इजराइल-हमास जंग: अमेरिका ने चल दिया वो दांव जिससे ईरान और सऊदी समेत सारे मुस्लिम देश हो जाएंगे ‘शांत’

फिलिस्तीनी शहर गाजा में इजराइल के ग्राउंड स्ट्राइक से पहले अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है, “शहर पर दोबारा कब्जा इजराइल की बड़ी भूल होगी.” राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यह बात कही है. इसके साथ ही उन्होंने अरब मुल्कों को सीधा संदेश दिया है, जो बीते कुछ दिनों से ईरान की अगुवाई में एकजुट होने की राह पर थे. समझिए बाइडेन के बयान का असल मतलब.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने साफ शब्दों में कहा है, ” गाजा पर कब्जा बड़ी भूल होगी.” उनका यह संदेश इजराइल के लिए नहीं बल्कि अरब मुल्कों के लिए है. ईरान लगातार अरब देशों के साथ मोर्चाबंदी में जुटा था. एक तरफ अमेरिकी विदेश मंत्री तो दूसरी तरह ईरान के विदेश मंत्री भी अरब देशों के टूर पर थे. ब्लिंकन ने इजराइल से लेकर सऊदी अरब तक का दौरा किया. वहीं ईरानी मंत्री ने लेबनान, सीरिया से कतर तक की यात्रा की. गाजा पर नेतन्याहू शासन के ग्राउंड अटैक के ऐलान के बाद अरब मुल्कों में हलचल बढ़ गई थी. अब जो बाइडेन के एक बयान से अरबी शासन में शांति आ सकती है. आइए समझते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान का असल मतलब.

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, “गाजा पर इजराइल का फिर से कब्जा करना एक बड़ी गलती होगी.” उन्होंने स्पष्ट किया, “गाजा में हमास एक चरमपंथी संगठन है और वे पूरे फिलिस्तीन का प्रतिनिधित्व नहीं करते. चरमपंथियों का खात्मा जरूरी है.” युद्ध को लेकर अरब देशों में बढ़ती बातचीत और संभावित एकजुटता के बीच राष्ट्रपति बाइडेन का बयान इजराइल के लिए बड़ी राहत साबित हो सकती है. बाइडेन के बयान से सबकुछ ‘शांत’ हो सकता है.

ग्राउंड अटैक के लिए इजराइल को मिली हरी झंडी

अमेरिकी शासन ने हमेशा ही इजराइल का समर्थन किया है. युद्ध में भी बड़े स्तर पर हथियार सप्लाई कर रहा है. आइजनहावर और गेराल्ड फोर्ड जैसे दो घातक युद्धपोतों को भूमध्य सागर में तैनात कर रखा है. इनके अलावा दर्जनों फाइटर प्लेन की भी मध्य पूर्व में तैनाती की है. विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इजराइल के ग्राउंड हमले को हरी झंडी दी है और आम लोगों को कम से कम नुकसान पहुंचाने की सलाह दी है. इजराइली सेना दर्जनों टैंक और मशीन गन से लैस इन्फेंट्री व्हीकल्स के साथ गाजा सीमा पर मौजूद है. किसी भी वक्त वे गाजा में प्रवेश कर सकते हैं.

अरब मुल्कों की लामबंदी में जुटा था ईरान

ईरान लगातार इजराइल के खिलाफ अरब मुल्कों की लामबंदी में जुटा था. उन्होंने हमास के नेता से भी दोहा में मुलाकात की. सीरिया, लेबनान और इराक में उसके समर्थन वाले हथियारबंद समूह काफी एक्टिव हैं. लेबनान के हिज्बुल्लाह ने तो इजराइल के खिलाफ दूसरे मोर्चे पर लड़ाई भी शुरू कर दी है. बीते दिनों इजराइली सीमा पर हिज्बुल्लाह लड़ाकों की तरफ से एयर स्ट्राइक किए इजराइल ने भी इसका जवाब दिया है. हालात बिगड़न क खतरे के बीच नेतन्याहू शासन ने इस क्षेत्र को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया है.

हमास में अरब मुल्कों की दिलचस्पी नहीं

एक बात जो समझने की है, वो ये कि हथियारबंद संगठन हमास में अरब मुल्कों की कोई दिलचस्पी नहीं है. मुस्लिम देशों ने हमास के समर्थन में कोई बयान नहीं दिए हैं. लेबनान सीरिया और इराक में मौजूद हथियारबंद संगठनों के अलावा हमास हमले का किसी ने समर्थन नहीं कि है. कतर ने भी लगातार इजराइल को हमास हमले के लिए जिम्मेदार माना है. सऊदी अरब, यूनाइटेड अरब अमीरात, मिस्र और जॉर्डन जैसे देशों को युद्ध के बढ़ने का खतरा सता रहा था – जो इजराइल के करीबी मुल्कों में शामिल हैं. फिलिस्तीन अथॉरिटी ने भी हमास को लेकर स्पष्ट कहा, “हमास फिलिस्तीन का प्रतिनिधि नहीं है.”

ईरान को छोड़ अरब मुल्क हो सकते हैं ‘शांत’

अरब में गुस्सा गाजा में मारे जा रहे आम लोगों को लेकर है, जहां एयर स्ट्राइक में बच्चों-महिलाओं-बुजुर्गों की मौत हो रही है. इजराइली पूरे गाजा में अंधाधुंध बम बरसा रहे हैं. एक अकेला ईरान है, जो खुलेआम हमास का समर्थन कर रहा है. हमास के लड़ाकों के 7 अक्टूबर के हमले और इजराइली सीमा में घुसने पर ईरानी शासन ने हमास बधाई दी थी. इजराइल और पश्चिमी देश ईरान को हमले का जिम्मेदार मान रहे थे, जिसे ईरान ने खारिज किया है. अब जबकि अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया और इजराइल ने भी इसकी पुष्टि की है कि गाजा पर कब्जे की मंशा नहीं है, ईरान को छोड़ अन्य मुस्लिम मुल्क ‘शांत’ हो सकते हैं.

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