कमाल की बात: यमुना किनारे उगी सब्जियां हानिकारक नहीं, लेकिन मर रहीं हैं मछलियां

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक शोध रिपोर्ट में निष्कर्ष सामने आया है । सीपीसीबी को शोध के दौरान यहां की किसी भी सब्जी के नमूने में न किसी धातु के और न ही पेस्टिसाइड के अंश मिले हैं। यमुना मॉनीटरिंग कमेटी ने अप्रैल 2019 में सीपीसीबी को यमुना खादर में उगाई जा रही सब्जियों पर शोध रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे। इस निर्देश के मद्देनजर सीपीसीबी ने जून 2019 में सब्जियों के नमूने लेकर जांच की। इसमें कुछ नमूने पल्ला से वजीराबाद, कुछ वजीराबाद से निजामुद्दीन ब्रिज और कुछ निजामुद्दीन ब्रिज से ओखला तक के क्षेत्र से उठाए गए। जब सीपीसीबी के वैज्ञानिकों ने इन सब्जियों की जांच की तो उनमें कुछ भी हानिकारक तत्व नहीं मिले।

हालांकि सीपीसीबी खुद भी इस निष्कर्ष से संतुष्ट नहीं है। इसीलिए उसने अपनी रिपोर्ट में यमुना किनारे उग रही सब्जियों पर वर्ष भर चलने वाला विस्तृत शोध कराने का सुझाव दिया है, ताकि हकीकत सामने आ सके। यमुना में भले ही कितनी भी गाद भरी हो, जिसकी वजह से वहां की मछलियां भी मर रही हों, लेकिन यमुना किनारे उगाई जा रहीं सब्जियां हानिकारक नहीं हैं।

सीपीसीबी ने रिपोर्ट में यह जरूर कहा है कि यमुना खादर में हो रही खेती पर पेस्टिसाइड और फर्टिलाइजर का प्रयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है, जो न केवल इन सब्जियों बल्कि यमुना की सेहत के लिए भी हानिकारक है। सीपीसीबी अधिकारियों के मुताबिक जून माह में जिन सब्जियों के नमूने लिए गए थे, उनमें लोबिया, भिंडी, पालक, टमाटर, बैंगन, लौकी, सीताफल, तरोई, मिर्च आदि सब्जियां शामिल थीं। इनमें एल्मुनियम, क्रोमियम, मैग्नीशियम, लोहा, कोबाल्ट, निकिल, कॉपर, जिंक, आरसेनिक ,कैडमियम, टिन, मर्करी, लेड जैसी धातुओं की जांच की गई। साथ ही यमुना नदी और इसमें मिल रहे नालों के पानी के नमूनों के साथ-साथ मिट्टी की भी जांच की गई।

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