देश में बढ़ते कोरोना वायरस की रोकथान के लिए 21 दिनों का लॉकडाउन जारी है, जो आने वाले 14 अप्रैल को समाप्त हो जाएगा। इस लॉकडाउन की वजह से जहां देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया है तो वहीं इससे देश की प्रदूषण के स्तर को भी कम किया है, साथ ही भारत की धार्मिक-सांस्कृतिक नदी गंगा के जल की गुणवत्ता में भी सुधार देखा गया है। विशेषज्ञों की माने तो उत्तराखंड से गंगासागर तक गंगा का पानी पहले से कहीं ज्यादा साफ हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक वाराणसी के अस्सी घाट पर स्थित वरुणा संगम के बीच भी गंगाजल की गुणवत्ता में 30 से 35 फीसदी तक इजाफा हुआ है। इसकी साफ वजह कारखानों का बंद होना बताया जा रहा है। साथ ही इन दिनों श्रद्धालुओं का स्नान और गंगा किनारे किए जाने वाले अन्य काम भी बंद हैं जिसका असर गंगा के पानी पर पड़ा है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विशेषज्ञों का कहना है कि गंगाजल में फिक्कल कोलीफार्म की मात्रा में कमी आई है। जहां पहले इसकी मात्रा प्रति सौ एमएल में 15 हजार थी तो वहीं अब ये घट कर 11 हजार तक आ गई है। वहीं पानी में पीएच का स्तर भी 3.5 से अधिक हो गया है। लॉकडाउन से पहले गंगा जल के परीक्षण में यह मात्रा काफी कम मापी गई थी। वहीं ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ी है, घुलित ऑक्सीजन की मात्रा प्रति लीटर तीन एमजी हो गया है।
आपको बता दें, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रीयल टाइम वॉटर मॉनिटरिंग भी कराता है। जिसके तहत गंगा के पूरे प्रवाह के रास्ते में कुल 36 जगहों पर मॉनीटरिंग सेंटर बने हैं। उनमें 27 सेंटरो पर गंगाजल की गुणवत्ता में सुधार देखा गया है और इन स्थानों पर ये पानी नहाने लायक हो गया है। वहीं देशभर में संपूर्ण लॉकडाउन से पहले केवल 6 स्थानों पर ही गंगाजल नहाने लायक था।