Yogi Aditynath Horoscope:: उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने वो कर दिखाया है, जो पिछले 37 सालों में कोई और नहीं कर पाया। उनकी अगुवाई में सत्तारूढ़ बीजेपी दोबारा सत्ता में लौट आई है। जून, 1972 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्में योगी आदित्यनाथ अपने गुरु और गोरखनाथ मठ के महंत रहे अद्वैतनाथ के संपर्क में आने से पूर्व अजय सिंह बिष्ट के नाम से जाने जाते थे। दीक्षा लेने के बाद उन्होंने अपना नाम बदल लिया। योगी का बचपन से ही आध्यात्मिकता की तरफ झुकाव था। राजनीति और आध्यात्म दो अलग-अलग बिंदु हैं, लेकिन योगी ने समान रूप से इन दोनों पर महारत हासिल की। ज्योतिष-शास्त्र के विशेषज्ञों के मुताबिक यह कुछ और नहीं बल्कि कुंडली में ग्रहों के अच्छे युग्म का प्रतिफल है।
उच्च पदों की प्राप्ति का योग: योगी आदित्यनाथ की कुंडली के अनुसार उनका लग्न सिंह है और लग्नेश कर्म का कारक होकर सूर्य, शनि और बुध की युति के साथ में विद्यमान है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य की ऐसी स्थिति जातक को राजसत्ता का सुख देती है। ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक जिसकी कुंडली में लग्नेश कर्म भाव होता है, उस जातक को जीवन में उच्च पद की प्राप्ति होती है।
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शत्रुओं से हमेशा घिरे रहेंगे: वैदिक ज्योतिष के अनुसार योगी आदित्यनाथ की कुंडली में पंचम भाव में गुरु स्वग्रही होकर बैठे है, लेकिन छठे भाव में राहु का शत्रुहंता योग बन रहा है। इससे यह साबित होता है कि यह अपने आसपास शत्रुओं से घिरे रहेंगे लेकिन यह शत्रुओं पर हावी रहेंगे। वहीं सप्तम भाव की बात करें तो चंद्र विराजमान हैं, ज्योतिष के अनुसार कुंडली में सिंह लग्न और सप्तम भाव में चंद्रमा हों तो ऐसे जातकों को जीवन में वैवाहिक सुख नहीं मिलता है।
केतु की महादशा: ग्यारहवें भाव को देखें तो इसमें शुक्र और इसी भाव में मंगल तृतीय स्थान पर हैं। जबकि द्वादश भाव में केतु मौजूद हैं। इसके हिसाब से देखा जाए तो जातक का समय शानदार होने वाला है। चूंकि 21 फरवरी 2017 से 2024 तक केतु की महादशा रहेगी। 2017 के चुनाव के दौरान केतु की महादशा में ही विजयी हुए थे, इस बार भी केतु महादशा का प्रभाव देखने को मिल रहा है।
रहेगा स्वर्णिम दौर: ऐसे में 14 जनवरी 2022 से आगामी वर्ष 24 फरवरी 2023 के बीच में शनि का अंतर होगा। कर्म भाव में शनि होने की वजह से इनके साथ न्याय की स्थिति बनेगी। वहीं दशा बदलने की स्थिति में इसके बाद शुक्र की महादशा चलेगी। योगी आदित्यनाथ के लिए यह समय उनके जीवन काल का सबसे स्वर्णिम दौर रहने के संकेत मिल रहे हैं।