थायरॉयड की समस्या महिलाओं में बहुत ही आम हो चुकी है। जो अन्य कई बीमारियों की वजह है। आजकल ज्यादातर स्त्रियां थायरॉयड संबंधी समस्याओं से परेशान रहती हैं। क्योंकि इससे उनका शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। तो क्या है थायरॉयड, क्यों होती है। यह समस्या और क्या है? इसका इलाज, जानेंगे इससे जुड़ी जरूरी जानकारी।
क्या है थायरॉयड?
सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है। कि यह अपने आप में किसी बीमारी का नाम नहीं है। बल्कि यह थायरॉयड ग्लैंड की कार्यप्रणाली से जुड़ी समस्या है। चूंकि इसकी वजह से कई और स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसलिए इसके प्रति सजगता ज़रूरी है। दरअसल यह ग्लैंड गले के निचले हिस्से में स्थित होता है। इसके निचले हिस्से में खास तरह के हॉर्मोन टी-3 और टी-4 का स्राव होता है। जिसकी मात्रा के असंतुलन का असर सेहत पर भी पड़ता है। इसे ऑटो इम्यून डिज़ीज़ कहा जाता है। जो मुख्यत: थायरॉयड ग्लैंड से निकलने वाले हॉर्मोन्स के असंतुलन के कारण पैदा होता है। इसके अलावा आनुवंशिकता, जन्मजात रूप से ग्लैंड की संरचना में कोई गड़बड़ी, एंटीबायोटिक्स या स्टेरॉयड दवाओं के साइड इफेक्ट्स से भी थायरॉयड ग्लैंड की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है।
क्या इसका उपचार संभव है?
अगर हाइपोथायरॉयडिज़्म की समस्या हो तो रोज़ सुबह खाली पेट इसकी दवाओं का सेवन ज़रूरी है। हाइपरथायराडिज़्म होने पर दवा नाश्ते के बाद लेनी चाहिए। अगर डॉक्टर द्वारा दवा की डोज़ में कोई परिवर्तन किया गया है। तो दो महीने के बाद जांच ज़रूरी है। अगर ऐसा कोई बदलाव नहीं किया गया है। तो हर छह महीने के बाद जांच करवाएं। नियमित जांच एवं दवाओं का सेवन ही इसका एकमात्र उपचार है। गंभीर स्थिति में आयोडीन थेरेपी दी जाती है। यह जीवनशैली से जुड़ी ऐसी समस्या है, जिसे आसानी से मैनेज किया जा सकता है।