दुर्दांत हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे एक आपराधिक किस्म का इंसान था, उसने एक के बाद एक कई हत्याएं कीं। विकास दुबे के खिलाफ 60 से ज्यादा हत्या, रंगदारी जैसी संगीन धाराओं में मामले दर्ज हैं लेकिन राजनीतिक संरक्षण की वजह से विकास के खिलाफ कभी कोई सख्त एक्शन लिया ही नहीं गया। इस बीच वो कई बार जेल भी गया लेकिन जमानत लेकर बाहर आ जाता था। उसने लूट, फिरौती से अपना साम्राज्य खड़ा कर लिया और दर्जनों गुर्गों को पाल रखा था।
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के जुर्म कि फेहरिस्त बहुत लम्बी है। साल 2001 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी है। इसके अलावा साल 2000 में कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र में स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या में भी विकास का नाम आया था। कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र में ही साल 2000 में रामबाबू यादव की हत्या के मामले में विकास दुबे पर जेल के भीतर रह कर साजिश रचने का आरोप है। यही नहीं साल 2004 में हुई केबल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे आरोपी है।
इसके अलावा विकास दुबे अजय मिश्रा, कृष्ण बिहारी मिश्रा, कौशल तिवारी और जय प्रकाश की हत्या का आरोपी था। कानपुर के इलाके में विकास का इतना खौफ था कि ज्यादातर लोग उसके खिलाफ कोई गवाही देने या मुकदमा दर्ज करवाने नहीं आते थे।
2 जुलाई की रात को विकास दुबे ने अपने साथियों के साथ मिलकर CO देवेंद्र मिश्रा, SO महेश यादव, चौकी इंचार्ज अनूप कुमार सिंह, चौकी इंचार्ज नेबू लाल, कान्स्टेबल सुल्तान सिंह, जितेंद्र सिंह, बबलू और राहुल कुमार की हत्या की।
साल 2018 में विकास दुबे ने अपने चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला करवाया था, उसने माती जेल में बैठकर पूरी साजिश रची थी। जिसके बाद अनुराग की पत्नी ने विकास दुबे समेत चार लोगों के खिलाफ नामजद केस दर्ज करवाया था।