अब तक यह माना जाता रहा है कि Corona से बुजुर्गों को अधिक खतरा है, लेकिन एक नए अध्ययन से पता चला है कि युवाओं को भी इसके प्रतिकूल परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। जर्नल जामा इंटर्नल मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने 419 अस्पतालों में भर्ती 18 से 34 वर्ष के बीच के 3,222 लोगों के मेडिकल रिकॉर्ड के अध्ययन के बाद यह दावा किया है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि 21 फीसद रोगियों को गहन देखभाल की जरूरत पड़ी, जबकि 10 फीसद को वेंटीलेटर उपलब्ध कराना पड़ा। वहीं, 2.7 फीसद मरीजों की Corona से मौत हो गई। शोध के लेखक जोनाथन कनिंघम ने कहा, ‘भले ही बुजुर्ग रोगियों की तुलना में युवाओं की 2.7 फीसद मृत्युदर काफी कम है, लेकिन यह उन युवाओं के लिए अधिक है, जो किसी और बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती होते हैं।
अस्पताल में भर्ती 36.8 फीसद युवा मोटापे से पीडि़त थे। इसके अलावा 18.2 फीसद रोगियों को मधुमेह था, जबकि 16.1 फीसद में उच्च रक्तचाप की समस्या था। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन रोगियों में ये समस्याएं थीं, उन्हें ज्यादा जोखिम था। उदाहरण के लिए Coronavirus की वजह से मौत का शिकार होने वाले या फिर वेंटीलेटर का इस्तेमाल करने वाले युवाओं में 41 फीसद वैसे थे जो मोटापे से पीडि़त थे।
शोधकर्ताओं ने कहा कि इस आयु सीमा के अधिकांश लोग इस बीमारी से अपने आप ठीक हो जाते हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि अगर अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है तो परिणाम कई बार उम्मीदों के विपरित होते हैं। इससे इतर वैज्ञानिकों ने रक्त और लार में लंबे समय तक सक्रिय रहने वाली एंटीबॉडी की पहचान की है। यह एंटीबॉडी घातक वायरस को निशाना बना सकती है।

