Jharkhand Crisis: राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल की संभावनाओं के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) अब राजकाज में मन लगा रहे हैं। सोमवार को भारी वर्षा के बावजूद मंत्रियों समेत उनका लाव-लश्कर प्रोजेक्ट भवन सचिवालय पहुंचा। इससे कई दिनों बाद सचिवालय में रौनक दिखी। मुख्यमंत्री ने इस दौरान केंद्र सरकार के साथ-साथ विरोधियों पर निशाना साधा। चुनाव आयोग से आए निर्देश संबंधी सवाल पूछने पर कहा कि यह तो राज्यपाल रमेश बैस की बताएंगे। वे भी इंतजार कर रहे हैं। मौजूदा स्थिति के विषय में ज्यादा अच्छे से राजभवन ही बता पाएगा।
मैं कुर्सी से नहीं जनता से दिल्लगी करता हूं : हेमंत
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) ने कहा कि वह कुर्सी से दिल्लगी नहीं करते। वे राज्य के सवा 3 करोड़ लोग, आदिवासी, दलित, पिछड़े, गरीब, मजदूरों से दिल्लगी करते हैं। विधानसभा की सदस्यता से अयोग्यता संबंधी सवाल पर कहा कि राजनीतिक गलियारे में ऐसी बातें होती रहती हैं। चिंता की कोई बात नहीं। नकदी के साथ कोलकाता में गिरफ्तार किए गए कांग्रेस के 3 विधायकों का संदर्भ देते हुए विधायकों की खरीद-फरोख्त के सवाल पर बोले – तीनों विधायकों की गिरफ्तारी की वजह जांच का विषय है। कुछ ऐसे हैं जो बिकने के लिए खड़े हो जाते हैं और कुछ नहीं बिकते। पकड़े जाने वाले मुसीबत में फंसते हैं। जो बच जाते हैं, उनकी बल्ले-बल्ले हो जाती है।
हर कोई एकनाथ शिंदे जैसा चालाक नहीं होता
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) ने महाराष्ट्र के हालिया घटनाक्रम पर कहा कि हर कोई एकनाथ शिंदे जैसा चालाक नहीं होता है। सरकार बनाओ, सरकार तोड़ो, विधायक बनाओ, विधायक बेचो। व्यापारियों का काम खरीदना और बेचना है। हम भी जवाब देंगे और जनता भी जवाब देगी। धर्म और समाज के आधार पर कितने दिन राजनीतिक रोटी सेकेंगे। देश की सरकार आधे राज्य से लड़ाई लड़ रही है। ऐसे में देश का कैसे भला होगा।
विधानसभा सदस्यता रद करने को लेकर बवाल
मालूम हो कि झारखंड में पिछले कई दिनों से सियासी तूफान सा मचा हुआ है। कहा जा रहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) की विधानसभा सदस्यता चुनाव आयोग ने रद कर दी है। इस संबंध में चुनाव आयोग ने झारखंड के राज्यपाल के पास अपना मंतव्य भी भेज दिया है। राज्यपाल ने अभी तक अपना आदेश चुनाव आयोग को नहीं भेजा है, और ना ही अपने आदेश से हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) को अवगत कराया है। भाजपा (BJP) नेता डा निशिकांत दुबे के टवीट के बाद यह कहा जा रहा कि चुनाव आयोग ने राज्यपाल को मंतव्य भेजा है। इसके बाद से ही झामुमो और कांग्रेस के विधायकों की गोलबंदी की कवायद जारी है। दोनों दलों के नेता बार-बार सवाल उठा रहे कि चुनाव आयोग के फैसले की जानकारी भाजपा (BJP) नेता को कैसे हुई। भाजपा (BJP) पूरे मसले पर चुप है। झामुमो और कांग्रेस के नेता अब राज्यपाल से पूछ रहे हैं कि सच्चाई क्या है, खुलासा करें। इस बीच राज्यपाल ने भी चुप्पी साध रखी है। राजभवन की ओर से कोई बयान नहीं आया है।