US ने अमेरिकियों को निकालने के लिए 3 हजार सैनिक अफगानिस्तान भेजे

अमेरिका की बाइडेन सरकार को आशंका है कि एक महीने के भीतर काबुल पर भी अफगानिस्तान का कब्जा हो जाएगा और अफगान सरकार गिर जाएगी। ऐसे में अमेरिका ने अफगानिस्तान में मौजूद अपने नागरिकों को निकालने की तैयारी कर ली है। इसके लिए अमेरिका अपने 3 हजार सैनिकों को वापस अफगानिस्तान में भेज रहा है। हालांकि, अमेरिका ने साफ कर दिया है कि सैनिक लंबे वक्त के लिए नहीं भेजे जा रहे हैं, ये सिर्फ टेम्परेरी मिशन है।

अमेरिका ने 3500 सैनिक कुवैत में अमेरिकी बेस पर भी तैनात कर रखे हैं। ये सैनिक जरूरत पड़ने पर अफगानिस्तान सरकार की मदद के लिए तैनात किए गए हैं। इसके अलावा 1 हजार सैनिक कतर में भी तैनात हैं। ये उन अफगानियों की मदद कर रहे हैं, जो स्पेशल वीजा पर अमेरिका में बसना चाहते हैं।

पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने राष्ट्रपति जो बाइडेन के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान से सेनाओं की वापसी की बात कही थी। किर्बी ने कहा कि हमारा फोकस केवल अमेरिकी नागरिकों और सहयोगियों को अफगानिस्तान से बाहर निकालना है। उन्होंने कहा कि ये टेम्परेरी मिशन है, जिसका बेहद संकुचित लक्ष्य है। हम विदेश मंत्रालय से अपील करते हैं कि स्पेशल इमिग्रेंट वीजा एप्लीकेशन की प्रॉसेस को तेज करें और इनमें रुकावट न आने दें।

जो बाइडेन ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ अफगानिस्तान के हालात को लेकर बैठक की थी। इसके बाद अमेरिकी दूतावास ने अलर्ट जारी किया था कि अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी किसी भी फ्लाइट से अफगानिस्तान छोड़ दें। इसके अलावा अमेरिका ने यह भी कहा था कि अफगानिस्तान से अतिरिक्त अमेरिकी फ्लाइट चलाई जाएंगी, ताकि उन अफगानों को भी स्पेशल वीजा पर अमेरिका लाया जा सके, जिन्होंने साथ में काम किया।

अमेरिकी प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि हम अफगानिस्तान से दूतावासों में काम कर रहे 5400 लोगों को बाहर निकालने में जुटे हुए हैं, इनमें करीब 1400 अमेरिकी नागरिक हैं। उन्होंने कहा कि हम लगातार नजर बनाए रखे हैं ताकि दूतावासों में काम कर रहे हमारे लोगों की सुरक्षा को निश्चित कर सकें।

सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकी वार्ताकारों ने तालिबान से गुहार लगाई है कि अगर वे राजधानी काबुल पर कब्जा कर लेते हैं तो वे उसके दूतावास पर हमला नहीं करेंगे। साथ ही उसके नागरिकों और दूतावास के अफसरों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। तालिबान के साथ मुख्य अमेरिकी दूत जाल्मय खलीलजाद के नेतृत्व में बातचीत हो रही है।

बताया ये भी जा रहा है कि अमेरिका अफगानिस्तान में आने वाली सरकार ( जिसमें तालिबान की हिस्सेदारी हो सकती है) को आर्थिक सहयोग लटकाने की धमकी देकर अपने लोगों की सुरक्षा पुख्ता करना चाहता है।

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