बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है. लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के नेता चिराग पासवान और चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर के बीच संभावित गठबंधन की चर्चा जोरों पर है. कहा जा रहा है कि दोनों दल आपसी गठबंधन कर बिहार चुनावी मैदान में उतर सकते हैं.
LJP और BJP के बीच सीट बंटवारे को लेकर चल रही बातचीत
LJP और बीजेपी के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत जारी है. चिराग पासवान 243 सीटों में से 40 सीटों की मांग कर रहे हैं. उनका दावा है कि पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने 5 में से 5 सीट जीती थीं, इसलिए उन्हें अधिक सीटें मिलनी चाहिए. वहीं, बीजेपी कथित तौर पर सिर्फ 25 सीटें देने के पक्ष में है. पार्टी सूत्रों ने NDTV को बताया कि ‘राजनीति में दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं’, इसलिए इस तरह का गठबंधन पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता.
चिराग चाहते हैं खास सीटें
LJP चाहती है कि उसे ‘क्वालिटी सीटें’ मिलें. चिराग ने NDTV से कहा, “मैं सार्वजनिक मंच पर सीटों का नाम नहीं बताऊंगा, क्योंकि वह नैतिक रूप से गलत होगा.” बीजेपी ने सीट बंटवारे की बातचीत को चुनाव तारीखों की घोषणा के बाद तक टाल दिया है, ताकि टिकट न मिलने पर संभावित नेताओं के दलबदल को रोका जा सके.
PK के साथ गठबंधन का फायदा और नुकसान
अगर चिराग पासवान और प्रशांत किशोर साथ आते हैं, तो यह दोनों के लिए एक अनोखा और अप्रत्याशित कदम होगा. यह गठबंधन LJP को ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका देगा, लेकिन प्रशांत किशोर की पहली चुनावी पारी होने के कारण यह गठबंधन पासवान की मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा को मजबूत करने में शायद ज्यादा मददगार साबित न हो. बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 सीटों का है. BJP, जदयू और RJD जैसी बड़ी पार्टियों को चुनौती देना LJP–PK गठबंधन के लिए आसान नहीं होगा.
BJP पर दबाव बढ़ाने की रणनीति
LJP सूत्रों का मानना है कि प्रशांत किशोर के साथ गठबंधन की चर्चा भर से ही बीजेपी पर सीट बंटवारे में दबाव बढ़ सकता है. पार्टी चाहती है कि उसे “सम्मानजनक” संख्या में सीटें दी जाएं. चिराग पासवान पहले ही कह चुके हैं कि वह सब्जी में नमक की तरह हैं… वह हर सीट पर 20 से 25 हजार वोट प्रभावित कर सकता हैं. उन्होंने साफ किया कि वे बीजेपी गठबंधन में हैं, लेकिन कभी भी बाहर निकलने का विकल्प उनके पास मौजूद है. बीजेपी ने इस बयान को गंभीरता से न लेते हुए इसे LJP के भीतर का दबाव दिखाने की रणनीति बताया.
CM पद पर चिराग की नजर
चिराग पासवान ने इस बार ‘अबकी बार, युवा बिहारी’ का नारा दिया है, जो बीजेपी के लोकसभा चुनाव वाले नारे से मिलता-जुलता है. इससे उन्होंने खुद को नीतीश कुमार के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में पेश करने की कोशिश की है. LJP की रणनीति अब पासवान को राज्य में मजबूत नेता के रूप में स्थापित करने पर केंद्रित है.
तेजस्वी यादव से गठबंधन की अटकलों पर विराम
तेजस्वी यादव और चिराग पासवान के बीच गठबंधन की अटकलें अब शांत हो गई हैं. विश्लेषकों का कहना है कि विपक्ष में जाकर चिराग को नेतृत्व की जगह मिलना मुश्किल होता, और कांग्रेस की मौजूदगी से मुख्यमंत्री बनने की संभावना और घट जाती.