UP election 2022: बस्ती सदर विधानसभा की ग्राउंड रिपोर्ट, चीनी मिल व नई नगर पंचायतें डालेंगी प्रभाव

चुनाव घोषित होने के बाद से क्षेत्र में जगह-जगह राजनीतिक चर्चाएं गर्म हैं। सड़क, जलनिकासी, स्वास्थ्य व जाम जैसे स्थानीय मुद्दों के साथ देश और प्रदेश की सियासत को लेकर लोग अपनी राय रख रहे हैं। कुछ बिजली, विकास और कानून व्यवस्था की बेहतरी के लिए सरकार का समर्थन कर रहे है तो कई महंगाई और बेरोजगारी को लेकर सवाल भी उठा रहे हैं। एक समय इस इलाके में तीन मिलें हुआ करती थीं। इनमें से मुंडेरवा मिल के शुरू होने से लोगों में खुशी है तो पिछली सपा सरकार के कार्यकाल में बंद हुई बस्ती सदर और वाल्टरगंज मिलों के शुरू न होने को लेकर नाराजगी भी। मुुंडेरवा और गनेशपुर के रूप में दो नई नगर पंचायतें मिलने की चमक लोगों को चेहरों पर दिख रही है। कांग्रेस के इस गढ़ में बदलाव लाने के लिए मतदाताओं ने जनता दल के अलावा बसपा पर भी भरोसा जताया, लेकिन विकास की दौड़ में यह क्षेत्र पिछड़ता चला गया। पिछले विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा ने जीत दर्ज की।

बात जब कोरोना काल पर आती है तो आम जनता की आंखें नम हो जाती हैं, शयद ही कोई ऐसा है जिसने अपनों को न खोया है। नौकरी चाकरी से लेकर जान तक गंवा दी लोगों ने, जो भी सुविधाएं दी गयी नाकाफी थी , मौजूदा विधायक का रवैया भी लोगों ने बहुत उदासीन बताया। मौजूदा विधायक अपने ससुराल तक में सिर्फ शादी विवाह के महोत्सव में पहुंचते हैं, ऐसा वहीँ के कुछ नागरिकों ने बताय। और दूसरी तरफ सत्ता से दूर समाजवादी पार्टी के सदर से जिलाध्यक्ष कोरोना काल में राजनीती से ऊपर उठकर अपने संसाधनों से यथसंभव घर घर पहुंचकर अनाज व् दवाइयों का वितरण करते रहे।

इस बार समाजवादी पार्टी ने भी इस बदलती हवा के रुख को भांपते हुए स्थानीय चेहरे महेन्दर नाथ यादव पर दांव खेला है।

मूलभूत सुविधाओं पर चर्चा

जिला मुख्यालय से 18 किमी दूर बस्ती-कांटे मार्ग पर सदर विधानसभा के गांव उमरी में राजनीतिक चर्चा चल रही है। युवा दिवाकर चौधरी का कहना है कि गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है लेकिन बिजली आपूर्ति बेहतर है। लुधियाना में नौकरी करने वाले मनोज कुमार महंगाई और बेरोजगारी को लेकर नाराज हैं। इसी गांव के छोटा पुरवा के युवा मोनू कहते हैं, सरकार ने अच्छा कार्य किया है। वहीं शहीदुनिशा ने कानून व्यवस्था और कोरोना को लेकर हुए बेहतर प्रबंधन की सराहना की।

चीनी मिल की भी हो रही चर्चा

मुंडेरवा मिल गेट पर तौल कराने पहुंचे कड़सरी के किसान जयप्रकाश ने कहा, मिल ने किसानों को आजीविका का सहारा दे दिया है। पहले वह कांटे पर गन्ने की तौल कराने जाते थे। एक तो घटतौली की जाती थी, दूसरे भुगतान के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ता था। लालचंद चौधरी ने कहा, मिल देकर सरकार ने किसानों के साथ ही यहां के कारोबारियों को बड़ी सौगात दी है। मुंडेरवा नगर पंचायत बन चुका है। इसका असर यह है आसपास के गांवों में भी तेजी से विकास का पहिया दौडऩे लगा है। मुंडेरवा से बनकटी मार्ग पर चाय की दुकान पर पहुंचे तो चाय की चुस्की के साथ उमरी अहरा के रामकेश चौधरी, बरडाड़ के श्यामसुंदर अग्रहरि, परासी के अनिल चौधरी, मनिकौरा के आलम, मुंडेरवा के नितेंद्र कुमार और राम नरायन यादव अपने-अपने हिसाब से सत्ता की गणित बना रहे थे। बरडाड़ के प्रधान राजेंद्र चौधरी ने कहा ऊबड़-खाबड़ सिंगल लेन की इस सड़क पर चलने में परेशानी होती थी। डबल लेन की चमचमाती सड़क बन जाने के बाद लोग फर्राटा भर रहे हैं। रामकेश चौधरी ने कहा कि महंगाई और भ्रष्टाचार को रोकने में सरकार विफल रही है। पूर्व प्रधान प्रेम चंद ने कहा कि मुंडेरवा में नाम का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। इलाज के लिए बनकटी जाना पड़ता है।

देवरिया मंदिर इस क्षेत्र के लोगों की आस्था का केंद्र है। शिव मंदिर में दर्शन-पूजन को पहुंचे दूधनाथ मिश्रा ने कहा कि गांव में पर्याप्त बिजली मिल रही है। इससे खेती का कार्य करने में काफी सहूलियत है।

