Monkeypox Update: क्या कोरोना (Corona) के बाद मंकीपाक्स (Monkeypox) महामारी बनकर पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेगी? यह सवाल कई लोगों के जेहन में उठ रहा है। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि लोगों को इस बीमारी से अभी डरने की कोई जरूरत नहीं है और मंकीपाक्स (Monkeypox) को अगली महामारी कहना भी जल्दबाजी होगी। कोरोना (Corona) के बाद मंकीपाक्स (Monkeypox) काफी तेजी से फैल रहा है। यह वायरस अब तक 24 देशों में पैर पसार चुका है और दुनियाभर में इसके 435 मामले सामने आ चुके हैं।
डब्ल्यूएचओ (WHO) की एक रिपोर्ट के आधार पर सीएनबीसी ने कहा कि अभी हमारे पास इस बीमारी पर लगाम लगाने का मौका है। अफ्रीका के बाहर अभी कई देशों में इस बीमारी से संबंधित बहुत से अज्ञात मामले हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वायरस को कोविड-19 (Covid-19) समझने की गलती नहीं करनी चाहिए और लोगों में इसका खतरा भी अभी काफी कम है। हम नहीं चाहते कि लोगों में घबराहट फैले, वे भयभीत हों और इस बीमारी के बारे में कोविड-19 की तरह सोचें।
मंकीपाक्स बीमारी कोविड-19 की तरह नहीं
डब्ल्यूएचओ (WHO) के महामारी विभाग की निदेशक स्लिविया ब्राइंड ने कहा, मंकीपाक्स बीमारी कोविड-19 (Covid-19) की तरह नहीं है। यह एक अलग तरह का वायरस है। हालांकि अभी स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसके आनुवंशिक स्वरूप को लेकर स्पष्ट नहीं हैं लेकिन मौजूदा डाटा यह बताते हैं कि यह वायरस कोविड-19 (Covid-19) और आरएनए की तरह जल्द एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से नहीं फैलता। सच कहूं तो फिलहाल हम अभी ग्लोबल महामारी को लेकर चिंतित नहीं हैं।
मंकीपाक्स (Monkeypox) पर डब्ल्यूएचओ (WHO) की तकनीकी अधिकारी रोसमाउंड लेविस ने कहा कि बढ़ते व्यक्तिगत मामले हमारे लिए चिंता का विषय थे, क्योंकि इससे वायरस एक व्यक्ति और स्थान से दूसरे व्यक्ति और स्थान पर आसानी से फैल सकता था।
सबसे पहले गे और बाइसेक्सुअल पुरुषों में सामने आया यह वायरस
उन्होंने आगे कहा, यह वायरस सबसे पहले गे और बाइसेक्सुअल पुरुषों में सामने आया। हालांकि इस वायरस को यौन संचारित रोग के रूप में परिभाषित नहीं किया गया। यद्यपि लेविस ने गे और बाइसेक्सुअल लोगों को नजदीक आने से बचने की सलाह दी है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अभी दुनिया के पास इस वायरस को फैलने से रोकने का मौका है।