योगी मंत्रिमंडल के विस्तार का प्रदेश पर पड़ेगा असर

उत्तर प्रदेश में दिन पर दिन बिगड़ती कानून व्यवस्था पर चौतरफा घिर रही योगी सरकार 2022 के चुनावी रण को पार करने के लिए कमर कस चुकी है। मौजूदा हालातों को देखते हुए सीएम योगी ने अपनी राजनीतिक चौसर में बड़ा फेरबदल किया है। राजभवन में 23 मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। मंत्रिमंडल में 6 कैबिनेट, 6 स्वतंत्र प्रभार और 11 राज्यमंत्री शामिल किए गए। मंत्रिमंडल में इस बड़े फेरबदल को 2022 के चुनाव से भी जो़ड़ा जा रहा है।

गौरतलब है कि बीते कई दिनों से विपक्ष लगातार बिगड़ती कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथ ले रही है। ऐसी स्थिति में सूबे की जनता पर असर पड़ना लाज़मी था, इसी के मद्देनज़र सीएम योगी ने अपने मंत्रिमंडल में बड़े स्तर पर बदलाव किए हैं। हालांकि माना यह भी जा रहा है कि बीजेपी ने 2022 को ध्यान में रखते हुए और जातिगत समीकरणों को वरीयत देते हुए इस बार फेरबदल किया है।

मंत्रिमंडल के विस्तार के ठीक एक दिन पहले वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल, बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल, सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह, खनन राज्य मंत्री अर्चना पांडेय से इस्तीफा ले लिया गया था। राजेश अग्रवाल के इस्तीफे के पीछे उनकी उम्र को वजह बताया गया तो वहीं अनुपमा जायसवाल और धर्मपाल सिंह पर विभागों में अनियमितता के चलते सीएम काफी वक़्त से नाराज़ थे। मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने भी इस्तीफा दिया था लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया।

 प्रदेश अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के बाद परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने भी इस्तीफा दिया था। इस्तीफों के इस दौर के बाद मंत्रिमंडल की संख्या 38 रह गई थी, जिनमें 4 कैबिनेट मंत्रियों के पद लोकसभा चुनाव के बाद से ही खाली चल रहे थे। ऐसे में ये साफ है कि मौजूदा वक्त में चौतरफा घिरी सरकार अब किसी भी तरह की रियायत बरतने के मूड में बिल्कुल नहीं है और इसके साथ ही 2022 के लिए ज़मीन तलाशना भी शुरू कर चुकी है।

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