बिहार में फैले Coronavirus संक्रमण के मामलों में एक बात गौर करने वाली है। एक तरफ जहां पूरी दुनिया में Ventilator की मारामारी मची है, वहीं बिहार में अब तक किसी भी कोरोना मरीज को वेंटिलेटर या ICU में रखने की जरूरत नहीं हुई है। बीते काफी सालों से बिहार में मलेरिया का भी काफी प्रभाव है। यहां हर साल कई लोगों में मलेरिया की शिकायत होती है। ऐसे में जानकार यह भी मानते हैं कि मलेरिया का सामना करते-करते बिहार के लोगों की वायरस प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हो गई होगी। यहां यह भी गौर करने वाली बात है कि Coronavirus से संक्रमित लोगों के इलाज में मलेरिया की दवाई कारगर साबित हो रही है। अमेरिका ने भी भारत से मलेरिया की दवाई डिमांड की है।
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते यूरोप और अमेरिका में काफी संख्या में लोगों की जान जा रही है, वहीं भारत के बिहार में इस वायरस से संक्रमित लोगों में इसका कम असर दिख रहा है।
यहां अब तक जितने भी कोरोना संक्रमित मरीज आए हैं उन सबको केवल अलग वॉर्ड में Quarantine करके और मलेरिया की दवाई खिलाकर ठीक किया जा रहा है। बिहार की राजधानी पटना के नालन्दा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (NMCH) में कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है। यहां अब तक केवल 2 कोरोना पॉजिटिव मरीज को इमरजेंसी वॉर्ड में शिफ्ट करने की नौबत आई है।
भारत सरकार के ट्रॉपिकल डिजीज संस्थान RMRI के डायरेक्टर पी दास ने बताया कि बिहार लोगों में Immunity ज्यादा है या नहीं इसपर अभी तक कोई रिसर्च तो नहीं हुआ है। लेकिन बिहार में लोग साल के कई महीने कई तरह के वायरस का सामना करते हैं। इसलिए हो सकता है कि बिहार के निवासियों के शरीर में बेस्ट लाइन इम्यूनिटी सिस्टम डेवलप कर गया हो, लेकिन आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टी नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि संभावना हो सकती है कि कई वायरस को झेलने वाले बिहार के लोगों की बॉडी में वायरस के क्रॉस कनेक्शन की वजह से हार्ड इम्युनिटी (Herd Immunity)डेवलप हो गया है।
RMRI के डायरेक्टर पी दास ने आगे बताया कि बताया कि बिहार के ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े लोग बचपन से ही कई तरह के वायरस का सामना करते हैं। इसलिए ऐसी संभावना है कि इनकी प्रतिरोधक क्षमता अमेरिका और यूरोपिय लोगों से अधिक हो। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि यह शोध का विषय है इसलिए अभी किसी निष्कर्ष को बताना आसान नहीं है।