ओड़वारा में रामू सोनी का कहा था सरकार ने अच्छा कार्य किया है। महंगाई को लेकर लोगों में पीड़ा है। इसी गांव के छोटेलाल ने कहा कि गुंडागर्दी और चोरी कम हो गई। विकास के कार्य भी हुए हैं। पिपरा गांव के राम किशुन ने कहा इस सरकार में दंगा फसाद नहीं हुआ। गरीबों को राशन मिल रहा है। इसी गांव के रामकेवल ने बेरोजगारी का मुद्दा उठाया।

प्लास्टिक कांप्लेक्स की बदहाली को लेकर लोगों में नाराजगी दिखी। प्रदीप कुमार ने बताया कि सरकार ने इस ओर ध्यान दिया होता तो रोजगार के लिए बेरोजगारों और मजदूरों को पलायन को मजबूर न होना पड़ता। 1982 में यह औद्योगिक आस्थान दूरगामी सोच के साथ स्थापित किया गया था, लेकिन जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार हो गया। दक्षिण दरवाजा से स्टेशन जाने वाली सड़क की दुर्दशा को लेकर संतोष ङ्क्षसह ने पीड़ा बयां की। कहा यह सड़क शहर की पहचान है। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। पुरानी बस्ती के चैतन्य मातनहेलिया ने कहा यह बाजार प्रमुख व्यापारिक केंद्र है, लेकिन सड़कों की स्थिति ठीक नहीं है। जाम की समस्या भी लाइलाज हो चुकी है।

गांधीनगर के अनस का कहना था गांधीनगर बाजार शहर की हृदयस्थली है। जाम की समस्या से राहगीर हो या फिर व्यापारी, हर कोई परेशान है। पटरी कारोबारियों को बसाने की योजना कागजों में ही सिमट कर रह गई। शहर की प्रमुख सड़कें ही खराब हैं। मोहल्ले की सड़कों की स्थिति और खराब है। फौव्वारा तिराहा के विनोद निषाद ने बदहाल चौराहों का मुद्दा उठाया। कहा यह मंडल मुख्यालय है, लेकिन न कोई ढंग का पार्क है और न अस्पताल। न्यूरो और हार्ट संबंधी समस्या के लिए लखनऊ और गोरखपुर भागना पड़ता है।

आपूर्ति विभाग के सेवानिवृत्त निरीक्षक सुभाष सिंह ने बताया कि सरकार ने अच्छा कार्य किया है। कोरोना जैसे संकट में सरकार का प्रबंधन बेहतर रहा। गरीबों को आवास,शौचालय के साथ ही राशन मिला। बिजली और चिकित्सा की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है। कोरोना से बचाव का निश्शुल्क टीकाकरण कराकर सरकार ने जीवन बचाया।

सुखई सिंह महाविद्यालय के प्रधानाचार्य राजेंद्र पाल ने बताया कि सड़क और बिजली के क्षेत्र में अच्छा कार्य हुआ है। महंगाई और बेरोजगारी पर ध्यान दिया जाना चाहिए। मुंडेरवा में नई चीनी मिल लगी तो बस्ती को मेडिकल कालेज मिला। कोरोना काल में निश्शुल्क इलाज के साथ ही खाद्यान्न देकर सरकार ने काफी राहत पहुंचाई।

मोहम्मदपुर के मो. हसन ने बताया कि सदर विधानसभा क्षेत्र में उम्मीद के अनुरूप विकास कार्य नहीं हुए हैं। बुनियादी सुविधाएं तक मजबूत नहीं हुई है। महंगाई और बेरोजगारी की दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया गया। गनेशपुर को नगर पंचायत बना दिया, लेकिन साफ-सफाई तक की व्यवस्था सही नहीं है।

व्यापारी अशोक अग्रवाल ने बताया कि मुंडेरवा में नई चीनी मिल लगायी गयी, लेकिन बस्ती तथा वाल्टरगंज की बंद मिल को चालू करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। सड़कों को गड्ढामुक्त भी नहीं किया गया। कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक रही। विधायकों पर नकेल कसने के चलते उनको कार्य प्रदर्शन का मौका नहीं मिल पाया।

कुल मतदाता 369465

कुल पुरुष मतदाता 197812

कुल महिला मतदाता 171625

युवा मतदाता 18-19 वर्ष 3307

युवा 20-40 वर्ष 175969

बुजुर्ग मतदाता 80 वर्ष से ऊपर 6428

दिव्यांग मतदाता 4000

इनके सिर बंधा जीत का सेहरा

1951 अंशुमान सिंह कांग्रेस

1957 उदय शंकर कांग्रेस

1962 राजेंद्र किशोरी कांग्रेस

1967 एलकेके पाल स्वराज पार्टी

1972 राजेंद्र किशोरी कांग्रेस

1974 श्यामा देवी कांग्रेस

1977 जगदंबा सिंह जनता पार्टी

1980 अलमेलू अम्मल कांग्रेस

1985 अलमेलू कांग्रेस

1989 राजमणि पांडेय जनता दल

1991 लक्ष्मेश्वर सिंह जनता दल

1993 जगदंबिका पाल कांग्रेस

1996 जगदंबिका पाल कांग्रेस

2002 जगदंबिका पाल कांग्रेस

2007 जितेंद्र कुमार बसपा

2012 जितेंद्र कुमार बसपा

2017 दयाराम चौधरी भाजपा।

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