोगों के खाते में पैसा भेजना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि डायरेक्‍ट कैश ट्रांसफर, मनरेगा के कार्य दिवस 200 दिन, किसानों को पैसा आदि के बारे में मोदी जी विचार करें, क्योंकि ये सब हिंदुस्तान का भविष्य है।


Rahul Gandhi ने कहा कि “जब बच्चों को चोट पहुंचती है, तो मां उनको कर्जा नहीं देती, बल्कि राहत के लिए तुरंत मदद देती है। कर्ज का पैकेज नहीं होना चाहिए था, बल्कि किसान, मजदूरों की जेब में तुरंत पैसे दिए जाने की आवश्यकता है।” Rahul ने कहा कि डिमांड को स्‍टार्ट करने के लिए अगर हमने पैसा नहीं दिया तो बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान होगा। उन्‍होंने कहा कि ‘प्‍यार से बोल रहा हूं, इस पैकेज को सरकार रिकंसीडर करे।’

कांग्रेस नेता ने कहा कि इस वक्‍त सबसे बड़ी जरूरत डिमांड-सप्‍लाई को शुरू करने की है। उन्‍होंने कहा कि “आपको गाड़ी चलाने के लिए तेल की जरूरत होती है। जबतक आप कार्बोरेटर में तेल नहीं डालेंगे, गाड़ी स्‍टार्ट नहीं होगी। मुझे डर है कि जब इंजन शुरू होगा तो तेल ना होने की वजह से गाड़ी चलेगी ही नहीं।” उन्‍होंने केरल में कोरोना वायरस पर कंट्रोल की तारीफ की और कहा कि वह एक मॉडल स्‍टेट है और बाकी राज्‍य उससे सबक ले सकते हैं।


Rahul Gandhi ने कहा कि यह उंगली उठाने का वक्‍त नहीं है। आज हिन्‍दुस्‍तान के सामने बड़ा प्रॉब्‍लम है और हमें उसे दूर करना है। उन्‍होंने कहा कि “ये लोग जो सड़कों पर चल रहे हैं, इनकी मदद हम सबको करनी है। BJP सरकार में है और उनके हाथ में सबसे ज्‍यादा औजार हैं तो उनकी ये जिम्‍मेदारी बनती है। हम सब मिलकर इससे लड़ेंगे। हम राज्‍यों में कोऑर्डिनेशन को दूर करना होगा।” वायनाड से कांग्रेस सांसद ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्‍यों में मजदूरों को पूरा सपोर्ट देने की कोशिश है। हम डायरेक्‍ट पैसा दे रहे हैं। मनरेगा के तहत रोजगार को डबल करने की कोशिश कर रहे हैं।


Rahul ने मीडिया की तारीफ करते हुए कहा कि अगर उसने प्रवासी मजदूरों के संकट को ना दिखाया होता तो हम सरकार पर दबाव नहीं बना पाते। उन्‍होंने 12 फरवरी को ट्वीट कर सरकार को Corona के खतरे प्रति आगाह किया था। क्‍या सरकार से चूक हुई? इस सवाल पर राहुल ने कहा कि ‘अब इसका कोई मतलब नहीं हैं। मैं आपसे इसलिए बात कर रहा हूं ताकि सरकार पर दबाव डाल सकूं। बहुत जबर्दस्‍त आर्थिक डैमेज होने वाला है।’ उन्‍होंने कहा कि सरकार के लोग विपक्ष की बात अच्‍छी तरह से सुनेंगे तो हमारी बात मान लेंगे।

Lockdown के चौथे चरण पर राहुल ने कहा कि ‘मुझे यह दिख रहा है कि Lockdown हुआ। अब हमें होशियारी से इससे निकलना है। ना हमें इकनॉमी को ढहने देना है, ना ही अपने बुजुर्गों को खोना है। हम ठीक से प्‍लानिंग करेंगे तो हम दोनों चीजों को बैलेंस करके निकाल सकते हैं। हाल ही में रघुराम राजन और अभिजीत बैनर्जी से बातचीत करने वाले राहुल ने कहा कि मैं पत्रकार नहीं बन रहा हूं। उन्‍होंने कहा कि मैंने सोचा कि मेरी जो ऐसे लोगों से बातचीत होती है, उसकी एक झलक बाहर दिखा दूं।

मनरेगा में किन बदलावों की जरूरत है, इसपर Rahul ने कहा कि शहर और गांवों के मजदूरो के लिए अलग-अलग योजनाएं होनी चाहिए। गांवों के लिए मनरेगा और शहरों के लिए न्‍याय योजना लागू होनी चाहिए। 4-5 महीने न्‍याय योजना लागू करने के बाद, बंद कर दें। PM मोदी ने अपील की थी कि लोकल चीजों को प्रमोट करें। उसके बारे में मुखर होकर बात करें। इसपर Rahul Gandhi ने कहा कि ‘लोकल वोकल तभी होगा जब उसके पेट में भोजन होगा।’ उन्‍होंने कहा कि आज हमें कोरोना से लड़ना है।

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