नदियों के पानी से अब फैलेगा कोरोना वायरस? गंगा और यमुना में तैरते शव….जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

नदियों में बहती लाशों ने जहां प्रशासन की चिंता बढा दी है…वहीं इस खबर के बाद लोग दहशत में हैं. लोगों के मन में लगातार सवाल उठ रहा है कि क्या अब नदियों के पानी से कोरोना का संक्रमण फैलता जाएगा ? इस सवाल का जवाब विशेषज्ञों की ओर से आ गया है. उनका कहना है कि नदी के मार्फत कोरोना वायरस का संचरण चिंता की बात नहीं है.

गंगा और यमुना नदियों में कोरोना संक्रमित संदिग्ध शवों के बहने का मामला सामने आने के बाद विशेषज्ञों ने कहा है कि नदी के मार्फत कोरोना वायरस का संचरण चिंता की बात नहीं है. आईआईटी कानपुर में प्रोफेसर सतीश तारे ने कहा कि गंगा या इसकी सहायक नदियों में शवों को प्रवाहित करने का मामला गंभीर है, खासकर ऐसे समय में जब देश कोरोना वायरस महामारी के संकट से जूझ रहा है. गंगा और यमुना कई गांवों में पेयजल का मुख्य स्रोत है. इसके अलावा यह कई नदियों और जलाशयों के लिए जलस्रोत का काम करती है.

बहरहाल, प्रोफेसर ने कहा कि शवों को नदियों में फेंकने का संचरण पर ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला है. तारे ने कहा कि गंगा या इसकी सहायक नदियों में शवों को प्रवाहित करने का मामला नया नहीं है, लेकिन पिछले 10-15 वर्षों में इसमें काफी कमी आई थी. उन्होंने कहा कि शवों को नदियों में फेंकने से नदियां मुख्यत: प्रदूषित होती हैं. आगे उन्होंने कहा कि यदि कोरोना के संदिग्ध रोगियों के शव बाहर भी निकाले जाते हैं तो काफी कुछ घुल चुका होता है (जल में प्रवाह के दौरान)। प्रभाव ज्यादा नहीं हो सकता है.

पर्यावरण इंजीनियरिंग, जल गुणवत्ता और दूषित जल शोधन विषय पढ़ाने वाले तारे ने कहा कि अगर यह जल जलापूर्ति के लिए भी जाता है तो यह जल आपूर्ति प्रणाली से जाता है. साधारण शोधन से काम चल जाता है. आपको बता दें कि बिहार सरकार ने बक्सर जिले में मंगलवार को गंगा नदी से 71 शव बाहर निकाले, जहां वे नदी में तैरते मिले थे. इसके बाद इस बात का संदेह उत्पन्न हो गया कि ये शव कोरोना संक्रमित मरीजों के हो सकते हैं. इसी तरह उत्तर प्रदेश के बलिया के लोगों ने कहा कि उजियार, कुल्हड़िया और भरौली घाटों पर उन्होंने कम से कम 45 शव देखे.

बहरहाल, जिला अधिकारियों ने शवों की निश्चित संख्या नहीं बताई. हमीरपुर जिले के निवासियों ने सोमवार को यमुना में पांच शव बहते देखे, जिससे भय पैदा हो गया कि ये कोरोना संक्रमित मरीजों के शव हो सकते हैं. बाद में शवों को बाहर निकालकर उनका अंतिम संस्कार किया गया. इसके बाद केंद्र ने मंगलवार को उन राज्यों से कड़ी निगरानी बरतने के लिए कहा जहां से गंगा नदी गुजरती है ताकि नदी एवं इसकी सहायक नदियों में शवों को फेंकने से रोका जा सके.

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने कहा कि इस तरह के माध्यम से संचरण चिंता की बात नहीं है. उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से संचरण लोगों के बातचीत करने या जब दो लोग एक-दूसरे के नजदीक हों तब होता है और अगर कोई बूंद किसी सतह पर गिरती है और दूसरा व्यक्ति इसके संपर्क में आता है तो यह जल के माध्यम से फैल सकता है…

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