चिट्ठी विवाद को लेकर कांग्रेस में गुलाम नबी को पार्टी से ‘आजाद’ करने की मांग

कांग्रेस (Congress) के 23 नेताओं की ओर से पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को लिखे गए पत्र को लेकर खड़े हुए विवाद के बीच उत्तर प्रदेश (UP Congress) के कांग्रेस नेता और पूर्व विधान परिषद सदस्य नसीब पठान (Naseeb Pathan) ने शुक्रवार को वरिष्ठ पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) को पार्टी से बाहर निकाल देने की मांग की। उन्होंने कहा कि पार्टी ने आजाद को बहुत कुछ दिया किंतु उन्होंने वफादारी नहीं की। संगठन में व्यापक बदलाव और पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग को लेकर सोनिया को पत्र लिखने वाले नेताओं में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद भी शामिल थे।

पठान ने कहा, ‘‘कांग्रेस कार्य समिति में सब कुछ तय हो गया था. सोनिया जी ने कहा कि मैं आपके पत्र से आहत हुई, लेकिन सब खत्म हो गया, चलो सब ठीक है। इसके बाद भी आजाद ने मीडिया से बात की और अपना बयान फेसबुक पर अगले दिन डाल दिया।” कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मैंने कहा कि जब इन्होंने (आजाद) ही अनुशासन तोड़ दिया तब, इन्हें आजाद कर देना चाहिए, पार्टी से निकाल देना चाहिए।’ पठान ने कहा, ‘सोनिया जी ने इन्हें जम्मू-कश्मीर का CM पहले बना दिया था बाद में यह उप चुनाव जीते थे। कांग्रेस ने इन्हें बहुत कुछ दिया लेकिन आजाद ने वफादारी नहीं की।’

इससे पहले सोशल मीडिया पर पठान ने एक वीडियो जारी कर भी आजाद को कांग्रेस से बाहर करने की मांग की थी। उन्होंने पार्टी आलाकमान से यह भी मांग की कि ऐसे लोगों को जो पार्टी में बातें ना कर बाहर बात करते हैं, उन्हें पार्टी से निकाल देना चाहिए। पिछले दिनों आजाद समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव और पूर्णकालिक एवं सक्रिय अध्यक्ष की मांग की थी। उनके इस पत्र को पार्टी के भीतर कई लोगों ने कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती देने के तौर पर लिया।

इस पत्र से जुड़े विवाद की पृष्ठभूमि में ही 24 अगस्त को कांग्रेस कार्य समिति की हंगामेदार और मैराथन बैठक हुई, जिसमें सोनिया गांधी से अंतरिम अध्यक्ष रहने का आग्रह किया गया और संगठन में जरूरी बदलाव के लिए उन्हें अधिकृत किया गया। इस बैठक में पारित प्रस्ताव पर आजाद और पत्र लिखने वाले कई अन्य नेताओं ने भी सहमति जताई, हालांकि बृहस्पतिवार को आजाद ने एक साक्षात्कार में फिर कहा कि संगठन में हर स्तर पर चुनाव होना चाहिए और अगर चुनाव नहीं होता है तो कांग्रेस को अगले 50 साल तक विपक्ष में बैठना पड़ सकता है।

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